असीम राज पाण्डेय, रतलाम। रतलाम जिले में 4 सीटों पर कमल खिलाने के बाद भी जीत का सेहरा जिले के पार्टी मुखिया को नहीं बंधा है। हाल ही में शहर माननीय को मिली मंत्री पद की जिम्मेदारी पर खुशी बांटने पहुंचे करीबियों में जिले के पार्टी मुखिया भी पहुंचे। शपथ कार्यक्रम के बाद सभी प्रदेश भाजपा संगठन महामंत्री का अभिनंदन करने पहुंचे। प्रदेश भाजपा संगठन महामंत्री ने मंत्रीजी के साथ पहुंचे समर्थकों से अभिनंदन स्वीकार कर जिले के पार्टी मुखिया को देख उखड़ गए। ये अंदर की बात है कि प्रदेश भाजपा संगठन महामंत्री ने खुशी-खुशी पहुंचे मंत्रीजी और समर्थकों की खुशी काफूर करते हुए पार्टी के जिला मुखिया को आड़े हाथों लेकर खरी-खरी सुनाई। प्रदेश भाजपा संगठन महामंत्री ने यहां तक कहा कि रतलाम जैसा वाहियात संगठन मैंने प्रदेश में कहीं दूसरी जगह नहीं देखा। प्रदेश भाजपा संगठन महामंत्री ने यहां तक कहा कि सिर्फ चुनाव के कारण हम चुप थे, लेकिन अब दायित्व की जिम्मेदारी नए कंधों पर सौंपी जाएगी। प्रदेश संगठन महामंत्री की डांट सुन जिले के पार्टी मुखिया पसीना-पसीना हो गए।
पोस्टर-बैनर से गायब हो गए ‘मामा’
प्रदेश में प्रचंड जीत के बाद फूलछाप पार्टी की बिछी नई बिसात ने ‘मामा’ को पूरी तरह से गायब कर दिया है। हालात ऐसे हो गए हैं कि मंत्रीजी के प्रथम नगर आगमन की विशाल स्वागत रैली से पूर्व शहर में लगाए गए बैनर-पोस्टर से ‘मामा’ नदारद दिखाई दिए। राजनीति विद्वानों की मानें तो पार्टी कोई सी भी हो सभी उगते सूरज को ही सलाम करते हैं। ‘मामा’ की प्रदेश से लगभग हो चुकी विदाई के बाद उनका बैनर और पोस्टरों से भी गायब होना जमीनी कार्यकर्ताओं को सोचने पर मजबूर कर रहा है। ‘मामा’ के समर्थकों का कहना है कि जिस व्यक्ति ने फूलछाप पार्टी को सिंचा और चार बार प्रदेश की बागडोर संभालने की शपथ ली, उनका इस तरह से प्रदेश की राजनीति के साथ पोस्टर और बैनर से उपेक्षा करना लोकसभा को प्रभावित कर सकता है। ये अंदर की बात है कि फूलछाप पार्टी में अंतिम निर्णय दिल्ली से होता है। दिल्ली में होने वाले निर्णय में यह भी शामिल रहता है कि पोस्टर और बैनर में किसकों तवज्जों दी जाएगी। इसके चलते कोई भी हिमाकत नहीं कर सकता कि पूर्व प्रदेश मुखिया को चाह कर भी अपने पोस्टर और बैनर में शामिल कर लें।
दंबगों ने फिर उड़ा दी कानून की हंसी
प्रदेश में नए मुखिया के कमान संभालने के बाद कानून व्यवस्था को लेकर सभी अपने-अपने कयास लगा रहे थे। आमजनता के कयासों पर तब पानी फिरा जब जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर गांव के दबंगों ने आधी रात एक मानसिक बीमार युवक को घर से उठाया। माता-पिता और भाई-बहन के सामने युवक की पिटाई करते हुए वाहन में बैठाया और दो घंटे बाद मूर्छित अवस्था में घर के बाहर लाकर फेंक दिया। आक्रोशित परिजन ने सड़क पर चार घंटे शव रख नाराजी जताई और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए। कानून से बेखौफ दबंगों के खिलाफ कुछ भी बोलने से ग्रामीण हिचक रहे थे, लेकिन दबी जुबान में दंबगों की आए दिन की करतूतों को बयां जरूर किया। छोटे-छोटे मुद्दे पर खबरनसीबों के साथ की जाने वाली वार्ता में दंबगों की गिरफ्तारी से अछूता रखा गया। ये अंदर की बात है कि पूरे प्रकरण में कानून का पालन कराने वाले विभाग पर सवाल खड़े हुए हैं अगर इस प्रकरण की वार्ता रखी जाती तो इतने सवाल होते की साहब जवाब देते-देते थक जाते।