20.2 C
Ratlām
Monday, December 23, 2024

सांसारिक मोह त्याग मां, पिता, बेटी बन गए जैन संत, दीक्षा ग्रहण कर किया विहार

रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
पांच दिनी आत्म कल्याण उत्सव अंतर्गत शनिवार को सांसारिक मोह त्याग कर परमात्मा के पथ पर रतलाम के सकलेचा परिवार के तीन सदस्य अग्रसर हो गए। पिता, पुत्री और मां ने एक साथ दीक्षा ग्रहण कर जैन संत बन गए।आत्मकल्याण भूमि (सागोद रोड स्थित जेएमडी परिसर) पर दीक्षा प्रक्रिया पश्चात मुनिराज श्री कल्याणरत्नविजयजी महाराज ने दीक्षार्थी वल्लभ भाई (48) को मुनिराज श्री सिंहसत्व विजयजी महाराज साहब, दीक्षार्थी वर्षा बहन (47) को साध्वीजी निरतिचारश्रीजी एवं कुमारी केजल बहन (17) को साध्वी निरभिमानश्रीजी के नाम की घोषणा की। सांसारिक मोह माया को त्यागने के बाद तीनों दीक्षार्थी अब जैन संत के रूप में जाने जाएंगे।

IMG 20220504 WA0266
यह रतलाम के सकलेचा परिवार के सदस्य जो अब बन गए जैन संत।

राकेश मन्नालाल सकलेचा परिवार द्वारा आयोजित आत्म कल्याण महोत्सव अंतर्गत शनिवार सुबह 6 बजे दीक्षास्थल पर खुशी के साथ तीन दीक्षार्थियों के बिछड़ने के गम सभी की आंखें नम किए हुए थी। मुनिराज श्री कल्याणरत्नविजयजी महाराज की गुरूवंदन पश्चात भावुक क्षण में मुमुक्षरत्न तब देखने को मिला जब दीक्षार्थी पिता, पुत्री और मां ने एक दूसरे को विजय तिलक लगाया। इसके पश्चात दीक्षार्थी वल्लभ भाई, वर्षा बहन और कुमारी केजल ने मुनिराज श्री कल्याणरत्नविजयजी महाराज को अक्षत (चावल) से बदारा। सांसारिक जीवन त्यागने से पूर्व तीनों दीक्षार्थियों ने मुनिराज श्री कल्याणरत्नविजयजी महाराज के निर्देशन में भगवान श्री महावीरजी की प्रतिमाओं का अंतिम द्रव्य पूजन के बाद दीक्षा ग्रहण की। इसके बाद तीनों दीक्षार्थियों ने तपस्या के दौरान एक भी जीव नहीं मरे इसके लिए शुभ मंगल क्रिया में हिस्सा लेकर संकल्प प्राप्त किया। संकल्प क्रिया के बाद स्नान करवाकर सन्यासी वस्त्र धारण और केशलोचन प्रक्रिया पूरी की गई। दीक्षा के बाद मुनिराज श्री कल्याणरत्नविजयजी महाराज के साथ नवीन दीक्षार्थी ने भी अहमदाबाद के लिए विहार (रवाना) हो गए।
मुनिराज ने पूछा बताओं सुख में कौन आप या मैं?
दीक्षा प्रक्रिया के बाद मुनिराज श्री कल्याणरत्नविजयजी महाराज ने प्रवचन दिए। मुनिराज श्री कल्याणरत्नविजयजी महाराज ने संबोधित करते हुए कहा कि यूनिवर्सल लॉ के अनुसार ही आपकों जीना है। अभी तक सांसारिक जीवन में आपने बहुत दौलत, भौतिक सुख-सुविधाएं सहित व्यवहार से लोगों को एकत्र किया। मुनिराज ने कहा कि उन्हें 19 साल दीक्षा प्राप्त किए हो गए और आप यानी श्रावक को 19 साल शादी किए हो गए। आप और मुझमें दोनों में सुख में कौन है?  मुनिराज ने विश्वविख्यात लता मंगेस्करजी के अंतिम दौर का इंटरव्यू का संस्मरण भी श्रावकों को सुनाया। मुनिराज ने बताया कि लताजी जब बीमार हुई थी तब इंटरव्यू के दौरान उनसे सवाल किया गया था कि अगले जन्म में आप क्या बनना चाहती हैं? लताजी का जवाब था कि अगले जन्म में मैं लता नहीं बनना चाहती। साधु के पास कुछ नहीं रहता फिर भी वह सुखी दिखाई देता है। दीक्षा का मतलब मन की शांति, खुशी और आनंद के साथ आत्मकल्याण प्राप्त कर परमात्मा को प्राप्त करना है।
उज्जैन सांसद फिरोजिया पहुंचे आशीर्वाद लेने

5
उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया आशीर्वाद लेते हुए।

आत्मकल्याणक भूमि (सागोद रोड स्थित जेएमडी पैलेस) दीक्षा महोत्सव में उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया मुनिराज, पूर्व गृह मंत्री हिम्मत कोठारी श्री कल्याणरत्न विजयजी महाराज का आशीर्वाद लेने पहुंचे। इस दौरान भाजपा जिला महामंत्री प्रदीप उपाध्याय, भाजपा नेता प्रवीण सोनी के अलावा आयोजनकर्ता राकेश मन्नालाल सकलेचा परिवार सहित बड़ी संख्या समाजजन मौजूद रहे। सांसद फिरोजिया का आत्मीय अभिवंदन पश्चात मुनिराज से आशीर्वाद लेने के बाद दीक्षास्थल पर भाजपा नेता भी सांसद से मुलाकात करने पहुंचे।

Latest news
Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Copyright Content by VM Media Network