– उज्जैन लोकायुक्त ने किसान की शिकायत पर चार वर्ष पूर्व किया था लाइनमैन को ट्रेप
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। रिश्वत के मामले में रतलाम कोर्ट के विशेष न्यायाधीश ने मंगलवार को तत्कालीन लाइनमैन को चार वर्ष की सजा और दो हजार रुपए से अर्थदंडि़त किया है। उज्जैन लोकायुक्त टीम ने चार वर्ष पूर्व अभियुक्त को किसान से 7 हार्सपावर की मोटर चलाने के एवज में 5 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए ट्रेप किया था। न्यायाधीश आदित्य रावत ने मामले की सुनवाई करते हुए अभियुक्त तत्कालीन लाइनमैन बंशीदास को सजा सुनाई है। सजा का आदेश प्राप्त होने के बाद अभियुक्त तत्कालीन लाइनमैन बंशीदास को जेल भेज दिया है।
जिला अभियोजन अधिकारी गोविन्द प्रसाद घाटिया ने बताया कि 12 जनवरी 2020 को किसान नानालाल पिता समरथलाल पाटीदार निवासी ग्राम धमेडी (तहसील पिपलौदा) उज्जैन पहुंचकर लोकायुक्त कार्यालय लिखित शिकायत की थी। शिकायत में पाटीदार ने बताया था कि उसकी पत्नी बालीबाई पाटीदार के नाम पर ग्राम नौलखा में 8 बीघा कृषि भूमि है। उक्त कृषि भूमि पर उसके द्वारा ट्यूबवेल से सिंचाई के लिए विद्युत कनेक्शन लिया गया है। इसके बावजूद पंचेवा ग्रीड पर कार्यरत लाइनमैन बंशीदास द्वारा उन्हें परेशान किया जा रहा था कि तुम्हारे ट्यूबवेल की मोटर 7 हार्सपॉवर का लोड ले रही है, जबकि तुम्हारे पास 5 हार्सपॉवर लोड का कनेक्शन है। किसान पाटीदार से लाइनमैन बंशीदास ने 10 हजार रुपए रिश्वत की मांग की थी। रिश्वत नहीं देने पर विद्युत कनेक्शन काटने के लिए धमकाया भी था। शिकायत के आधार पर लोकायुक्त ने किसान को डिजिटल वाइस रिकॉर्डर दिया। अभियुक्त बंशीदास और किसान पाटीदार के मध्य हुई रिश्वत संबंधी बातचीत की रिकॉर्डिंग कराई गई। रिकॉर्डिंग में अभियुक्त लाइनमैन बंशीदास रिश्वत के 10 हजार रुपए की मांग करता हुआ कैद हुआ। अंत में किसान पाटीदार के निवेदन पर अभियुक्त लाइनमैन बंशीदास 5 हजार रुपए रिश्वत के लेने पर सहमत हो गया था। रिश्वत की मांग प्रमाणित के बाद लोकायुक्त टीम ने 13 जनवरी 2020 को जावरा के समीप स्थित होटल पर तत्कालीन लाइनमैन बंशीदास को किसान पाटीदार से 5 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए ट्रेप किया था। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक कृष्णकांत चैहान ने की। मामले में समस्त साक्ष्य और बयानों के आधार पर सुनवाई पश्चात न्यायाधीश रावत ने अभियुक्त तत्कालीन लाइनमैन बंशीदास को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 में दोषसिद्ध पाते हुए 4 वर्ष के सश्रम कारावास तथा 2 हजार रुपए के अर्थदण्ड से दण्डित कर जेल भेज दिया।