रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। रतलाम के 80 फीट रोड स्थित सांई श्री स्कूल में 5 वर्षीय मासूम से यौन उत्पीडऩ में जांच कर रही एसआईटी अब सवालों के घेरे में आ गई है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा रतलाम औद्योगिक क्षेत्र थाने में कलेक्टर व एसपी के नाम ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें एबीवीपी ने एसआईटी जांच में शामिल अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए है। आपको बता दे की पुलिस ने गुरुवार को सांई श्री स्कूल डायरेक्टर राकेश देसाई के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। सांई श्री स्कूल के अन्य छात्रों के परिजन ने मामले में जमकर प्रदर्शन किया था। परिजनों ने लिखित शिकायत कर डायरेक्टर देसाई और स्टॉफ के खिलाफ लापरवाही बरतने और जानकारी छिपाने के गंभीर आरोप लगाए थे।
नगर मंत्री सिद्धार्थ मराठा ने बताया की छात्रा वे साथ यौन उत्पीड़न मामले में एफआईआर के बाद रतलाम में एसआईटी जांच गठित की गई थी। सांई श्री स्कूल को 5 दिनों के लिए सील किया था। लेकिन उसके बावजूद स्कूल कर्मचारियों व अन्य लोगों का आना जाना लगा रहा है। जिससे सबूतों के साथ आसानी से छेड़छाड़ की जा सकती है। जांच अधिकारी ने पीड़िता की मां के साथ आरोपियों जैसा व्यवहार किया। जांच अधिकारी ने पीड़िता की मां के बयान को कांट छांट कर दर्ज किया। यही प्रक्रिया अन्य गवाहों व परिजनों के बयानों के लेते समय भी अपनाई गई। जिससे सभी असहज हो गए। इस प्रक्रिया से तो पीड़ित मासूम को न्याय मिलने की की कोई उम्मीद नहीं बचती है। एबीवीपी की मांग है की स्कूल संचालक, प्राचार्य, कक्षा प्राध्यापक व अन्य संबंधित से भी कड़ी पूछताछ की जाए। संलिप्तता एवं मोन स्वीकृत के आधार पर इन्हें भी उक्त प्रकरण में सह-आरोपी बनाया जाए। जांच अधिकारी को हटाने जैसी प्रमुख मांगे रखी है, अगर मांगे नहीं मानी जाती है तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
एबीवीपी ने इन बिंदुओ को रखा
एबीवीपी की प्रांत सहमंत्री रागिनी यादव ने बताया की घटनाक्रम को यदि गंभीरता से समझा जाए तो इसमें कई आयामों से जांच की आवश्यकता है। जैसे की बालिका का कक्षा मैं नहीं होना, कक्षा से जाने पर कक्षा अध्यापक व अन्य सहायक कर्मचारीयों की जिम्मेदारी, दुष्कर्म के समय बालिका की चिल्लाने की आवाज नहीं सुनाई देना। घटना के बाद विद्यालय में शिकायत किए जाने पर उनके द्वारा ध्यान ना देना व घटना को गलत व मनगढंत बताना। विद्यालय परिसर में उचित स्थान पर सीसीटीवी कैमरा का ना होना। क्या पूर्व में भी इसी परिसर में अन्य घटनाए हुई है, ऐसे अहम पहलुओं पर जांच किया जाना चाहिए। जिस पर गठित एसआईटी का कोई ध्यान नहीं है।
क्या था पूरा मामला
पांच वर्षीय मासूम की मां ने पुलिस को बताया था कि उनकी बच्ची यूकेजी में पढ़ाई करती है। मासूम बच्ची को घर से स्कूल और स्कूल से घर लाने का काम उसकी मौसी करती थी। तीन दिनों से उनकी बच्ची को बुखार आ रहा था और बाथरूम कम हो रही थी। 27 सितंबर-2024 की दरमियानी रात पांच वर्षीय बच्ची बाथरूम करने के लिए उठी तो उसने अपनी मौसी को बताया कि उसे जलन हो रही है। इसके बाद मौसी ने उसकी मम्मी को उठाया और मासूम का पायजामा उतारा। इस दौरान बच्ची की बाथरूम की जगह सामान्य नहीं पाई। बच्ची ने मां और मौसी को बताया कि एक लडक़ा उसके साथ गंदी हरकत करता है। इस दौरान मौसी को कुछ याद आया और उसने अपनी बहन को बताया कि 24 सितंबर 2024 को जब वह भतीजी को स्कूल से घर लौ रही थी, तब उसके टी-शर्ट के बटन खुले हुए थे और उसका पूरा शरीर लाल होने के अलावा तेज बुखार से तप रहा था। मासूम के परिजनों द्वारा स्कूल प्रबंधन से शिकायत के बाद औद्योगिक क्षेत्र पुलिस थाने पर लिखित शिकायत की थी। पुलिस ने जांच कर बाल अपचारी के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 65(2), 75, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 6,7 और 8 में मुकदमा दर्ज किया था। बाल अपचारी को पुलिस ने बाल संप्रेक्षण गृह भेजा था।
इस वर्ष बच्चों की पढ़ाई पूरी होने के बाद स्कूल की मान्यता रद्द कर हमेशा के लिए स्कूल को बंद कर देना चाहिए