रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
शहर के आंबेडकर नगर निवासी 10 साल के बालक के माता – पिता गरीब , बेबस और मजबूर हैं, लेकिन उनका दिल उम्मीदों से भरा है। बालक को बचपन में पीलिया होने के बाद डॉक्टर ने ऑपरेशन किया और कहा कि बड़ा होने पर लीवर ट्रांसप्लांट कराना होगा यह बात सुन माता – पिता के पैरों से जमीन खिसक गई थी। इस पर भी वे हिम्मत नहीं हारे और दोनों ने अपना लीवर देने की ठान ली थी। कर्जा लेकर अभी तक उन्होंने बालक का इलाज कराया, अब लीवर ट्रांसप्लांट की बारी आई तो डॉक्टरों ने 30 लाख खर्च बताया राशि के इंतजाम के लिए वे इधर – उधर भटक रहे हैं ।
अरुण ने बताया कि वह जूते – चप्पलों की दुकान पर काम करता है। जैसे – तैसे परिवार के लोगों को पालन – पोषण करता हूं। बेटे की गंभीर बीमारी में राशि की मदद के लिए शासन , प्रशासन , जनप्रतिनिधियों से मिलने के साथ सीएम हेल्पलाइन में आवेदन किया, मगर कहीं से उम्मीद की किरण नजर नहीं आ रही है। गौरव के इलाज में 10 लाख से ज्यादा का खर्च हो चुका है। इसमें परिवार , रिश्तेदार , दोस्त , आस – पड़ोसियों से 3 लाख रुपए का कर्ज ले रखा है उन्होंने बताया रुपयों की आवश्यकता होने पर पत्नी के जेवर के अलावा उसका मंगलसूत्र भी बेच दिया है जैसे – जैस समय बीतता जा रहा है गौरव की तबीयत बिगड़ रही है गौरव से छोटा 5 साल का बेटा यथार्थ है। अरुण ने उनके मोबाइल नंबर 7987613769 पर संपर्क कर मददगारों से मदद करने की अपील की है ।
ट्रांसप्लांट में 30 लाख का है खर्च
सज्जन मिल रोड स्थित आंबेडकर नगर निवासी अरुण और दीपिका कामले का 10 साल का बेटा गौरव है। जब वह पैदा हुआ था तो उसकी आंखें पीली थी। डॉक्टरों को बताने पर उन्होंने कहा पीलिया है जल्द ठीक हो जाएगा। गौरव दो माह का था तब इंदौर निवासी परिवार में गमी होने पर अरुण व दीपिका गए थे, जहां गौरव की तबीयत खराब होने पर एक निजी अस्पताल में दिखाया तो उन्होंने बताया लीवर की परेशानी बताई। इसके बाद बडोदरा में इलाज कराया तब अस्थायी रूप से ऑपरेशन कर डॉक्टरों ने बड़ा होने पर लोवर ट्रांसप्लांट की बात कही थी। तभी से वडोदरा का इलाज चल रहा है। डेढ़ साल पहले खून की उल्टी होने पर उसे रात को वडोदरा लेगए , डॉक्टरों ने लीवर के 80 प्रतिशत खराब होने की बात कही। इसके बाद अहमदाबाद दिखाया। इसके बाद चेन्नई दिखाया जहां के डॉक्टरों ने दो माह में लीवर ट्रांसप्लांट की बात कही थी और खर्च 30 लाख रुपए के लगभग बताया। रुपयों की व्यवस्था नहीं होने के कारण चार माह बीत गए हैं।