रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
शासकीय सेवा में कर्त्तव्यपरायणता का बड़ा महत्व है। जो व्यक्ति अपने कर्त्तव्य का पूरी निष्ठा और अनुशासन से निर्वहन करता है उसको इतनी व्यापक सराहना मिलना स्वाभाविक है। रामचन्द्र तिवारी ने अपने चालीस वर्ष के सेवाकाल में उन्नत कर्मशीलता से अनेक प्रतिमान गढ़े हैं और विभाग को गौरव दिलाया है। आपकी सेवा निवृत्ति से एक कर्मठ और तत्पर खेल अधिकारी की कमी सदा अनुभव होगी।
उक्त विचार जिला शिक्षा अधिकारी केसीशर्मा ने जिला खेल अधिकारी आरसी तिवारी की सेवानिवृत्ति पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। शर्मा ने कहा कि जिलें में खेल और सास्कृतिक गतिविधियों के संचालन में तिवारी ने सदैव एक मुस्तैद सिपाही की भूमिका अदा की है। इनके सरल, सहज और समन्वयपूर्ण व्यवहार की जितनी प्रशंसा की जाए कम होगी। इस अवसर पर सहायक संचालक शिक्षा लक्ष्मण देवड़ा ने कहा कि तिवारी के साथ कार्य करने का अवसर मिला। इनका सबसे बड़ा गुण है मुस्कुराते हुए कठिन से कठिन कार्य को पूरी लीनता से करना। तिवारी ने योग दिवस, युवा दिवस, गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के विशेष कार्यक्रम हो या खेल गतिविधियों को बढ़ाने के लिए कुश्ती, हॉकी, टेनिस, वॉलीबाल की जिला, संभाग और राज्य स्तर की खेल प्रतियोगिताएं हो ,सबमें आपकी सहभागिता से विभागीय गौरव बढ़ा है। इस अवसर पर विज्ञान अधिकारी जितेन्द्र जोशी और स्थापना प्रभारी प्रमोद बरानिया ने भी अपने विचार रखे। तिवारी द्वारा अपने उदबोधन में विभागीय अधिकारी और सहयोगी कर्मचारियों से प्राप्त स्नेहपूर्ण सहयोग के लिए धन्यवाद व्यक्त किया गया। जिला क्रीड़ा अधिकारी का अन्य व्यवस्था तक कार्य प्रभार खेल अनुदेशक महेन्द्रसिंह सोलंकी को दिया गया। कार्यक्रम का संचालन त्रिभुवनेश भारद्वाज ने किया। आभार अमित चाहर ने माना।
यह थे प्रमुख रूप से मौजूद
तिवारी के अंतिम कार्य दिवस पर आयोजित गरिमामयी कार्यक्रम पूर्व कर्मचारी साथियों ने जोशपूर्ण नारेबाजी कर उत्साहवर्धन किया। जिला शिक्षा अधिकारी शर्मा ने भाल पर तिलक लगाकर स्वागत स्वरूप साफा बांधते हुए शाला श्रीफल और पुष्पमाला से स्वागत किया । प्रारंभ में लक्ष्मण देवडा, ज्योति नारायण त्रिवेदी, प्रमोद बरानिया, जयश्री सोलंकी, मंगला भाटी, रितेश गर्ग, ओमप्रकाश शर्मा, मनीष शर्मा, देवेन्द्र चावण्ड, सुदीप कुलकर्णी, अमित चाहर, सुरेन्द्रसिंह भाटी, पूर्व क्रीड़ाधिकारी दीपक राज, ओपी राठौर, महेन्द्रसिंह सोलंकी तथा नारायणलाल डिंडोर आदि ने पुष्पमाला से स्वागत किया।