रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में रतलाम के किसान नेता डीपी धाकड़ ने गुरुवार को सिंघु बॉर्डर पर आयोजित किसान संसद की अध्यक्षता की। धाकड़ ने संसद का संचालन किया जिसमें देशभर के एक्सपर्ट ने एमएसपी की जरूरत और नई तकनीक विषय पर किसानों को संबोधित किया।
धाकड़ ने सदन के अध्यक्ष के तौर पर संचालन करते हुए सभी एक्सपर्ट्स से मांग की, कि देशभर में यह रिसर्च किया जाए कि किस क्षेत्र में कौन सी फसल, किस समय पर बोई जाती है। इसके अनुसार एक एप या कंप्यूटर प्रोग्राम बनाया जाए जिसके माध्यम से देशभर के किसानों को यह पता चल सके कि कितने किसान गेंहू, सोयाबीन, मक्का, दलहन, तिलहन आदि फसलें बो रहे हैं। इससे किसान अलग-अलग फसल बोएंगे तो फसलों का दाम अच्छा मिलेगा। धाकड़ ने देशभर के एक्सपर्ट्स को मुद्दे पर बोलने के लिए आमंत्रित किया जिन्होंने किसानों को बताया कि मिनिमम सपोर्ट प्राईज (एमएसपी) फसलों के लिए अकेली ग्यारेंटेड स्कीम है। इसका कानूनी अमलीजामा पहनकर जारी रहना किसानों के लिए जरूरी है। उन्होंने कई उदाहरण भी पेश किए जहां बिहार सहित कुछ राज्यों में मंडी के बाहर फसलें बेचने से किसानों को कितना नुकसान हुआ। इस दौरान कई किसानों ने सवाल भी रखे जिसपर एक्सपर्ट्स ने अपनी राय दी। करीब साढ़े चार घंटे चली संसद में धाकड़ ने करीब 10 एक्सपर्ट्स और अन्य वक्ताओं को आमंत्रित किया। इस दौरान उनके साथ भारतीय किसान यूनियन युद्धवीर सिंह, डॉ. सूचासिंह गिल, डॉ. देंवेद्र शर्मा, डॉ. रणजीत सिंह घूमर आदि कई बड़े किसान नेताओं ने मंच साझा किया।
सिंघु बार्डर पंहुच लिया आंदोलन में भाग
इसके पूर्व धाकड़ दिल्ली किसान आंदोलन में भाग लेने के लिए सिंघु बार्डर पहुंचे। जहां उन्होंने देशभर से आए किसानों से चर्चा की और मालवा और मध्यप्रदेश तथा राजस्थान के किसानों की समस्या बताई। उन्होंने कई बड़े किसान नेताओं से भेंट करके, आगामी रणनीति पर भी चर्चा की। इस दौरान डेलनपुर के भगवतीलाल पाटीदार, दुर्गा धाकड़, यूसुफ खान, धनेश्वर सोलंकी आदि भी रतलाम से पहुंचे और किसान आंदोलन का समर्थन किया। उल्लेखनीय है कि पंजाब, हरियाणा सहित देशभर के किसान दिल्ली बार्डर पर नंवबर 2020 से नए कृषि बिल के विरोध में सड़क पर ही धरने पर बैठे हैं।