रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। आधुनिकता के इस दौर में नियमित दिनचर्या से दूर होकर अधिकांश युवा व्यस्त हैं। इस दौर में फिजियोथेरेपी एक कारगर और सुलभ साधन है, जिससे मनुष्य स्वस्थ और निरोगी रह सकता है। इसी उद्देश्य को लेकर रतलाम में वृहद स्तर पर सेमिनार आयोजित किया गया।
उक्त बात डॉ. ईश्वर पाटीदार ने विश्व फिजियोथेरेपी दिवस के उपलक्ष्य में प्रेस क्लब रतलाम में आयोजित सेमिनार में कही। सेमिनार में उज्ज्वला तोमर ने “शिशु रोगों में मनोविज्ञान की भूमिका” पर प्रमुखता से प्रकाश डाला। इसके अलावा इरफान खान ने “फिजियोथेरेपी पर माता-पिता का दृष्टिकोण” विषय को सांझा किया। डॉ. ईश्वर पाटीदार ने दैनिक जीवन में सुधार” को लेकर “ओक्यूपेशनल थेरेपी की विशेषता को समझाया। डॉ. संध्या शर्मा ने “विकलांग बच्चों के लिए सरकारी योजनाएं की जानकारी के साथ सुलभता को बढ़ावा किस प्रकार से दिया जाए, इसको लेकर अपने अनुभव को बिंदुवार समझाया। शशि कुमार ने सेमिनार में “विशेष शिक्षा को लेकर बताया कि आज के दौर में स्पैशल एजुकेशन का विशेष महत्व है। क्योंकि वर्तमान परिदृश्य पिछले एक दशक से परिवर्तित हो चुका है। डॉ. ईश्वर पाटीदार ने बताया कि फिजियोथेरेपी और पुनर्वास में बहु-विषयक दृष्टिकोण के बारे में शिक्षित और संवेदनशील बनाना था। साथ ही बेस्ट फिजियोथैरेपिस्ट के अवार्ड से डॉ वसुंधरा सिंह को सम्मानित किया गया।आयोजन एक प्रश्नोत्तर सत्र के साथ सेमिनार का समाप्त हुआ। इसके पूर्व वक्ताओं को ट्रॉफी प्रदान कर अभिनंदन किया गया।