जयदीप गुर्जर/रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
रतलाम जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर नयागांव लेबड़ फोरलेन पर स्थित सातरुंडा चौराहे से 3 किलोमीटर बिरमावल ग्राम पंचायत में सातरुंडा माताजी पहाड़ी है। सातरुंडा पहाड़ी पर पांडव कालीन ऐतिहासिक मंदिर में मां कंवलका विराजमान है। मान्यता है कि मां कालका अपने तीन रूप जिसमें सुबह में बाल्यावस्था, दोपहर में युवावस्था एवं शाम को वृद्धावस्था में भक्तों को दर्शन देती हैं।
हरियाली अमावस्या पर विशेष तीन दिवसीय मेले का आयोजन मंदिर क्षेत्र में किया जाता है। सातरुंडा स्थित कंवलका माता के दर्शन के लिए रतलाम सहित धार, झाबुआ, इंदौर, नीमच, मंदसौर, उज्जैन सहित दूर-दूर से लोग आते हैं। गुरुवार को हरियाली अमावस्या पर बिरमावल ग्राम पंचायत के सातरुण्डा माताजी टेकरी पर आयोजित मेले में लाखो की संख्या में श्रद्धालुओं ने मां कवलका के दर्शन किए। कोरोना के कारण पिछले 3 वर्षों से मेला बन्द था, यही कारण रहा की पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष अधिक संख्या में श्रद्धालु मेले में आये। मेले में ग्रामीणों ने जमकर खरीदारी की। हरियाली अमावस्या पर प्रकृति संरक्षण के लिए ग्रामीण मेले में से पौधें खरीदकर लाते हैं और उन्हें अपने घर आंगन, खेत खलिहानों में लगाकर उनका संरक्षण करते हैं, हजारों पौधों की बिक्री भी यहां हुई। कई लोग टेकरी पर ही पौधों का रोपण कर उनकी सुरक्षा का संकल्प लेते है।
मेले में सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए ग्रामीण एसडीओपी सन्दीप निगवाल के साथ महिला थाना प्रभारी एनएस मरावी, अजाक थाना प्रभारी निर्भयसिंह भूरिया, थाना शिवगढ़ प्रभारी पिंकी आकाश समेत पुलिस बल मौजूद रहा। मौके पर प्रशासनिक व्यवस्थाओं को सुचारू रखने के लिए नायब तहसीलदार पीहू कुरील, आरआई ज्योति सोनी, चोखालाल टांक, पटवारी रमेश गेहलोत सहित अमला भी मौजूद रहा।
अज्ञातवास के दौरान यहां आए थे पांडव
ऐसी कहा जाता है कि पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान यहां आए थे और उनकी गाय यहां से खो गई थी। जिस पर अपनी गाय खोजने के लिए भीम ने अपनी विशाल मुठ्ठियों से डेढ़ मुठ्ठी मिट्टी से इस पहाड़ी का निर्माण किया था और इस पहाड़ी पर चढ़कर अपनी गायों को खोजा था।