रतलाम, वन्देमातरम् न्यूज।
रतलाम नगर पालिक निगम द्वारा एबीसी प्रोग्राम के अंतर्गत अमानवीय तरीके से आवारा श्वानों की नसबंदी और टीकाकरण के लिए श्वानों को पकडऩे पर भारतीय पशु कल्याण बोर्ड नई दिल्ली (एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया) ने संज्ञान लेते हुए कलेक्टर व निगम आयुक्त को पत्र जारी कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। इधर शहर में श्वानों को पकडक़र जुलवानिया ट्रेचिंग ग्राउंड के समीप बनाए गए केंद्र पर छोडऩे के बजाए बाहर ही ट्रेचिंग ग्राउंड पर छोड़ा जा रहा है। जिससे की यह श्वान वापस शहर की तरफ आ रहे हैं।
डॉग बाईट के मामले में रतलाम प्रदेश के दूसरे स्थान पर हैं। हाल में ही प्रशासन ने आंकड़े जारी कर 1700 लोगो को डॉग बाईट का शिकार बताया है। इसके बाद नगर पालिक निगम द्वारा श्वानों को पकडक़र पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम (एबीसी प्रोग्राम) चलाया जाकर नसबंदी (बधियाकरण) किया जा रहा है। श्वानों को पकडक़र निगम द्वारा अलग से जुलवानिया ट्रेचिंग ग्राउंड पर बनाए गए केंद्र पर छोड़ा जा रहा है। अमानवीय तरीके से श्वानों को पकडक़र बधियाकरण को लेकर पशु प्रेमियों में आक्रोश है। वहीं इस पूरे मामले में एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया नई दिल्ली द्वारा संज्ञान लेते हुए कलेक्टर व निगमायुक्त से रिर्पोट मांगी है। जिससे हडक़ंप मच गया है।
नगर निगम की लापरवाही
श्वानों को पकडक़र ट्रेचिंग ग्राउंड पर बने केंद्र पर छोडऩे के मामले में लापरवाही भी सामने आई है। नगर निगम ने श्वानों के बधियाकरण को लेकर केंद्र तो खोल दिया है। लेकिन वह भी आधी अधूरी व्यवस्था के बीच। शहर के अलग-अलग क्षेत्रों से श्वानों को पकडक़र केंद्र पर तो ले जाया जा रहा है लेकिन बुधवार दोपहर में श्वान ट्रेचिंग ग्राउंड में कचरे के ढेर के पास घूमते मिले। सूत्रों के अनुसार बधियाकरण के लिए पकड़े गए श्वानों को 5 दिन पहले से वहां पर कैद कर रखा गया व खाने पानी की व्यवस्था ना होने से निगम ने इन्हें वहीं छोड़ दिया। खुले में छोड़ने के बाद श्वान आसपास के खेत व रहवासी इलाकों में पहुंच रहे है।
यह कहना है पशु प्रेमियों का
शहर की जीव प्रेमी संस्थाओं का कहना है कि एबीसी प्रोग्राम किया जाए, मगर इसके लिए जरूरी नियमो का पालन हो। इस बात का भी विशेष ध्यान रखा जाए। निगम द्वारा आधे अधूरे केंद्र पर श्वानों को ला कर रख दिया जिनमे कई बीमार व गर्भवती श्वान भी है। सीमित संख्या से अधिक श्वानों को वहां ऑपरेशन के लिए लाया गया, मगर अब तक ऑपरेशन थियेटर ही तैयार नहीं है। नियम के अनुसार बधियाकरण के एक दिन पूर्व श्वान को वहां लाया जा कर उसे 5 से 10 दिनों तक रखा जाता है। मगर ऑपरेशन के 5 दिन पहले श्वानों को क्यों पकड़ा गया, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। जिन क्षेत्रों से श्वानों को पकड़ा गया वहां के लोगों के हस्ताक्षर आदि का रजिस्टर भी संबंधित संस्था ने नहीं बताया है तथा कई ऐसे ओर उदाहरण है जो की पशु क्रुरता अंतर्गत आते है। वहीं इन नियमो का उल्लंघन होने पर जब हम पशु प्रेमी आवाज उठाते हैं तो प्रशासन के जिम्मेदार द्वारा कार्यवाही की बात कही जाती है और हमें समाज के सामने गलत रूप से प्रस्तुत किया जा रहा है।
नहीं है जानकारी
एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया के पत्र व श्वानों को खुले में छोडऩे के बारे में जब नगर निगम के स्वास्थ्य अधकिारी जीके जायसवाल से जानना चाहा तो उन्होंने इस बारे में जानकारी नहीं होने की बात कहते हुए मोबाइल रख दिया।