– हिंदू- मुस्लिम मिलकर करते आयोजन, तीन दिवसीय मेले में आज रंगारंग आर्केस्ट्रा का आयोजन
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। मध्य प्रदेश के रतलाम जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम चिकलाना में चैत्र नवरात्रि के दसवें दिन दशहरा उत्सव परंपरानुसार शुरू हुआ। रावण की नाक काटकर इस अनोखी परपंरा को हिन्दू-मुस्लिम दोनों मिलकर निभाते हैं। बड़े स्तर पर तीन दिवसीय मेला भी आयोजित किया जाता है। मेले का समापन 19 अप्रैल 2024 को होगा। इस अवसर पर रात में रंगारंग आर्केस्ट्रा का आयोजन किया जाएगा। खास बात यह है कि इस अनूठे कार्यक्रम को वृहद स्तर पर सफल बनाने के लिए चिकलाना सहित आसपास के गांव के हिंदू और मुस्लिम समाज के लोग शामिल होकर तैयारी में हिस्सा लेते हैं। इसी को लेकर रावण वध के पूर्व वर्षों से सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल को कायम रख रहे ग्राम के पीर मोहम्मद मंसूरी तथा जरदाद खां पठान का मेला समिति द्वारा सदभावना सम्मान किया।


दरसअल, गांव की इस अनोखी परंपरा में ग्रामीण चैत्र नवरात्रि के दसवें दिन भव्य समारोह आयोजित कर भाले से रावण की नाक काटकर उसका अंत करते हैं। यहां शारदीय नवरात्रि के दशहरे पर रावण दहन नहीं होता है। इसके पहले गांव में भव्य समारोह का आयोजन होता है, जिसके बाद राम और रावण की सेना कार्यक्रम स्थल पर पहुंचती है यहां दोनों सेना के बीच वाक युद्ध भी होता है, जिसके बाद रावण का अंत किया जाता है।
आपको बता दें कि यहां रहने वाले लोगों से जब इसके पीछे की वजह पूछी गई तो वे बताते हैं कि प्रसिद्ध कहावत नाक कटना का मतलब है बदनामी होना, लिहाजा रावण की नाक काटे जाने की परंपरा के पीछे यह अहम संदेश छिपा है कि बुराई के प्रतीक की सार्वजनिक रूप से निंदा के जरिये उसके अहंकार को नष्ट करने में हमें कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। लोग यह भी बताते हैं कि रावण ने माता सीता का हरण किया था, इसी अपमान का बदला लेने के लिए अब यहां लोग रावण की नाक काटकर उसका अपमान करते हैं।
युद्ध से पहले हुआ श्री हनुमान चालीसा का पाठ
आयोजन में गांव के सभी धर्म-समाजजनों ने शामिल होकर सांप्रदायिक एकता की मिसाल पेश की। ग्राम में नृसिंह माता मंदिर से वाड़ी (यात्रा) निकाली गई, जो ग्राम के प्रमुख मार्गों से होकर लाल माता तालाब में विसर्जित हुई। साथ ही श्री हरि मंदिर से श्रीराम शोभायात्रा निकाली, जो ग्राम के प्रमुख मार्गों से होकर दशहरा मैदान स्थित रावण प्रतिमा स्थल पर पहुंची। जहां रावण वध के पूर्व श्री हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। इसके बाद राम और रावण की सेना के बीच वाक युद्ध हुआ।
भाले से रावण की नाक छेदन कर वध
पांच पीढ़ियों से हनुमान का किरदार निभा रहे ग्राम के बैरागी परिवार के रामदास बैरागी ने गदा से रावण की नाभि पर वार किया। साथ ही ग्राम के राजपूत समाज के वरिष्ठ दलेल सिंह चंद्रावत ने परंपरा अनुसार भाले से रावण की नाक छेदन कर वध किया। साथ ही रामदास बैरागी का नागरिक अभिनंदन किया गया। रावण वध के बाद विजय जुलूस के रूप में राम यात्रा पुनः मंदिर आकर विसर्जित हुई।
स्थाई रावण की 15 फीट की प्रतिमा बनवा दी
गांव के लोग बताते हैं कि पहले हमारे गांव को यह परंपरा औरों से अलग है। पहले हर साल रावण का पुतला बनाया जाता था, लेकिन पांच-छह साल पहले यहां 15 फीट ऊंची रावण की दस सिरों वाली स्थायी मूर्ति बनवा दी गई है। गांव में जिस जगह रावण की यह मूर्ति स्थित है, उसे दशहरा मैदान घोषित कर दिया गया है। यहीं हर साल परंपरा का निर्वाह किया जाता है।चिकलाना गांव में इस परंपरा के पालन से जुड़े परिवार का कहना है कि चैत्र नवरात्रि की यह परंपरा हमारे पुरखों के जमाने से निभाई जा रही है, इसलिए हम भी इसी का पालन कर रहे हैं। परंपरा के मुताबिक ही गांव के प्रतिष्ठित परिवार का व्यक्ति भाले से पहले रावण के पुतले की नाक पर वार करता है, यानी सांकेतिक रूप से उसकी नाक काट दी जाती है। ग्रामीण बताते हैं कि परंपरा के तहत रावण दहन से पहले शोभायात्रा निकाली जाती है। ढोल बजते हैं और गांव के हनुमान मंदिर से चल समारोह निकलकर दशहरा मैदान तक जाता है। राम और रावण की सेनाओं के बीच वाकयुद्ध का रोचक संवाद होता है। इस दौरान हनुमान की वेश-भूषा वाला व्यक्ति रावण की मूर्ति की नाभि पर गदा से तीन बार वार करते हुए सांकेतिक लंका दहन भी करता है।