रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
भारत में अब बडी संख्या में हाई स्पीड ट्रेन चलाने का रास्ता साफ हो गया है। हाई स्पीड वन्दे भारत गाडियों के लिए अत्याधुनिक कोच पूरी तरह भारत में ही निर्माण किए जा रहे है। लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब भारत सरकार तीव्र गति की यात्री ट्रेनों के डिब्बो की खरीदी के लिये ग्लोबल टेंडर आमंत्रित कर रही थी। इसके लिए बकायदा स्पेन से टैल्गो कंपनी के कोच खरीदने की तैयारियां भी की जा रही थी।
उसी समय भारत गौरव अभियान के संयोजक अनिल झालानी ने इस प्रकार के अत्याधुनिक कोच भारत में ही तैयार करने का सुझाव प्रधानमंत्री और तत्कालीन रेल मंत्री को दिया था। ये करीब करीब आठ वर्ष पूर्व की बात है, जब भारत में बुलेट ट्रेन और सेमी हाईस्पीड ट्रेन चलाने की तैयारियां की जा रही थी। भारत सरकार चाहती थी कि भारत की रेल पटरियों पर भी डेढ सौ किमी प्रति घण्टा रफ्तार वाली गाडियां चलाई जाए। इस तरह की सेमी हाई स्पीड ट्रैनों के संचालन के लिए अत्याधुनिक हल्के कोच जरुरी थे और इसके लिए भारत सरकार ने स्पेन की टैल्गो कंपनी से करार करने की योजना बनाई थी। टैल्गो कंपनी के आयातित कोच लगाकर ट्रेन का डेढ सौ किमी की रफ्तार पर सफल परीक्षण भी कर लिया गया था।
भारत गौरव अभियान के संयोजक अनिल झालानी ने उस समय यह विचार किया कि भारत में हाई स्पीड ट्रैनों के परिचालन के लिए रेल ढांचे में व्यापक परिवर्तन तो करना ही पडेगा, इस पर बहुत बडी धनराशि खर्च होगी और इसके बाद भी लम्बे समय तक प्रतीक्षा भी करना पडेगी। ऐसी स्थिति में श्री झालानी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु को एक पत्र भेजकर वह सुझाव दिया था, जिस पर काम करके आज भारतीय रेलवे हाईस्पीड ट्रेन चलाने के मामले में सफलता पूर्वक आगे बढ रही है।
2016 में लिखा था पत्र
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 13 सितम्बर 2016 को लिखे अपने पत्र में झालानी ने लिखा था कि हमारे देश में मीटर गेज से ब्राडगेज कन्वर्शन करने में 25 से 30 साल का समय लग चुका है। इसी तरह हाईस्पीड ट्रेन चलाने के लिए टैल्गों जैसी कोच वाली ट्रेनों के स्थानापन्न में भी वर्षों वर्षो का समय लग सकता है।झालानी ने अपने पत्र में सुझाव दिया था कि चूंकि बडी संख्या में हाईस्पीड ट्रेन चलाने के लिए हमें निकट भविष्य में लगभग पच्चीस हजार अत्याधुनिक कोचेस की जरुरत होगी तो ऐसी स्थिति में हमें विदेशों से कोच क्रय करते समय यह शर्त रखना चाहिए कि कंपनी को ऐसे कोच बनाने के लिए भारत में भी अपनी उत्पादन ईकाई प्रारंभ करना होगी। अथवा उच्च तकनीक ट्रांसफर करने का प्रस्ताव कंपनी के सामने रखा जाएगा तो अत्याधुनिक कोच भारत में ही बनने लगेंगे और इससे उत्पादन में तेजी तो आएगी ही, देश में विदेशी निवेश आने के साथ साथ रोजगार के अवसर भी बढेंगे। साथ ही बडी मात्रा में बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की भी बचत हो सकेगी।
झालानी ने अपने इस पत्र की प्रतिलिपि तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु के साथ साथ रेलवे बोर्ड चैयरमेन को भी भेजी थी। इस सुझाव पत्र को भेजने के करीब एक वर्ष बाद दोबारा से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली और रेल मंत्री सुरेश प्रभु को इसी आशय का स्मरण पत्र भेजा था। इस स्मरण पत्र में झालानी ने देश में रक्षा उपकरणों के निर्माण के लिए बनाई गई नीति का हवाला देते हुए कहा था कि जिस प्रकार रक्षा उपकरणों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता की नीति बनाई गई है, उसी प्रकार हाईस्पीड ट्रेनों के लिए उपयोगी हल्के और अत्याधुनिक रेलवे कोच बनाने के लिए भी भारत में ही प्रयास किए जाने चाहिए।
श्री झालानी द्वारा दिए गए सुझाव देर से ही सही अमल में लाए गए और आज भारत में एल्यूमिनीयम के हल्के और अत्याधुनिक रेलवे कोच भारत में ही बनाए जा रहे है। इन अत्याधुनिक हल्के रेलवे कोच के तेज गति से भारत में ही बनने के कारण वन्दे भारत ट्रेनों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है और जल्दी ही वन्दे भारत ट्रेन रतलाम से होकर भी चलने वाली है।