– वंदेमातरम् NEWS के पाठकों के सवाल…, समस्या का कैसे होगा हल?
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। रतलाम में शनिवार और रविवार की दरमियानी रात गायत्री मल्टीप्लेक्स के वाहन सड़क पर रहवासी के मकान के बाहर खड़े होने के विवाद में पुलिस ने भाजपा नेता और पूर्व निगम अध्यक्ष दिनेश पोरवाल के खिलाफ (FIR) प्रकरण दर्ज किया। घटना के चार दिन बाद विवाद का कारण (मुख्य मार्ग पर सड़क पर जाम) का निराकरण तो दूर विषय पर जिम्मेदारों ने सोचा भी नहीं। आधी हकीकत और आधा फसाना का वीडियो जिसने सोशल मीडिया पर जारी किया है और भाजपा नेता पोरवाल के खिलाफ FIR दर्ज कराया उस पुलिसकर्मी अजित सिंह चौहान का विवादों से पुराना नाता है। इस पुलिसकर्मी को तत्कालीन एसपी अमित सिंह ने सरेराह उत्पात मचाने और युवक से बदतमीजी कर चांटा मारने पर निलंबित किया था। उक्त पुलिसकर्मी पर गंभीर आरोप था कि नशे में धुत्त होकर वर्दी की सरेराह धौंस दिखाने पर पुलिस प्रशासन को थाने का घेराव भी झेलना पड़ा था।
गायत्री मल्टीप्लेक्स में पहुंचने वाले लोगों द्वारा रोज क्षेत्र में सड़क पर मकानों के बाहर गाड़ी पार्क कर रहे हैं। इससे रोज रहवासी परेशान होते हैं। उनकी कोई सुनाई ट्रैफिक पुलिस में भी नहीं होती है। इसी परेशानी के चलते शनिवार-रविवार की दरमियानी रात्रि के समय पूर्व नगर निगम अध्यक्ष द्वारा उनके घर के बाहर पार्क की वाहन में तोड़फोड़ करने और पुलिसकर्मी को धमकाने का आधा अधूरा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद स्टेशन रोड थाना पुलिस ने भाजपा नेता एवं पूर्व निगम अध्यक्ष दिनेश पोरवाल के खिलाफ विभिन्न धाराओं में (FIR) प्रकरण दर्ज किया है। रतलाम के चौराहों पर चर्चा है पुलिस को प्रकरण दर्ज करने में चार दिन का समय लगा। घटना का वीडियो पुलिस कर्मी द्वारा बनाया बताया जा रहा हैं। अगर पुलिस कर्मी द्वारा घटना का पूरा वीडियो बनाया गया था तो मौके से पुलिसकर्मी ने अपने रिपोर्टिंग या थाना प्रभारी को सूचना देकर क्यों नहीं बुलाया ? उक्त वीडियो एसपी राहुल कुमार लोढ़ा को भेजने से पहले सोशल मीडिया पर वायरल कैसे हुआ ? साजिश और षड्यंत्र के तहत सोशल मीडिया पर वीडियो किसने वायरल किया ? पुलिस के आला अधिकारियों ने इन तमामों सवालों को जाने बिना और क्षेत्र की ज्वलंत समस्या को दूर किए बिना पूर्व निगम अध्यक्ष और भाजपा नेता पोरवाल पर प्रकरण दर्ज कर अब खुद कटघरे में खड़ी हो गई है।
कार मालिक को पुलिस शिकायत के लिए नहीं कर सकी तैयार
शनिवार-रविवार दरियानी रात भाजपा नेता पोरवाल पर उनके बाहर खड़ी कार में तोड़फोड़ का आरोप पुलिस ने लगाया है। लेकिन जिसकी कार में पुलिस तोड़फोड़ होना बता रही है उसका मालिक थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए क्यों नहीं गया ? सूत्रों की माने तो जिसकी गाड़ी में तोड़फोड़ हुई , उस व्यक्ति ने शिकायत करने से मना कर दिया। यह कार मालिक ने भली भाती सोचकर इसलिए किया था कि उन्हें अहसास हुआ कि उनकी कार सड़क पर किसी मकान के बाहर खड़ा करना सुखधिकार का हनन है। इसके बाद पुलिस उक्त कार मालिक से शिकायत कराने के लिए दो दिन तक उनके घर के चक्कर काटती रही लेकिन वह शिकायत के लिए फिर भी तैयार नहीं हुए।
पुलिस की कहानी में घटना का विवरण
