असीम राज पाण्डेय, रतलाम । जिले की खाकी इन दिनों दोहरी मुसीबत में है। एक तरफ अपराधियों से जूझना, दूसरी तरफ नेताजी के फोन कॉल से। फूलछाप पार्टी के एक नेताजी हर थाने के काम में ऐसे घुस गए हैं जैसे घर की रसोई में पकने वाली सब्जी में नमक। “भाईसाब, की नेतागिरी से खाकी काम को लेकर परेशान है। पहले तो नेताजी थाने पर फोन कर नेतागिरी चमकाते थे, अब सीधे अधिकारियों के मोबाइल की घंटी बजा देते हैं। हालत ये हो गई है कि एक खाकीधारी ने तो यहां तक मन बना लिया है कि अवैध कार्यों को संरक्षण देने में माहिर यह नेताजी अगर दखल अंदाजी से बाज नहीं आए तो उन्हें कार्यालय में आमंत्रित कर कह दिया जाएगा कि नेताजी आप मेरी कुर्सी संभाल लीजिए। ये अंदर की बात है… कि नेताजी आमजन की परेशानी को लेकर नहीं बल्कि गुंडे – बदमाश सहित जुआरियों के क्लब और सट्टे के अड्डे के सुचारू संचालन के लिए घड़ी घड़ी अपने पावर को दिखाने के लिए मोबाइल फोन घनघनाते हैं।

शिक्षा विभाग या ‘कमीशन विभाग’?
बच्चों का भविष्य बनाने वाली संस्था अब खुद ‘भविष्यवाणी’ कर रही है “स्कूल खोलो, कमीशन भरो, मान्यता लो।” रतलाम जिले में शिक्षा विभाग के साहब ने ‘25-30 हजार रुपए प्रति स्कूल’ का नवीनीकरण रेट तय किया है। उनके जिम्मे कुल 213 स्कूल का सीधा गणित 50 लाख का टारगेट है। ये टारगेट कोई सरकारी दस्तावेज़ नहीं, बल्कि साहब के भ्रष्टाचारी दिमाग की स्लेट पर लिखा गया है। मगर गड़बड़ तब हुई जब फूलछाप पार्टी के एक नेता के स्कूल की भी मान्यता अवैध वसूली से पास हुई। अब तो साहब के पत्ते खुल गए। टारगेट चकनाचूर, और साहब अब सोच रहे हैं “नेताजी आप मुझसे सीधे मिल लेते, इतना भी क्या ईमानदारी दिखाना कि मेरी ‘कमाई योजना’ ही लीक कर दी। ये अंदर की बात है… कि जिले के हर विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है। शिक्षा के मुख्यालय में पहले बच्चों के लिए खरीदी जाने वाली सामग्री में 50 प्रतिशत का खेल जारी था, लेकिन ब्लॉक के नए साहब ने एक नया खेल खेला।
स्वास्थ्य विभाग में ‘स्वस्थ भ्रष्टाचार’
नगर की सफाई व्यवस्था की हालत देख के जनता कह रही है “यहां तो सफाई से ज़्यादा सफाई अधिकारी के कारनामे गुल खिला रहे हैं!” समिति प्रभारी ने चार महीने पहले जो शिकायत की थी, वह इतनी सफाई से दबा दी गई कि खुद फाइलें अब नथुनों से सांस ले रही हैं। जांच सौंपी गई उस अधिकारी को, जिनका रिकॉर्ड ऐसा है कि बिना “हरि-चरण” के फाइल हिलती नहीं। विभाग के बड़े बाबू ने शिकायत की औपचारिकता निभाने के लिए शासन की अमानत में ख़यानत करने वाले से मामले की जांच करवाकर औपचारिकता निभाई। बड़े बाबू ने अपने अधिकार का उपयोग नहीं करते हुए जांच की गेंद माननीयों के पाले में फेंक दी। ये अंदर की बात है… कि विभाग के बड़े बाबू ने स्वास्थ्य अधिकारी को बचाने के लिए भ्रष्ट अधिकारी ( जांचकर्ता ) से कुछ इस तरह उम्मीद जताई जैसे गेंहू की रखवाली कौआ करे।