एरियर सहित नए पुनरीक्षण हासिल करने के लिए जारी रहेगी लड़ाई
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। मध्य प्रदेश में श्रमायुक्त कार्यालय से न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण का आदेश जारी हो चुका है। उक्त आदेश उच्च न्यायालय के आदेश के बाद जारी हुआ है। सीटू के लंबे समय तक जारी संघर्ष से इसका सीधा-सीधा फायदा मध्य प्रदेश के श्रमिकों, औद्योगिक आऊट सोर्सिंग सहित ठेका पद्धति के अलावा सरकारी विभागों व स्थानीय निकायों में कार्यरत कर्मियों को मिलेगा।

सीटू के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष शैलेंद्र सिंह ठाकुर और रतलाम जिलाध्यक्ष अश्विन शर्मा सहित महासचिव मांगीलाल नागावत ने बताया कि कानूनी रूप से प्रत्येक 5 वर्ष में किए जाने वाले न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण को 9 वर्ष के बाद पिछले 10 माह से मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार सहित उद्योगपतियों और मालिकों ने इसे कानूनी दांव पेंच में उलझा दिया था। 3 दिसम्बर-2024 को इंदौर खंडपीठ की उच्च न्यायालय ने विषय में स्थगन समाप्त कर दिया था। 10 फरवरी-2025 को अंतिम सुनवाई के बाद अंतत: श्रामयुक्त कार्यालय ने भुगतान के आदेश जारी कर दिए हैं। आदेश में वर्तमान में बनाए गए तीन नए नियोजन के अलावा बाकी सभी अधिसूचित नियोजनों (68 नियोजनों) में 4 मार्च 2024 की अधिसूचना के पुन: प्रभावशील किए जाने का जिक्र है। आदेश में नियोजकों से देय न्यूनतम वेतन का तत्काल भुगतान सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया है।
प्रदेश सरकार अभी भी मालिकों का साध रही हित
सीटू के प्रदेश महासचिव प्रमोद प्रधान व राज्य अध्यक्ष रामविलास गोस्वामी ने बताया कि मध्य प्रदेश की सरकार अभी भी मालिकों के हित साध रही है। हाल में जारी आदेश में अभी भी एरियर भुगतान के स्पष्ट निर्देश नहीं है। जबकि श्रमिकों को 1 अप्रैल 2024 से आदेश प्रभावशील होने से एरियर सहित भुगतान होना चाहिए। ज्ञातव्य है कि अप्रैल-2024 से फरवरी-2025 तक एक-एक श्रमिक का 16 हजार 250 रुपए से 24 हजार 340 रुपए तक का नुकसान हुआ है। इसे भी डकारने की कोशिश चल रही है। सीटू ने श्रमायुक्त को पत्र लिख मांग की है कि अप्रैल 2024 से ही नहीं बल्कि नवम्बर 2019, जब से यह पुनरीक्षण देय था। तब से आज तक के एरियर भुगतान किए जाने का आदेश निकाला जाए। साथ ही सीटू ने मांग की है कि अक्टूबर 2024 से देय हो चुके नये न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण की प्रक्रिया भी तत्काल प्रारंभ की जाए।