असीम राज पाण्डेय, रतलाम। रतलाम की राजनीति इन दिनों दिलचस्प मोड़ पर है। चर्चा आमजन के बीच जोरों पर है कि नगर सरकार के माननीय और उनके पुत्र के जन्मोत्सव पर पूरे शहर को होर्डिंग्स और बैनरों से पाट दिया गया। बड़ी-बड़ी तस्वीरों वाले ये होर्डिंग्स लोगों के बीच कौतूहल का विषय बने रहे। पढ़े-लिखे नागरिकों ने इसे लेकर तंज कसना शुरू कर दिया। क्या रतलाम में सिर्फ बाप-बेटे ही जन्मदिन मनाएंगे? चौराहों पर कानाफूसी चल रही है कि नगर सरकार को शहर के विकास से ज्यादा अपने उत्सवों की चिंता है। हाल ही में अलकापुरी चौराहे पर हुए रंगोत्सव में दो दिन तक अंतरराज्यीय मार्ग अवरुद्ध कर जनता को परेशान किया गया। अब माननीय ने खुद अपने और बेटे के बैनर लगवाकर अपने पॉवर का प्रदर्शन किया। सामान्यत: समर्थक अपने नेता के जन्मदिन पर होर्डिंग्स लगाते हैं, लेकिन यहां तो नेताजी को खुद अपनी पोस्टरबाजी करनी पड़ रही है। इससे साफ है कि कार्यकर्ताओं की निष्ठा कितनी कमजोर हो चली है। ये अंदर की बात है… कि माननीय के पॉवर से आम जनता में रोष उनकी चर्चा में झलक रहा है।

युवकों की ईमानदारी पर रेल खाकी का ठप्पा
हाल ही में कुछ ईमानदार युवकों को ट्रेन में एक बैग मिला, जिसमें आभूषण और नगदी थी। ईमानदारी दिखाते हुए वे सीधे रेल खाकी के थाने पहुंचे और बैग जमा कराने का प्रयास किया। लेकिन यहां उनका स्वागत शाबाशी से नहीं, बल्कि डांट-फटकार से हुआ। रेल खाकी ने पांच घंटे तक युवकों को सवालों के जाल में उलझाए रखा। हद तो तब हो गई जब बैग में मिले आभूषणों को तौलने के लिए उन्हीं से तौल कांटा मंगवाया गया। युवकों को अहसास हुआ कि जिन पर सुरक्षा की जिम्मेदारी है, वे ही अपनी कार्यप्रणाली से संदेहास्पद लग रहे हैं। रेल खाकी पर संदेह की सुई घूमने पर युवक जिले के कप्तान के पास पहुंचे। कप्तान ने जब रेल खाकी के मुखिया को फोन किया, तब जाकर आनन-फानन प्रेस नोट जारी हुआ। लेकिन इस नोट में रेल खाकी ने खुद को हीरो बताने की पूरी कोशिश की। ट्रेन में बैग चेकिंग के दौरान मिलना बता दिया। जबकि खुद युवक थाने में यह बैग देने के लिए गए। ये अंदर की बात है… कि अगर ये बैग पहले रेल खाकी के हाथ लग जाता, तो मामला कुछ और होता। शायद इसीलिए उन्हें खीझ हो रही थी कि इतना कीमती बैग सीधा उनके पास क्यों नहीं पहुंचा।
मदहोश विभाग में दो तारों के साहब की डोली नीयत
शहर के तालाब किनारे एक कॉलोनी में हाल ही में मदहोश विभाग (अवैध मदिरा के खिलाफ कार्रवाई करने वाली टीम) ने छापा मारा। बड़ी मात्रा में अवैध शराब जब्त की गई। लेकिन रात के अंधेरे में जो खेल खेला गया, उसने विभाग की नीयत पर ही सवाल खड़े कर दिए। टीम में शामिल दो तारों के साहब ने शुरुआत में लेन-देन कर मामला निपटाने की कोशिश की। जब बात नहीं बनी, तो ब्लैकर और मकान मालिक को छोड़ने के लिए बड़ी रकम मांगी गई। मामला हाथ से निकलता देख, उन्होंने केवल छोटे आदमी को आरोपी बनाकर स्टेशन रोड स्थित कार्यालय ले आए। सुबह होते ही यह खबर आग की तरह फैल गई। जब मामला जिला प्रमुख के पास पहुंचा, तो उन्होंने दो तारों के साहब को कड़ी फटकार लगाई और ब्लैकर को भी आरोपी बनाने के निर्देश दिए। इससे उनके आधे अरमान पानी में बह गए। इसके बाद साहब मकान मालिक को केस से बचाने के लिए जज की भूमिका में आ गए। “वह यहां नहीं रहता” लेकिन मदहोशी में वे शायद भूल गए कि न्याय संहिता सभी के लिए समान होती है। ये अंदर की बात है… कि मकान मालिक को बचाने के एवज में दो तारों के साहब ने मोटी रकम डकारी है। शहर में चर्चा है कि मदहोश विभाग अब खुद ही नशे में डगमगा रहा है।