– जमानत के आदेश के खिलाफ शासन ने दायर की थी याचिका
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। मध्य प्रदेश के रतलाम मुख्यालय पर बहुचर्चित वर्चस्व की लड़ाई में इंदौर हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। शासन की याचिका पर हाईकोर्ट ने सभी साक्ष्य और बहस में सामने आए तथ्यों के आधार पर कांग्रेस नेता मयंक जाट की जमानत निरस्त कर दी है। बहुचर्चित वर्चस्व की लड़ाई में रतलाम की कोर्ट ने 15 माह पूर्व मयंक जाट को 6 साल की सजा सुनाई थी। उक्त फैसले पर हाईकोर्ट में कांग्रेस नेता ने अपील कर 25 दिन जेल में रहकर जमानत पर छूटे थे। जमानत के जो आधार थे उसे शासन के अधिवक्ता ने चैलेंज कर निरस्ती के लिए आवेदन प्रस्तुत किया था।
गौरतलब है कि वर्तमान भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ पार्षद व मेयर इन काउंसिल सदस्य (एमआईसी) भगतसिंह भदौरिया एवं मयंक जाट की गैंग के बीच 29 जनवरी 2012 की रात वर्चस्व को लेकर खूनी संघर्ष हुआ था। इस दौरान उनके बीच मारपीट और पिस्टल से फायरिंग भी हुई थी। तलवारों से भी एक-दूसरे पर हमला हुआ था। एक पक्ष के मयंक जाट, भूपेश नेगी, ऋषि जायसवाल तथा दूसरे पक्ष से रितेश भदौरिया व रवि मीणा घायल हुए थे। घायलों को जिला हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। एक पक्ष की तरफ से मयंक जाट व दूसरे पक्ष की तरफ से रितेश भदौरिया ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मामले में 26 नवंबर 2022 को रतलाम के तृतीय अपर जिला जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने सभी बिंदुओं पर बहस और साक्ष्यों के आधार पर दोनों पक्षों को सजा सुनाई थी। भदौरिया गुट के 4 आरोपियों को 7-7 साल व मयंक जाट गुट के 7 आरोपियों को 6-6 साल कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। सजा के खिलाफ अपील पर हाईकोर्ट की इंदौर बेंच से मयंक जाट को 21 दिसंबर 2022 को जमानत मंजूर की थी। 2 फरवरी 2024 को इंदौर हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक जमानत लेते समय अदालत के समक्ष यह गलत कहा था कि अपीलकर्ता मयंक जाट के कब्जे से कोई जब्ती नहीं हुई थी। जाट से पिस्तौल की जब्ती व बैलिस्टिक रिपोर्ट को भी अदालत के संज्ञान में नहीं लाया गया था। इसके बाद जमानत निरस्त की अपील के दौरान शासन ने प्रमुखता से साक्ष्यों के आधार पर यह बताया था कि मयंक से जब्त पिस्तौल चालू हालत में पाई गई और उक्त पिस्तौल से ही मौके पर फायर हुए थे। आदेश में ट्रायल कोर्ट को मयंक जाट की गिरफ्तारी के लिए विधि अनुसार कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया है।