– उत्तर पुस्तिकाओं में होंगे बार कोड, न हो सके उत्तर पुस्तिकाओं में हेरफेर
भोपाल, वंदेमातरम् न्यूज। माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) ने इस बार बोर्ड परीक्षा को लेकर शुचिता जारी कर दी है। या यूं कहें कि 10वीं और 12वीं की परीक्षा को लेकर मप्र बोर्ड सख्त हो गया है। परीक्षा में वास्तविक विद्यार्थी की जगह दूसरा फर्जी विद्यार्थी ना बैठ सके, इसके लिए पहली बार प्रवेशपत्रों में क्यूआर कोड लगाए जाएंगे। क्यूआर कोड स्कैन करने पर विद्यार्थियों का पूरा रिकार्ड सामने आ जाएगा। इसमें विद्यार्थी का नाम, फोटो, माता-पिता व स्कूल का नाम, पंजीयन नंबर सहित पूरी जानकारी होगी। वहीं परीक्षा के दौरान किसी तरह की गड़बड़ी या उत्तर पुस्तिकाओं में हेरफेर से बचने के लिए सभी विषयों की उत्तर पुस्तिकाओं में बार कोड होंगे।
माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) इस बार परीक्षा के दौरान और भी कई जरूरी एहतियात बरतने वाला है। प्रवेश पत्रों में क्यूआर कोड होने से फर्जी परीक्षार्थियों की पहचान भी आसानी से हो सकेगी। परीक्षा केंद्र पर एप से क्यूआर कोड स्कैन करके विद्यार्थियों की पूरी जानकारी जांची जाएगी। वहीं, परीक्षा की निगरानी आनलाइन भी की जाएगी। इसके लिए एक विशेष एप भी तैयार किया गया है। बता दें कि पिछले साल मंडल ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 10वीं के तीन विषयों और 12वीं में एक विषय की उत्तर पुस्तिका में बार कोड लागू किया था। वहीं 20 पेज के बदले 32 पेजों की उत्तर पुस्तिकाएं दी गई थीं, ताकि विद्यार्थियों को अतिरिक्त कापियां नहीं लेनी पड़ें। मामले में माशिमं सचिव केडी त्रिपाठी ने बताया कि परीक्षा की शुचिता और पारदर्शिता के लिए इस बार कुछ विशेष बंदोबस्त किए गए हैं। प्रवेश पत्र पर क्यूआर कोड होने से फर्जी परीक्षार्थियों के परीक्षा में शामिल होने की आशंका भी खत्म हो जाएगी। सभी विषयों की उत्तर पुस्तिकाओं पर बार कोड होने से कापियों में कोई हेरफेर भी नहीं कर पाएगा।
17 लाख से अधिक होंगे परीक्षार्थी शामिल
माशिमं की 10वीं व 12वीं की परीक्षा पांच फरवरी से शुरू होगी। दोनों परीक्षाओं में करीब 17 लाख विद्यार्थी शामिल होंगे। पिछले साल 18 लाख 22 हजार विद्यार्थी शामिल हुए थे।
क्यूआर और बार कोड से ये लाभ
– प्रवेश पत्रों में क्यूआर कोड होने से फर्जी परीक्षार्थियों की पहचान आसान हो सकेगी।
– क्यूआर कोड होने से किसी विद्यार्थी के बदले दूसरा परीक्षार्थी नहीं बैठ सकता है।
– उत्तर पुस्तिकाओं में बारकोड होने से गड़बड़ियों पर रोक लग सकेगी।
– बार कोड होने से मूल्यांकनकर्ता पहचान नहीं पाएंगे कि किस विद्यार्थी की कापी है।
– अतिरिक्त कापी से उत्तर पुस्तिका के बदल जाने या खोने की आशंका खत्म होगी।
– विद्यार्थियों को अतिरिक्त कापी नहीं लेनी पड़ेगी।