– भारत के न्याय में एक साथ 98 अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा का मामला संभवतः पहला
कर्नाटक, वंदेमातरम् न्यूज। दलितों के ख़िलाफ़ एक दशक पहले झकझोर देने वाले हिंसा के मामले में कर्नाटक के ज़िला एवं सत्र न्यायालय ने 98 लोगों को आजीवन कारावास और पांच लोगों को साधारण जेल की सज़ा सुनाई है। देश के न्याय के मामले में एक साथ 98 अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा का संभवतः पहला मामला बताया जा रहा है।
172 पन्नों के फैसले में कोप्पल प्रिंसिपल ज़िला और सत्र एवं स्पेशल जज सी चंद्रशेखर ने कहा कि 28 अगस्त 2014 को गंगावती ग्रामीण पुलिस थाना क्षेत्र के मारुकुंबी गांव में अनुसूचित जातियों के ख़िलाफ़ हुई हिंसा ‘सामान्य भीड़ हिंसा के बजाय जातीय हिंसा थी। उस दिन मारुकुंबी गांव के रहने वाले मंजूनाथ जब एक फ़िल्म देखकर लौटे तो उन्होंने वहां रहने वाले लोगों को बताया कि कुछ लोगों ने सिनेमाघर में टिकट खरीदने को लेकर उनसे मारपीट की। इसके बाद गैर अनुसूचित जाति के लोग अनुसूचित जाति की कॉलोनी के क़रीब एक मंदिर में जमा हुए। उन्होंने हमला किया और कारोबारी प्रतिष्ठानों को नष्ट किया और दलित समुदाय के कुछ लोगों के घरों में भी आग लगा दी। ये दलित अनुसूचित जाति में आने वाले मडिगा पंथ से ताल्लुक रखते हैं। सरकारी वकील अपर्णा दामोदार बंदी के अनुसार अनुसूचित जाति के लोगों पर हमला करने वाले मुख्यत: ऊंची जातियों- लिंगायत, भोवी और दूसरे अन्य जातीय समूह के लोग थे।