– रतलाम निगम की ओर से जल्द होगा हाईकोर्ट में जवाब पेश
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। बहुचर्चित राजीव गांधी सिविक सेंटर के भूखंडों की रजिस्ट्री को लेकर दांव-पेंच का खेल जारी है। वर्ष-2008 में रतलाम नगर निगम से नियमों के शिथिल की मांग पर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की अध्यक्षता में सितंबर 2008 में हुई कैबिनेट की बैठक में स्वीकृति दी गई थी। हाल ही में मचे सिविक सेंटर संपत्ति विक्रय के बवाल में परिषद से मामले को दूर रखना भी कई सवालों को जन्म दे रहा है। रतलाम नगर निगम मामले में कानूनविदों के माध्यमों से राय-मशवरा कर जून माह के नए सप्ताह में उच्च न्यायालय (हाईकोर्ट) में जवाब सहित अपना पक्ष रखने जा रही है।
राजीव गांधी सिविक सेंटर के भूखंड़ों की रजिस्ट्री निरस्त कराने के निगम परिषद के निर्णय सहित अन्य कार्रवाई में रतलाम निगम को झटका लग सकता है। हालांकि मामले में अभी हाईकोर्ट से स्टे मिला हुआ है। हाईकोर्ट की ओर से रतलाम नगर निगम इन दिनों अपनी ओर से जवाब प्रस्तुत करने के लिए तैयारी में जुटा है। रतलाम निगम प्रशासन की ओर से आगामी सुनवाई में जवाब प्रस्तुत होने के बाद ही प्रकरण की दिशा तय होगी। शनिवार को सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी सामने आने के बाद नई चर्चा छिड़ गई है कि सिविक सेंटर के रिक्त भूखंड़ों की रजिस्ट्री तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की अध्यक्षता में सितंबर-2008 की कैबिनेट बैठक की स्वीकृति के आधार पर हुई है। वर्ष-2008 के प्राप्त आदेश की कॉपी के अनुसार रतलाम नगर निगम द्वारा भेजे राज्य शासन को पत्र के बाद मामले को कैबिनेट में रखने से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री चौहान सहित अधिकारियों ने विधि विभाग, वित्त विभाग की मामले में नोटशीट पर टीप ली थी। इसमें विधि विभाग ने उल्लेख किया कि नियमों के अंतर से घोष विक्रय के अभाव में यदि संपत्ति का उचित मूल्य नर पालिक निगम को नहीं मिल सका है और वह घाटा सहन करने को तैयार है तो उसे ऐसी अनुमति दी जा सकती है। क्योंकि नियमों में परिवर्तन का अधिकार राज्य शासन को है। इसके बाद 30 सितंबर 2008 को हुई कैबिनेट की बैठक के आयटम नंबर 21 पर इसे स्वीकृति देकर निर्णय लिया गया कि नगर सुधार न्यास रतलाम द्वारा पूर्व में निर्मित संपत्ति के विक्रय की कार्योत्तर स्वीकृति नगर निगम को दी जाए। विक्रय योग्य शेष संपत्ति को रतलाम नगर निगम रतलाम द्वारा मप्र नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 में वर्णित प्रावधान अनुसार विक्रय की अनुमति इस शर्तों पर दी जाती है कि विक्रय से प्राप्त राशि केवल हुडक़ों से लिए गए ऋण को चुकाने में व्यय की जाएगी। संपत्ति के मूल्य में हुई कमी की प्रतिपूर्ति राज्य शासन द्वारा नहीं की जाएगी। इस निर्णय के बाद 31 अक्टूबर 2008 को नगरीय प्रशासन विभाग के तत्कालीन उप सचिव एसके उपाध्याय ने नगर निगम आयुक्त रतलाम को राज्य शासन द्वारा दी गई अनुमति का आदेश जारी किया था।
रतलाम निगम ने इन योजनाओं की मांगी थी अनुमति
रतलाम निगम प्रशासन ने पूर्व में राज्य शासन को पत्र लिख राजीव गांधी सिविक सेंटर के रिक्त 36 भूखंड, 132 भवन, पंडित प्रेमनाथ डोंगरे नगर के 558 भवन एवं 56 भूखंड, मुखर्जी नगर के 133 भवन व 2 भूखंड, देवरा देवनारायण नगर के18 भवन व 5 भूखंड, इंद्रानगर पूर्व के 6 भूखंड, कस्तूरबा नगर के 4 भूखंड, कलीमी कॉलोनी का 1 भूखंड, अर्जुन नगर के 19 भवन और अमृत सागर कॉलोनी के 32 भवन को घाटे में विक्रय करने की अनुमति मांगी थी, जिसको लेकर अनुमति कैबिनेट बैठक में लिए गए निर्णयों के आधार पर प्राप्त भी हुई। राज्य शासन के आदेश के बाद विकास शाखा की 9 योजनाओं में भूखंड़ों की रजिस्ट्री लगातार होती रही और इसी के कारण महापौर परिषद, निगम परिषद से इसकी अनुमति लेना अनिवार्य नहीं माना जाता है।
कोर्ट में पेश करेंगे जवाब
राजीवगांधी सिविक सेंटर के मामले को लेकर हाईकोर्ट ने रतलाम नगर निगम से जवाब मांगा है। हम उक्त जवाब को जल्द प्रस्तुत करेंगे। चूंकि मामला न्यायालय में है, इसलिए अभी ज्यादा कुछ नहीं बोल सकते हैं। – हिमांशु भट्ट, कमिश्नर- नगर निगम रतलाम (मध्य प्रदेश)