रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
वरिष्ठ समाजसेवी महेंद्र गादिया का हृदय गति गति रूकने से निधन की सूचना पर किसी को विश्वास नहीं हुआ। ना जाने क्या हुआ … कैसे हुआ शनिवार सुबह मिलने वाला हंसता मुस्कराता चेहरा हर दिल अजीज समाजसेवी गादिया देर शाम दुनिया को अलविदा कह गए। अंतिम दर्शन के लिए पैलेस रोड पर बड़ी संख्या में लोगों का हुजूम जमा हुआ और मुक्तिधाम तक पुष्पवर्षा कर नम आंखों से अंतिम विदाई दी।
समाज के किसी भी वर्ग के पीड़ित की सेवा के लिए तत्पर रहने वाले दिवंगत गादिया आमजनता के अधिकार के लिए विरोध करने से भी पीछे नहीं थे। समाजसेवा के अलावा हजारों की भीड़ का शांतिपूर्वक नेतृत्व के माध्यम से प्रदर्शन में माहिर दिवंगत गादिया के निधन की सूचना पर किसी को यकीन नहीं हुआ। रविवार को हजारों लोगों ने समाजसेवी को अंतिम विदाई दी । उनके पैलेस रोड स्थित निवास से सुबह अंतिम यात्रा का काफिला शुरू हुआ, हर एक शख्स के चेहरे पर मायूसी …. बस मौन और आंखों में आंसू नजर आए।
ऐसा फरिश्ता जिसका रिश्ता सिर्फ सेवा के लिए रहा समर्पित
स्व. महेंद्र गादिया रतलाम के ऐसे फरिश्ते थे, जिसका रिश्ता सिर्फ सेवा के लिए समर्पित रहा। भारतीय रेडक्रॉस के रतलाम में चेयरमैन रहने के बाद अब प्रदेश रेडक्रॉस में कार्यकारणी सदस्य के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भाजपा, रोटरी क्लब सहित जैन समाज की अनेको संस्थाओं में उनकी अहम भूमिका रहती थी। उन्हें राजनीति पसंद नहीं थी, लेकिन राजनीति करने वालो के मददगार जरूर बन जाते थे। शनिवार को उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था लेकिन उन्होंने इसकी परवाह नहीं कि और सामाजिक गतिविधियों में पूरी जिम्मेदारी से रहे और शाम होते होते उनके दिल की धड़कन शहर के एक निजी अस्पताल में पहुंच कर थम गई। मुक्ति धाम पर बेटे प्रितेश जैन ने मुखाग्नि दी। जैन समाज सहित अनेक सामाजिक संगठनों, राजनीतिक लोगों आदि ने अंतिम यात्रा में शामिल होकर मुक्तिधाम में श्रद्धांजलि अर्पित की।