– हाथों में तख्तियां लेकर सोयाबीन के भाव 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल करने की मांग
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। जिले के सैलाना में किसान न्याय यात्रा निकाली गई। मध्य प्रदेश कांग्रेस के आह्वान पर न्याय यात्रा में लगभग एक हजार ट्रैक्टर पर किसान सवार होकर निकले। पूर्व विधायक हर्ष विजय गेहलोत के नेतृत्व में बड़ी संख्या में शामिल हुए किसान व नेता सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए पैदल चल रहे थे। इसके अलावा किसानों ने प्रदेश सरकार की वादा खिलाफी को लेकर हाथों में सोयाबीन की भाव 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल करने की मांग की तख्तियां भी पकड़ी हुई थी। प्रदर्शन स्वरूप किसान न्याय यात्रा को लेकर प्रशासन भी मुस्तैद नजर आया।
शुक्रवार को सैलाना के पूर्व विधायक हर्ष विजय गेहलोत (गुड्डू) व सुसनेर विधायक बापूसिं के नेतृत्व में किसान यात्रा निकाली गई। यात्रा में शामिल बड़ी संख्या में किसान बांसवाड़ा रोड से होते हुए सैलाना नगर के मार्गों से होते हुए रतलाम रोड स्थित गोधुलिया तालाब पर पहुंची। यहां पर सभा आयोजित की गई। कांग्रेस नेताओं ने सभा के माध्यम से भाजपा शासित केंद्र व प्रदेश सरकार की वादा खिलाफी को लेकर जमकर प्रहार किया। इस दौरान किसान हाथों में सोयाबीन की सुखी फसल व सोयाबीन भी लेकर पहुंचे थे। यहा से सरकार के सामने सोयाबीन का भाव 10 साल पहले जो था वो मंहगाई के इस दौर में भी अभी उसी भाव में मिल रहा है। न्याय यात्रा के माध्यम से किसानों को सोयाबीन के भाव 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल, गेंहू 2700 रुपए प्रति क्विंटल, धान 3100 समर्थन मूल्य करने की मांग की गई। इस दौरान यात्रा में रतलाम शहर कांग्रेस कार्यवाहक अध्यक्ष फैय्याज मंसूरी, पूर्व पार्षद राजीव रावत, बसंत पंड्या, किसान नेता डीपी धाकड़, राजेश पुरोहित सहित कांग्रेस नेता, पदाधिकारी व हजारों की संख्या में किसान मौजूद थे।
सरकार नहीं किसान हितेषी
किसान न्याय यात्रा संयोजक पूर्व विधायक हर्ष विजय गेहलोत ने वंदेमातरम् न्यूज को बताया कि किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर है। पिछले 10 साल से सोयाबीन के भाव समर्थन मूल्य पर 6 हजार रुपए करने की मांग की जा रही है। लेकिन सरकार ध्यान नहीं दे रही है। आज हर तरफ से किसान की स्थिति खराब है। अगर हमारी मांग सरकार नहीं मांगती तो आगे और आंदोलन किए जाएंगे। न्याय यात्रा के माध्यम से किसानों को आ रही समस्याओं से प्रदेश सरकार को जगाने की कोशिश की है। भाजपा शासित केंद्र और प्रदेश की सरकार किसान हितेषी नहीं है।