– समिति ने तैयारियां की पूरी, भव्य आयोजन के लिए बैठकों का भी दौर
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। रतलाम स्थापना महोत्सव समिति द्वारा 14 फरवरी (बंसंत पंचमी) को रतलाम का 374वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया जाएगा। समिति द्वारा तीन दिवसीय आयोजन किए जाएंगे। स्थापना महोत्सव की शुरुआत कवि सम्मेलन से होगी। 10 फरवरी को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन से कार्यक्रम का शुभारंभ किया जाएगा।
रतलाम स्थापना महोत्सव समिति की बैठक संस्थापक व संयोजक मुन्नालाल शर्मा की अध्यक्षता में हुई। समिति अध्यक्ष प्रवीण सोनी, सचिव मंगल लोढ़ा ने बताया रतलाम स्थापना महोत्सव समिति द्वारा बसंत पंचमी पर तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। 10 फरवरी को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन से कार्यक्रम का शुभारंभ किया जाएगा। 12 फरवरी की शाम 7 बजे रतलाम राज्य के जनक महाराजा रतनसिंह जी द्वारा स्थापित रत्ननेश्वर महादेव मंदिर रत्नेश्वर रोड पर महाआरती कर प्रसादी का वितरण किया जाएगा। 14 फरवरी को बसंत पंचमी रतलाम स्थापना दिवस को नगर के गौरव दिवस के रुप में मनाते हुए नगर निगम तिराहे स्थापित रतलाम राज्य के जनक महाराजा रतनसिंह जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर आतिशबाजी की जाएगी। मिठाई का वितरण किया जाएगा। कार्यक्रम नगर निगम व रतलाम स्थापना महोत्सव समिति के संयुक्त तत्वाधान में किया जाएगा। बैठक में समिति के प्रदीप उपाध्याय, ललीत दख, आदित्य डागा, अनिल कटारिया, विप्लव जैन, सुशील सिलावट, गौरव मूणत, मुरलीधर गुर्जर, सुनील माली, ईश्वर रजवाड़िया, विक्रम गुर्जर, संतोष पटेल (जोन्टी), महेंद्र मूणत आदि उपस्थित थे।
374वें वर्ष में रतलाम के प्रवेश पर खास बात
रतलाम 374 वां स्थापना वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है। 373 साल के सफर में रत्नपुरी से रतलाम तक भले ही शहर उस गति से नहीं पहुंच सका जिसकी दरकार थी, लेकिन संतोष की बात यह है कि अब शहर ने विकास की राह पकड़ ली है। आगामी दस वर्षों में इसके परिणाम भी देखने को मिलेंगे। सेंव, सोना और साड़ी की परंपरागत पहचान से इतर शहरवासी अन्य व्यापार, उद्योग में अपनी जगह बना रहे हैं। एक आदर्श शहर की सोच में बुनियादी सुविधाओं सड़क, पानी व बिजली की बेहतर सुविधा मिलने के बाद अब जरूरत है कि शहर की आत्मा (आंतरिक सिस्टम ) को भी मजबूत बनाया जाए। तरक्की की राह मजबूत करने के लिए प्रमुख सौगातें मिलने का सिलसिला आरंभ हो चुका है। जरूरी है कि अब हम आने वाले बदलाव के मान से शहर को बदलने, बसाने की कोशिश करें। हम ऐसे शहर का सपना देखते हैं जहां आवागमन सुगम हो और किसी भी हिस्से में जाने की सुविधा मिल सके। सफाई व्यवस्था चाक चौबंद हो और प्रशासनिक कसावट बेहतर दिखाई दे। विकास व विस्तार खुशी तो देता है, लेकिन विस्तार के साथ समस्याओं का विस्तार होना चिंताजनक है। इतिहास और वर्तमान का सकारात्मक मिश्रण ही आदर्श शहर की परिकल्पना को साकार कर सकता है।