6 जुलाई – 2024 को पुलिस आरक्षक अजीत सिंह व सैनिक शादाब की ड्यूटी शाम 6 बजे से रात्रि 12बजे तक सैलाना बस स्टैंड, हाट चौकी क्षैत्र में थी। आरक्षक अजीत सिंह तथा सैनिक शादाब ड्यूटी के दौरान रात्रि में भ्रमण कर सैलाना बस स्टैंड पर दुकानदारों को समय पर दुकाने बंद करवाने की समझाईश देते हुए करीब 11.35 बजे गायत्री टॉकीज रोड पहुंचे तो देखा दिनेश पोरवाल गायत्री टाकीज के बोर्ड व गेट पर पत्थर फेंक रहे हैं। पुलिस कर्मचारियों के द्वारा टोकने पर दिनेश पोरवाल द्वारा पुलिस कर्मचारियों से अभद्र व्यवहार किया गया। आरक्षक अजीत सिंह की रिपोर्ट पर थाना स्टेशन रोड पर धारा 296,132,125,324(4),351(2)बीएनएस का प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना मे लिया गया।
वंदेमातरम् NEWS के पाठक श्री अनिल पेंडसे की कलम से
आज गायत्री टॉकीज रोड पर रहवासियों के घरों के सामने अन्य बाहरी लोगों के द्वारा गाड़ियां खड़ी करने को लेकर हुए विवाद की घटना सामने आई है| ऐसा नहीं है, कि यह पहली बार हुआ है| इसके पहले भी बाजार क्षेत्र के अंदर कई अन्य नागरिकों के विवाद सामने आ चुके हैं। लेकिन असली समस्या का समाधान करने के स्थान पर केवल लीपापोती कर व्यवस्था चलती हुई सी दिख रही है। सँकरी गलियों में बड़े-बड़े शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाया जाना, रतलाम शहर का संपूर्ण व्यवसाय एक निश्चित क्षेत्रफल के अंदर ही सीमित हो जाना, विभिन्न व्यवसायों के विकेंद्रीकरण की योजना को कछुआ गति से लागू करना, जिस कार्य के लिए कोई विशेष धन की आवश्यकता नहीं है ऐसे छोटे-छोटे कार्यों को भी दीर्घ अवधि तक लटकाए रखना। जैसे उदाहरण के लिए चिन्हित खुली जमीन पर छोटे-छोटे ओटले बनाकर सब्जी मंडी स्थानांतरित करने से, थूकने वाली-कीचड़ वाली सड़क पर बिकने वाली सब्जी खरीदने की मजबूरी रोकी जा सकती है। जिस प्रकार से साड़ी कॉम्प्लेक्स के लिए प्रयास हुआ है निश्चित ही सराहनीय है इसी प्रकार से ऐसे व्यवसाय जिनका शहर के मध्य में ही रहना आवश्यक नहीं है जैसे शहर के बाहर व्यवस्थित भूमि चिन्हित कर “कबाड़ा नगर” बनाया जाए। शहर भर के कबाड़ा व्यापारियों को स्थान उपलब्ध कराया जाए। रतलाम की जनता सभी कबाड़ा व्यापारियों की आभारी है क्विंटलों से कबाड़ा इकट्ठा करके शहर से बाहर ले जाने का काम करते हैं। क्या शहर के मध्य में कबाड़ा होना जरूरी है?
बाकि तो अपने कई करनो...
*रतलाम थिंक टैंक” बनाकर सामान्य नागरिकों से सुझाव लिए जाने चाहिए| सैकड़ो सुझाव आ जाएंगे| उचित सुनवाई के बाद अगले 5 वर्ष का प्लान बनाकर उनके ऊपर कार्य करने की जरूरत है ।अगर शहर को सुधारने की इच्छा हो, अन्यथा प्रतिदिन नागरिक इसी प्रकार से आपस में लड़ते भिड़ते रहेंगे। क्योंकि ग्राहक तो वहीं जाएगा अपनी कार/स्कूटर लेकर जहां दुकान होगी और दुकान कहां होनी चाहिए यह कोई तय कर ही नहीं रहा, संपूर्ण बाजार क्षेत्र में लोगों ने घरों के ओटले को ही दुकान बना डाला है।।यहां तक की भारी-भारी सामान के लिए भी शहर के बीच से लोडिंग वाहन सामान ले जाते हुए दिखाई देते हैं| जहां सड़क पहले से ही चौड़ी है वहां पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई हो जाती है| लेकिन जहां असली आवश्यकता है वहां एक बार बड़ी कार्यवाही होकर इस प्रतिदिन की समस्या को हमेशा के लिए समाप्त किया जा सकता है| बाकि तो अपने कई करनो…।