300 डॉक्टरों की टीम व सेवा भारती के 250 कार्यकर्ताओं ने मिलकर किया आयोजित दो दिवसीय स्वास्थ शिविर
वंदेमातरम् न्यूज़, मेघनगर/झाबुआ
सेवा भारती एवं नेशनल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन मालवा प्रांत ने संयुक्त रूप से झाबुआ जिले के मेघनगर एवं थांदला तहसील के 120 गांवों में पहुंचकर निःशुल्क स्वास्थ सेवाएं दी। जिसमें अलग – अलग जगह से आये कुल 300 डॉक्टरों की टीम व सेवा भारती के 250 से अधिक कार्यकर्ता सहभागी बने। इस दो दिवसीय शिविर को टंट्या भील स्वास्थ्य सेवा यात्रा का नाम दिया गया। इस सेवा यात्रा का जनजातीय क्षेत्र के लगभग 15 हजार 284 लोगों ने लाभ लिया।
डॉक्टरों व सेवा भारती की टीम ने सुदूर ग्रामीण इलाकों में घर – घर पहुंचकर लोगो को निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं दी। इस दौरान डॉक्टरों के बने अलग – अलग समूह दो दिन तक इन ग्रामीण इलाकों में ही रुके। डॉक्टरों की कुल 60 टीम बनाई गई थी। इन टीमों में उत्तरप्रदेश के प्रयाग राज , वाराणसी, अलीगढ़ व गुजरात के दाहोद तथा मध्यप्रदेश केभोपाल, इंदौर, रतलाम, दतिया, रीवा आदि जिलों के डॉक्टर शामिल हुए। शिविर में दवाइयां भी निःशुल्क वितरित की गई। इस दौरान गांव की ऐसी महिलाओं से डॉक्टरों की टीम ने घर जाकर संपर्क किया जो शिविर स्थल तक पहुंचने में असहज थी। शनिवार को शुरू हुए स्वास्थ शिविर का समापन अगले दिन रविवार शाम मेघनगर में हुआ। समापन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह प्रांत प्रचारक (मालवा) राजमोहन जी ने कहा कि जनजाति गांवों में निः स्वार्थ भाव से सेवा देने के लिए देश के अलग अलग जगह से डॉक्टर अपना कीमती समय निकाल कर आये। सेवा भारती और NMO दोनों ही संगठन का उद्देश स्वास्थ्य सेवा एवं राष्ट्र सेवा है। इस अवसर पर नेशनल मेडिकल ऑर्गेनाइजेशन (NMO) के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अश्वनी टंडन, मध्यप्रदेश/छत्तीसगढ़ अध्यक्ष डॉ. अंजीव कुमार चौरसिया, महासचिव डॉ. कुलदीप गुप्ता, सचिव डॉ. विवेक चौकसे, मालवा प्रांत अध्यक्ष डॉ. नीरज अग्रवाल, सचिव डॉ. पीयूष खंडेलवाल आदि उपस्थित थे।
असली भारत को देखने का मिला सौभाग्य :
अलग – अलग राज्यों से पहुंचे डॉक्टरों व ट्रेनी डॉक्टरों से समापन अवसर पर अनुभव साझा करने को कहा गया। इस दौरान उन्होंने बताया की हम सेवा देने की भावना से यहाँ आए थे, परन्तु हमें ऐसा लग रहा है कि हम यहाँ से एक बहुत बड़ी संपदा लेकर अपने-अपने घर लौटेंगे। कुछ ने इस टंट्या मामा भील स्वास्थ्य सेवा यात्रा को अकादमिक टूर तो किसी ने समरसता यात्रा कहा। प्रयागराज से आयी एक मेडिकल छात्रा ने कहा कि हमें अभावों में भी प्रसन्न रहने वाले वनवासियों के जीवन को निकट से देखने का अवसर प्राप्त हुआ है। रतलाम मेडिकल कॉलेज के एक छात्र ने कहा कि मुझे असली भारत को देखने का सौभाग्य मिला है I दाहोद से आयी महिला डॉक्टर ने कहा कि मुझे एक चिकित्सक के रूप में स्वतंत्र रूप से कार्य करने का फर्स्ट हैण्ड अनुभव प्राप्त हुआ। विदिशा से आयी डॉक्टर ने कहा कि मैं इस यात्रा के बाद अपने शानदार और अनुपम अनुभवों को लिपिबद्ध करूंगी ताकि वे मेडिकोज भी अगली बार आएं, जो इस यात्रा में किसी कारण से सम्मिलित नहीं हो पाए है। अलीगढ से आये छात्र का कहना था कि यह हमारे जीवन का टर्निंग पॉइंट कहलायेगा।