– शहर विधायक काश्यप के ड्रिम प्रोजेक्ट पर सवालिया निशान
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
भूमाफिया को जमीन में 17 फीट अंदर खोदकर गाड़ देंगे, कोई नहीं बचेगा। ये जोशीला बयान मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कई बार मंच से बोले हैं, लेकिन हकीकत में क्या हो रहा है? रतलाम के बहुप्रतिक्षित गोल्ड पार्क की जमीन जबलपुर के इसी समदड़िया ग्रुप ने खरीदी है। प्रदेश में बड़े भूमाफिया सूची में इसका नाम मई-2022 में सामने आया था, जब प्रदेश सरकार को इसके कब्जे से 172 करोड़ रुपये की बेशकीमती जमीन पर कब्जा लेने में पसीना बहाना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट तक लड़ने के बाद जमीन को मुक्त तो करवाई, लेकिन राजनीति वृदहस्त के चलते भूमाफिया समदड़िया ग्रुप को रतलाम में गोल्ड पार्क निर्माण के लिए बेशकीमती जमीन बेच दी गई। सवाल अब यह है कि गोल्ड पार्क निर्माण के लिए विक्रय जमीन के लिए देशभर के दिग्गज कॉन्ट्रेक्टरों को भनक तक नहीं लगने दी?
शहर के सराफा बाजार को नई दिशा देने के लिए गोल्ड पार्क निर्माण किया जा रहा है। नगर निगम के सामने करीब 2.490 हेक्टेयर जमीन पर गोल्ड पार्क बनाने के लिए 134 करोड़ रुपये में जमीन समदड़िया ग्रुप को विक्रय कर दी गई। करीब सात वर्ष से शहर विधायक चेतन्य काश्यप गोल्ड पार्क के लिए प्रयासरत होने के साथ उनका ड्रिम प्रोजेक्ट होने की बात भी सामने आती रही है। भूमाफिया समदड़िया ग्रुप को रतलाम में गोल्ड पार्क जैसे बड़े प्रोजेक्ट के लिए आमंत्रित करना अब जिम्मेदारों पर कई गंभीर सवाल खड़े करने लगा है। भूमाफिया समदड़िया ग्रुप पर सवाल खड़े न हो इसके लिए बार-बार गोल्ड पार्क प्रोजेक्ट अंतर्गत पीपीपी मोड में 300 बिस्तर का जिला अस्पताल, ऑडिटोरियम सहित दो बत्ती पुलिस लाइन के पीछे सरकारी आवास की योजनाओं की बात की जाती है, लेकिन गोल्ड पार्क की बेशकीमती जमीन पर दुकानें, शोरूम को निजी एजेंसी (समदड़िया ग्रुप) विक्रय कर लागत वसूलेगा, इस संबंध में कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के मंचों के माध्यम से भूमाफियाओं के खिलाफ बयान जारी होने के विपरित बहुप्रतिक्षित गोल्ड पार्क में भूमाफिया की संलिप्ता विधानसभा चुनाव में राजनीति गरमा सकती है।
172 करोड़ रुपये की बेशकीमती जमीन थी कब्जे में
वंदेमातरम् न्यूज के पास उपलब्ध दस्तावेज बयान करते हैं कि उक्त गोल्ड पार्क का निर्माण जबलपुर का समदड़िया ग्रुप कर रहा है। यह समदड़िया ग्रुप वहीं है जिसने जबलपुर में सिविल थाने के सामने करीब 8.86 एकड़ बेशकीमती शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर रखा था। इसी जमीन पर अवैध तरीके से बारात घर (मैरीज गार्डन) का भी संचालन किया जा रहा था। इसे लेकर शासन और समदड़िया ग्रुप में लंबी कानूनी लड़ाई चली। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने के बाद वहां से शासन के पक्ष में मई-2022 में फैसला दिया गया था। इसके बाद शासन ने अपने कब्जे में जमीन लेने की कवायद शुरू की थी।