असीम राज पांडेय, केके शर्मा, जयदीप गुर्जर
रतलाम। नई नवेली नगर सरकार में इन दिनों “नट्टू काका” खासे सुर्खियों में बने हुए हैं। पहली बार भाजपा के टिकट से चुनाव लड़कर नई नवेली सरकार में एमआईसी का मलाईदार विभाग लेकर बल्लेबाजी कर रहे “नट्टू काका” अब भाजपा पार्षदों के अलावा पार्टी की नजर में आ गए हैं। कालिका माता मेला हो या फिर त्रिवेणी मेला। दोनों में होने वाले सांस्कृतिक आयोजन में “नट्टू काका” की बल्लेबाजी ने सभी को हैरान कर दिया। पर्दे के पीछे से “नट्टू काका” ने मनमाने तौर पर एजेंसियों को काम दिलाया तो भुगतान होते ही प्रत्येक एजेंसी से 30 से 40 फीसद राशि वसूल चुनाव खर्च को पाट दिया। एमआईसी गठन के मात्र चार माह में दूसरे विभागों के साथ अन्य वार्डों में हस्तक्षेप ने “नट्टू काका” के व्यवहार में नींबू निचोड़ दिया और उनके खिलाफ शिकायत का दौर शुरू हो चुका है।
![](https://www.vandematramnews.com/wp-content/uploads/2024/09/IMG-20240918-WA0017.jpg)
और सफेद वर्दी ने वसूल लिए 50-50 रुपए
शहर की बदहाल यातायात व्यवस्था सुधारने में नाकाम सफेद वर्दी का विभाग सुबह-सुबह की ठंड में जेब गर्म करने में जुटी हुई है। वाक्या शनिवार सुबह स्टेशन रोड क्षेत्र का है। यहां प्रसिद्ध चाय की दुकान से चुस्कियां भरकर सफेद वर्दी के दो तारों के साहब ने अमले में शामिल दो कर्मियों को ऑटो रुकवाने का फरमान जारी किया। आदेश के पालन में 3 ऑटो रुकवाकर कागज जांचे। सभी के कागज दुरुस्त पाने के बाद तीनों सफेद वर्दीधारियों ने एक-दूसरे का चेहरा देखा और खर्चे पानी की भीख मांग ली। ऑटो चालक भी आपस में मुस्कराए और तीनों की जेब 50-50 रुपए से गर्म कर वहां से निकल गए। मसला जब भाजपा के कद्दावर नेता तक पहुंचा तो उन्होंने सफेदवर्दियों के तीन तारों के मुखिया “रॉकी” को मोबाइल घनघना कर नाराजगी जताई कि कर्मचारियों की अगर तनख्वाह नहीं आ रही तो आटा भी भिजवा दूं। यह सुन तीन तारों के साहब “रॉकी” भी सकपका कर निरुत्तर रह गए।
साहब की “साहबगिरी” सेवानिवृत्त के बाद भी बरकरार
जिले की नवाबों की नगरी से लेकर नमकीन नगरी तक काफी लंबे समय से पदस्थ रहे जिला प्रशासन के दूसरे नंबर के मुखिया की सेवानिवृत्ति करीब दो माह पहले हो चुकी है। लेकिन बड़े साहब की “साहबगिरी” अभी तक बरकरार बनी हुई है। सरकारी बंगले पर जमे होने के साथ ही बंगले में चाकरी में जुटे पूर्व से पदस्थ छोटे-छोटे सरकारी कर्मचारियों की सेवा बदस्तूर ली जा रही है। इससे छोटे कर्मचारी भी परेशान है। चूंकि छोटे कर्मचारी है तो कुछ बोल नहीं सकते, परन्तु अंदर ही अंदर साहब के रुबाव भरे आदेश कर्मचारियों को कसौटते जरूर हैं। साहब भले ही सेवा से निवृत हो चुके हो लेकिन बंगले की सुविधाओं के अलावा छोटे कर्मचारियों को जारी होने वाले फरमान में रुबाव ठीक वैसा ही है, जैसे एक अधिकारी का होता है। हालांकि इन साहब के पद पर अभी तक राज्य सरकार ने नई पदस्थापना नहीं की है। रौब झाड़ने वाले सेवानिवृत्त दूसरे नंबर के मुखिया का प्रभार वर्तमान में ग्राम सरकार की कमान सम्भालने वाली महिला अधिकारी के पास है।