– रतलाम विकास योजना अंतर्गत टीडीएस-02 में फंसा पेंच, नगर निगम की वैध कॉलोनी की सूची में शामिल “अपना नगर”
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। रतलाम विकास प्राधिकरण द्वारा टीडीएस-20 को 365 बीघा भूमि में विकसित करने की योजना को लेकर शिकायत का दौर शुरू हो गया है। खास बात यह है कि उक्त योजना में जमीन के कुछ जादूगरों ने ऐसी जादूगरी दिखाई है कि पूरी योजना में 90 प्रतिशत भूमि निजी है। जबकि 10 प्रतिशत से भी कम प्रोजेक्ट के लिए शासकीय भूमि को शामिल किया गया है। टीडीएस-20 के क्रियान्वयन से पूर्व 43 वर्ष पुरानी अपना नगर कॉलोनी के रहवासियों ने ऐतराज जताया है। एमएसएमई (कैबिनेट) मंत्री चेतन्य काश्यप के नाम रहवासियों ने ज्ञापन सौंपते हुए योजना को आंखें मूंदकर बनाने का आरोप लगाते हुए शिकायत की है।
अपना नगर के रहवासियों ने दस्तावेजों के आधार पर बताया कि उक्त कॉलोनी साल 1980 में अस्तित्व में आई थी। वर्तमान में रतलाम नगर पालिक निगम द्वारा वैध कॉलोनी के लिए प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। ऐसे में उन्हें रतलाम विकास प्राधिकरण से सूचना मिली कि उनकी कॉलोनी (अपना नगर) को भी टीडीएस-20 में शामिल किया जा रहा है, जो कि न्यायसंगत नहीं है। मामले में रहवासियों ने हस्ताक्षरयुक्त शिकायत मंत्री काश्यप के निवास पर पहुंच कर दी है। इसके अलावा उक्त शिकायत की प्रति रतलाम नगर निगम आयुक्त सहित विकास प्राधिकरण अध्यक्ष अशोक पोरवाल को सौंपी है। मामले में अभिभाषक अमित पांचाल ने कानून के मुताबिक बताया कि 43 वर्षों से रहवासियों के भूखंड की रजिस्ट्री होने के बाद कोई भी एजेंसी उसे किसी भी प्रक्रिया में अधिग्रहित नहीं कर सकती है। इधर नगर निगम के जानकारों के मुताबिक किसी अवैध कॉलोनी को वैध करने की प्रक्रिया निगम प्रशासन कर देता है तो उसके बाद रतलाम विकास प्राधिकरण उस कॉलोनी को अधिगृहण नहीं कर सकती है।
जिम्मेदारों की नाकामी कुछ ऐसी भी
दशक भर बाद रतलाम विकास प्राधिकरण में अप्रैल-2023 में अध्यक्ष अशोक पोरवाल को राज्य शासन द्वारा मनोनीत किया गया है। बताया जाता है कि उनके मनोनयन के बाद राजनीति गुटबाजी भी चरम पर पहुंची है। नवागत अध्यक्ष द्वारा अपने शुरुआत के कार्यकाल में काला-गोरा भेरू क्षेत्र (मोतीनगर के समीप) में 365 बीघा जमीन पर टीडीएस -02 विकसित करने की घोषणा की गई थी। इस योजना में 90 प्रतिशत जमीन निजी है, जबकि योजना बनाने के समय रिक्त शासकीय भूमि को शामिल करने में परहेज किया गया। सूत्रों की मानें तो पूरी योजना में भूमाफियाओं का हाथ है। प्रारंभिक रूप से योजना के क्रियान्वयन के लिए निजी भूमि स्वामियों के पास पहुंच रही सूचना के बाद आक्रोश जन्म लेने लगा है। बताया जा रहा है कि आगामी दिनों में अन्य ऐसे प्रभावित रहवासी और सामने आएंगे, जिनकी पैतृक भूमि को भी अधिगृहण करने की तैयारी है।