रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
रतलाम के घास बाजार निवासी मुमुक्ष रत्न वल्लभाई, पत्नी वर्षा बहन एवं पुत्री केजल कुमारी शुक्रवार को सांसारिक मोह त्यागते हुए वरघोड़ा में शामिल हुए। ऊंटगाड़ी, घोड़ागाड़ी और बैलगाड़ी के बीच बैंडबाजों पर गुरुदेव तेरे चरणों की धूल जो मिल जाए…, जैन धर्म न्याया… जैसे गीतों की धुन गूंजती रही। वरघोड़ा में शामिल दीक्षार्थी सकलेचा दंपती और पुत्री केजल ने सांसारिक वस्तुएं सहित नोट लुटाए।
आयोजनकर्ता राकेश मन्नालाल सकलेचा परिवार के घास बाजार स्थित निवास से ऐतिहासिक वर्षीदान वरघोड़ा शुक्रवार सुबह 8 बजे प्रारंभ हुआ। इसमें आगे बैंड बाजे चल रहे थे और दीक्षार्थी मुमुक्ष रत्न वल्लभ भाई, पत्नी वर्षा बहन सहित पुत्री केजल कुमारी के आगे-आगे परम पूजनीय मुनिराज श्री कल्याणरत्नविजयजी महाराज सहित आदीठाणा चल रहे थे। जैन संतों और बड़ी संख्या में शामिल श्रद्धालुजन के साथ दीक्षार्थी वल्लभ भाई, वर्षा बहन एवं केजल कुमारी ऊंट बग्घी पर सवार होकर चल रहे थे। ऊंट बग्घी से दीक्षार्थी दंपती और पुत्री अपने हाथों से नोट व सांसारिक वस्तुएं लुटाकर वैराग्य प्रकट कर रहे थे। चल समारोह का अलग-अलग मार्गों पर जैन श्रद्धालुओं ने बहुमान भी किया। वरघोड़ा घास बाजार, माणकचौक, डालूमोदी चौराहा, नाहरपुरा, धानमंडी, तोपखाना होते हुए चांदनीचौक से लक्कड़पीठा मार्ग पहुंच सागौद रोड स्थित जेएमडी पहुंच समाप्त हुआ।
जो काम दवा नहीं करती वह विचार करती
आत्मकल्याण भूमि (जेएमडी परिसर, सागोद रोड) पर परम पूज्य मुनिराज श्री कल्याणरत्नविजयजी महाराज ने प्रवचन देते हुए कहा कि जीवन में जो काम दवा नहीं करती वह काम सिर्फ आपके विचार कर देते हैं। मानव जीवन में प्रत्येक व्यक्ति को अंतरात्मा से सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते हुए सांसारिक जीवन की जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए। मुनिराज ने सकलेचा परिवार के तीन सदस्यों के दीक्षा के दौरान कहा कि जीवन में यह मोड़ कई बदलाव लाता है। मोक्ष के रास्ते पर चलना ही जीवन का सही अर्थ है। मुनिराज ने श्रावकों से कहा कि मैं ऐसा नहीं कहता कि आप पारिवारिक जिम्मेदारियों को छोडक़र सांसारिक मोह त्यागे। पहले पारिवारिक जिम्मेदारियों का बखूबी निवर्हन करें और उसके बाद आपको लगे कि आपने अपने सभी कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाया है और अब आपके पास अन्यंत्र किसी प्रकार की जवाबदेही नहीं है, इसके बाद आप आत्मकल्याण के लिए अंतर्मन से विचार करें।
आज सुबह होगी दीक्षा
राकेश मन्नालाल सकलेचा परिवार के मुमुक्ष रत्न 48 वर्षीय वल्लभभाई, पत्नी वर्षा बहन सहित 17 वर्षीय पुत्री केजल कुमारी 7 मई को सांसारिक मोह त्याग दीक्षा ग्रहण करेंगी। आत्मकल्याण भूमि (जेएमडी परिसर, सागोद रोड) पर सकलेचा दंपती के अलावा पुत्री की दीक्षा आत्मा से परमात्मा की ओर मार्ग प्रशस्त करने जा रहा है। आत्म कल्याण उत्सव अंतर्गत 7 मई को सुबह परम पूज्य मुनिराज श्री कल्याणरत्नविजयजी महाराज के सानिध्य में सुबह 6 बजे दीक्षाविधि का शुभारंभ किया जाएगा। दीक्षाविधि पश्चात तीनों दीक्षार्थी मुनिराज श्री कल्याणरत्नविजयजी महाराज और आदीठाणा के साथ अहमदाबाद के लिए सागोद रोड होते हुए शिवगढ़, रावटी और कुशलगढ़ होते हुए विहार करेंगे।