– पिछले दिनों प्रॉपर्टी ब्रोकर्स ने मंत्री काश्यप को बताई थी समस्या
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। रतलाम जिले की जमीनों का पूर्व कलेक्टर के आदेश पर रुके जमीनों के नामांतरण प्रकरणों के निराकरण का रास्ता खुल गया है। कैबिनेट मंत्री चेतन्य कुमार काश्यप ने भोपाल में राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा से मुलाकात कर प्रमुखता से मामला उठाया है। साथ ही बताया कि प्रकरण अटकने से हजारों लोग परेशान हो रहे हैं।
भोपाल के वल्लभ भवन में हुई मुलाकात में कैबिनेट मंत्री काश्यप ने राजस्व मंत्री को जानकारी दी कि रतलाम जिले के 175 ग्रामों में 1956-57 से अटके नामांतरण प्रकरणों का निराकरण सक्षम अधिकारियों द्वारा नहीं किया जा रहा। काश्यप ने राजस्व मंत्री को नोटशीट और रतलाम कलेक्टर द्वारा प्रमुख सचिव राजस्व को लिखे पत्र की प्रतिलिपि दी। इसमें उन्होंने बताया कि 1956-57 के बाद 1962 तक जिले के इन 175 ग्रामों का खसरा पंचसाला रिकार्ड ही उपलब्ध नहीं है। इस कारण नामांतरण करने में राजस्व अधिकारियों को कठिनाई आ रही है, जबकि नामांतरण नहीं होने से लोग परेशान है। काश्यप ने राजस्व मंत्री से इस संबंध में सक्षम अधिकारियों को उचित मार्गदर्शन एवं निर्देश प्रदान कर अटके हुए नामांतरण प्रकरणों का निराकरण करवाने को कहा है ताकि लोगों को कोई भी परेशानी न हो। उनके साथ मनोहर पोरवाल भी मौजूद रहे।
सिस्टम का खामियाजा भुगत रही जनता
जानकारों के अनुसार पहला बंदोबस्त 1956-57 में हुआ था। इसके बाद 1959 भू राजस्व संहिता आ गई। इसमें धारा 158 में शासन ने जो आदमी जहां काबिज है, उसको वहां के भू स्वामी पट्टे दे दिए। इसके बाद कई बार रजिस्ट्रियां और नामांतरण हो गए। दिक्कत तब आई जब तत्कालीन कलेक्टर ने 1956-57 के रिकॉर्ड के आधार पर ही नामांतरण करने के आदेश दे दिए। इधर तहसील कार्यालय में 1958 से 1962 तक का रिकॉर्ड ही नहीं है। 1962 के बाद कई के बार सरकारी रिकॉर्ड भी है, लेकिन मान्य नहीं किया जा रहा। 1956-57 का रिकॉर्ड अफसर प्रॉपर्टी वालों से मंगवा रहे हैं।