रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
आलोट के खाद गोदाम का शटर खोलने के मामले में विधायक मनोज चावला के खिलाफ लूट और शासकीय कार्य में बाधा का प्रकरण दर्ज होने के बाद कांग्रेस एकजुट हो गई है। शुक्रवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री और विधायक कांतिलाल भूरिया, पूर्व मंत्री जीतू पटवारी सहित 6 विधायक कार्यकर्ताओं के साथ कलेक्टोरेट पहुंचे। कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी के अपने कक्ष से बाहर नहीं आने पर जमीन पर बैठ प्रदर्शन किया तो दूसरी तरफ कलेक्टर कक्ष में पहुंचने के बाद मामला काफी गर्मा गया। बगैर ज्ञापन दिए सभी विधायक वापस लौट गए। कलेक्टर पर जनप्रतिनिधियों को सम्मान नहीं देने पर उच्चस्तरीय शिकायत करने की बात कही।
विधायक चावला के खिलाफ प्रकरण दर्ज होने पर झाबुआ विधायक भूरिया, राऊ विधायक पटवारी, कालापीपल विधायक कुणाल चौधरी, सैलाना विधायक हर्षविजय गेहलोत, पेटलावद विधायक वालसिंह मईड़ा, थांदला विधायक वीरसिंह भूरिया, सैलाना नगर परिषद अध्यक्ष लक्की शुक्ला, पूर्व विधायक लक्ष्मीदेवी खराड़ी, शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेंद्र कटारिया, वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजीव रावत, शहर कांग्रेस युवा अध्यक्ष मयंक जाट, डीपी धाकड़ सहित अन्य नेता कलेक्टर सूर्यवंशी को ज्ञापन देने शाम 4 बजे पहुंचे। यहां पर कलेक्टर सूर्यवंशी को बाहर बुलाने के लिए विधायक चौधरी व गेहलोत कलेक्टर के चेम्बर में पहुंचे। लेकिन वह नहीं आए। कलेक्टर के बाहर नहीं आने पर कांग्रेस विधायक पटवारी ने करीब एक घंटे बाद कलेक्टर से कक्ष में मीडिया के समक्ष चर्चा का प्रस्ताव भेजा।
मीडियाकर्मियों के पहुंचने के बाद सभी विधायक कलेक्टर कक्ष में पहुंचे। कलेक्टर सूर्यवंशी से चर्चा के दौरान आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ और विधायक पटवारी बिना ज्ञापन दिए कुर्सी से उठकर सभी विधायकों को लेकर बाहर निकल आए। मीडिया से चर्चा के दौरान विधायक पटवारी ने कलेक्टर सूर्यवंशी पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाने के साथ मामले की उच्चस्तरीय शिकायत की बात कही। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं विधायक भूरिया ने कलेक्टर सूर्यवंशी पर आरोप लगाया कि जब यह जनप्रतिनिधियों की बात नहीं सुन सकते तो जनता की क्या सुनेंगे। मामले में विधानसभा अध्यक्ष को शिकायत की जाएगी।
कलेक्टर सूर्यवंशी का यह है कहना
जिले में किसानों के लिए पर्याप्त खाद है। विधायक पटवारी का फोन आया था और उन्होंने समय लिया था। सभी विधायक से खड़े होकर बाहर बात नहीं की जा सकती थी। इसलिए मेरे द्वारा उन्हें सम्मानपूर्वक कक्ष में बुलाकर बात करना उचित समझा। मेरी ऐसी कोई भावना नहीं थी कि उन्हें अपमानित किया जाए।