रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा का जिला आईटी सेल प्रभारी एवं जल-जीवन मिशन का आरोपी ठेकेदार अरविंद सोमानी प्रकरण दर्ज होने के डेढ़ माह बाद भी पुलिस की पहुंच से दूर है। कलेक्टर के आदेश पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा का जिला आईटी सेल प्रभारी आरोपी सोमानी के खिलाफ भादंवि की धारा 420 में प्रकरण दर्ज कराया था। उच्चाधिकारियों के समक्ष फाइल पहुंचने पर मामले में विश्वास का आपराधिक हनन पाते हुए सोमानी के खिलाफ भादंवि की धारा 409 बढ़ाई गई है। भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा का जिला आईटी सेल प्रभारी आरोपी सोमानी की अब तक गिरफ्तारी नहीं होना और पार्टी से निष्कासित नहीं करना भी अब कई सवालों को जन्म दे रहा है।
मालूम हो कि कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम के आदेश पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) के उपयंत्री नरेश कुवाल ने बाजना थाने में 24 मार्च 2022 को फर्म मेसर्स सोमानी कंस्ट्रक्शन एंड सप्लायर्स पर शासन से धोखाधड़ी के आरोप में प्रकरण दर्ज कराया था। मामले की संलिप्पता पर कलेक्टर ने पीएचई के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के सरकार को प्रतिवेदन भेजा है। मेसर्स सोमानी कंस्ट्रक्शन एंड सप्लायर्स ने 85 लाख रुपए की लागत से बाजना के आंबापाड़ा, पोनबट्टा, धोलपुरा सहित ग्राम हेवड़दामा के स्कूल और आंगनवाड़ी में प्याऊ निर्माण के दौरान भ्रष्टाचार को अंजाम दिया। आरोपी ठेकेदार सोमानी ने सरिया लगाए बिना प्याऊ के प्लेटफॉर्म बना दिए थे। शिकायत पश्चात जांच आधार पर मामले का खुलासा हुआ। जांच में सामने आ चुका है कि भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा का जिला आईटी सेल प्रभारी एवं जल-जीवन मिशन का आरोपी ठेकेदार सोमानी ने अवैध लाभ कमाने के लिए घटिया काम करते हुए गांवों के स्कूल और आंगनवाड़ी प्याऊ निर्माण के दौरान कांक्रीट के अंदर लोहे का जाल नहीं डाला। शासन की संपत्ति को नुकसान होने के बाद पूर्व में धोखाधड़ी को लेकर 420 में मुकदमा दर्ज हुआ, लेकिन उक्त प्रकरण में वरिष्ठ अधिकारियों ने भादंवि की धारा 409 बढ़ाई है। मामले की जांच कर रहे एसआई अल्केश सिंगाड़ ने बताया कि आरोपी अरविंद सोमानी की गिरफ्तारी के लिए रतलाम स्थित सनसिटी कॉलोनी के अलावा अन्यंत्र भी दबिश दी जा चुकी है। आरोपी अरविंद सोमानी को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।
धारा 409 में है 10 वर्ष की सजा का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 409 के अनुसार किसी प्रकार की संपत्ति पर प्रभुत्व होते हुए उस संपत्ति के विषय में विश्वास का आपराधिक हनन करना दर्शाता है। इस धारा में दोषसिद्ध पाने पर न्यायालय 10 वर्ष का सश्रम कारावास और आर्थिक दंड से दंडित करेगा।