रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
मध्यप्रदेश के धार जिले के मनावर जनपद सीईओ लक्ष्मण सिंह डिंडोर को रतलाम ग्रामीण क्षेत्र के चुनावी कार्यक्रमों में शामिल होने पर मध्यप्रदेश शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अपर सचिव शोभा निकुंम ने निलंबित कर दिया है। निलंबन की कार्रवाई रतलाम कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी के पत्र पर हुई है।
निलंबन आदेश में कहा है कि लक्ष्मणसिंह डिंडोर का व्यवहार शासकीय दायित्वों के निर्वहन में अनुशासनहीनता है। मध्यप्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियम का उल्लंघन होकर दण्डनीय है। निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय, विकास आयुक्त कार्यालय भोपाल नियत किया है। बता दे कि डिंडोर को विधानसभा चुनाव 2018 में रतलाम ग्रामीण विधानसभा से कांग्रेस से टिकट भी मिला था। लेकिन वह शासकीय सेवा से इस्तीफा नहीं दे पाए और इन वक्त पर इनका नाम टिकट से हटा गया था। डिंडोर रतलाम जनपद सीईओ भी रह चुके है। लगातार वह रतलाम ग्रामीण क्षेत्र में सक्रिय है। कांग्रेस के बड़े नेताओं से भी उनके अच्छे संपर्क है।
कार्य मुक्त करने के लिए लिख चुके है पत्र
डिंडोर ने निलंबन के पहले शासन व संबधित जिले के जिले के जिला पंचायत सीईओ को पत्र लिख शासकीय सेवा से मुक्त करने का पत्र लिख चुके है। उन्होंने जून माह तक सेवा देने की बात अपने पत्र में कहीं है। उसके बाद वह शासकीय सेवा से इस्तीफा दे देंगे।
निलंबन आदेश में रतलाम कलेक्टर का हवाला
मध्यप्रदेश शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अपर सचिव शोभा निकुंम ने 3 मई को पत्र जारी कर डिंडोर को निलंबित किया है। निलंबन आदेश में रतलाम कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी के पत्र का जिक्र है। वहीं डिंडोर का कहना है मेरा कोई पक्ष लिया नहीं गया।
तीन साल में 5 ट्रांसफर
बता दे कि मनावर सीईओ लक्ष्मणसिंह का पिछले माह मनावर से शाजापुर स्थानांतरण हो गया था। डिंडोर ने 29 मार्च को स्थानांतरण पर उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर के समक्ष रिट याचिका लगाई। न्यायालय ने स्थानांतरण आदेश के खिलाफ स्टे लगा दिया। सीईओ डिंडोर को पूर्व स्थान मनावर में ही रहने के आदेश दिए। अब 15 दिन बाद निलंबन की कार्रवाई हो गई। डिंडोर का तीन साल में 5 ट्रांसफर मप्र शासन द्वारा किए गए। पूर्व में रतलाम जिले के बाजना में जनपद सीईओ के रूप में ट्रांसफर हुआ था लेकिन एक ही दिन में शासन ने आदेश रद्द कर मनावर जनपद सीईओ के रूप में पदस्थ किया था।
मेरा पक्ष नहीं जाना गया
में सामाजिक व पारिवारिक रूप से रतलाम ग्रामीण क्षेत्र से जुड़ा होने के कारण आना जाना लगा रहता है। बिना कारण कार्रवाई की गई है। मेरा पक्ष भी नहीं जाना गया। अभी न तो आचार संहिता है और नहीं किसी प्रकार से कोई मंच साझा किया गया। 3 साल में 5 बार स्थानातंरण कर दिए। जो कि नियम विरुद्ध है। अपने पद से इस्तीफे के लिए पत्र लिख चुका हूं। जल्द प्रदेश भर के आदिवासी संगठन से मिलकर बातचीत करूंगा।
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