रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। मध्य प्रदेश शासन के निर्देशानुसार प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय रतलाम में दो दिवसीय गुरु पूर्णिमा उत्सव का भव्य आयोजन हुआ। उत्सव के द्वितीय दिवस के अवसर डॉ. संजय वाते के मुख्य आतिथ्य एवं महाविद्यालय की जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष विनोद करमचंदानी द्वारा सरस्वती पूजन एवं दीप प्रज्वल के साथ किया गया। सरस्वती वंदना महाविद्यालय की छात्रा तालेबा खान ने प्रस्तुत की।

कार्यक्रम में महाविद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों की सहभागिता उत्साह पूर्वक रही। महाविद्यालय की प्राध्यापक ऋतम उपाध्याय ने गुरु वंदना प्रस्तुत की। गुरु पूर्णिमा उत्सव के द्वितीय दिवस के अवसर पर विशाल कुमार वर्मा योग एवं प्रकृति चिंतक, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी संस्थान की गीता दीदी, डॉ. अंशु भारद्वाज प्राध्यापक माधव विज्ञान महाविद्यालय उज्जैन, डॉ. मनोहर जैन सेवानिवृत्त प्राध्यापक उपस्थिति थे। अतिथियों का स्वागत शाल श्रीफल एवं पुष्प हार द्वारा किया गया। प्राचार्य डॉ. वायके मिश्र ने गुरु एवं गुरु पूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए विद्यार्थियों को संयम, नियम, योग, ध्यान एवं जीवन में अनुशासन को अपनाने के लिये प्रेषित किया एवं कहां कि अनुशासन में रह कर ही विद्यार्थी सफलता प्राप्त कर सकता है। साथ ही उन्होने संस्थान के विजन एवं मिशन से अवगत कराया ।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ. वाते ने कहा कि गुरु वह है जो अंधकार से उजाले की ओर जाने के लिये प्रेरित करें । विद्यार्थियों को संपूर्ण ज्ञान दे और जीवन को तार दे। इस अवसर पर गुरु के आदर्श और जीवन गाथाओं पर प्रकाश डालते हुए डॉ. अंशु भारद्वाज ने भारतीय ज्ञान परंपरा तथा गुरु शिष्य परंपरा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा भारतीय सनातन पद्धति में गोत्र हमारे गुरु की पहचान बताते है । यह सनातन संस्कृति है जो सप्त ऋषियों के गोत्र से मानव को जोड़ती है । प्रकृति प्रेमी एवं योगाचार्य श्री विशाल वर्मा द्वारा योग एवं ज्ञान विषय पर व्याख्यान के साथ शारीरिक क्रियाओं के महत्व को रेखांकित किया। मनुष्य को शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए योग को जीवन में अपना कर शुद्ध आहार शुद्ध विचार एवं शुद्ध व्यवहार से विद्यार्थी अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी संस्थान की गीता दीदी ने मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा की शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ होना आवश्यक है। वर्तमान समय तनाव, चिंता, भय, हताशा से युवा पीडी ग्रस्त है । ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य को प्राप्त करने के लिए ध्यान एवं योग को अपनाना पडेगा। धर्म गुरू की शरण ही जीवन को शांत एवं सुखमय बनाने के लिये प्रेरित करती है। उन्होंने ध्यान की विभिन्न क्रियाओं को भी करवाया। अर्थशास्त्र के सेवानिवृत प्राध्यापक डॉ. मनोहर जैन ने नवाचार एवं नई शिक्षा नीति को अपनाने के लिये प्रेरित किया। नवाचार नई शिक्षा नीति का मूल मंत्र है जो विद्यार्थियों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करती है। जनभागीदारी अध्यक्ष विनोद करमचंदानी ने भारत के गुरु शिष्य परंपरा का स्मरण करते हुए गुरु को नमन कर कहा कि उनके बताए मार्ग पर चलकर ही जीवन में सफलता प्राप्त की जा सकती है । कार्यक्रम की संयोजक डॉ. इंदु कटारिया ने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सभी को शुभकामना देते हुए कहा कि छात्रों को नैतिक मूल्यों को जीवन में अपनाना चाहिए। इस अवसर पर महाविद्यालय की पूर्व विद्यार्थी हांसी शिवानी एवं प्रो. पदमा भामरा द्वारा कु. महक दसोंदी एवं तालेबा खान को उनकी श्रेष्ठ प्रस्तुतियों के लिए नगद पुरस्कार प्रदान किया गया। कार्यक्रम का संचालन कर रही डॉ. ललिता मरमट ने कहा कि गुरुओं के आदर्शों को वर्तमान में भी अपने की आवश्यकता है। गुरु शिष्य एक दूसरे के पूरक है श्रेष्ठ गुरु एवं कुशल शिक्षक के निर्देशन में रहकर छात्रों का सर्वांगीण विकास होता है और वह राष्ट्र निर्माण में सहायक होता है। इस अवसर पर महाविद्यालय के डॉ. भावना देशपांडे, डॉ. स्वाति पाठक, डॉ. विनोद शर्मा, डॉ. सी.एल. शर्मा, डॉ. के आर पाटीदार, डॉ. निशा जैन, डॉ. अलका कुलश्रेष्ठ, डॉ. मायरानी देवड़ा, डॉ. मंगला चौरागडे, डॉ. भावना डावर, डॉ. कविता ठाकुर, डॉ. निशा जैन, डॉ. एम. एल.बडगोत्या एवं समस्त महाविद्यालय परिवार तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे। आभार डॉ. अर्चना भट्ट द्वारा किया गया।