असीम राज पांडेय, केके शर्मा
रतलाम। जिला पंचायत सदस्य और किसान नेता इन दिनों जिला मुख्यालय की राजनीति छोड़ जावरा विधानसभा में जड़ मजबूत करने में जुटे हैं। नेताजी अलग-अलग मुद्दों पर सबको साधने के लिए एसडीएम कार्यालय का आए दिन घेराव व प्रदर्शन कर मीडिया में सुर्खियां बंटोर रहे हैं लेकिन उनके प्रतिद्वंदी भी पीछे नहीं है। किसानों के अधिकार के लिए ज्ञापन और फोटो की राजनीतिक नोटंकी के बीच मंदसौर गोलीकांड के बाद किसानों को उकसाने के आरोपों से घिरे नेताजी के भाषणबाजी के वीडियो सोशल मीडिया पर छाने लगे हैं। शासन और प्रशासन के खिलाफ किसानों को लामबंद करने के पुराने वीडियो इन दिनों पुराने घाव को ताजा कर रहे हैं। इन नेताजी के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह मौका देख अपनी जगह बदलने में माहिर है। अब देखना यह है कि किसानों का बड़ा वर्ग नेताजी को कितना समर्थन देता है? क्योंकि इन्हीं नेताजी की भाषणबाजी से जिला मुख्यालय के करीबीगांव में पुलिस और प्रशासन के वाहनों में आगजनी और हिंसा के बाद तनाव फैला था।
कप्तान का अचानक तबादला चर्चा का विषय
खाकी वर्दी के कप्तान चार माह में रतलाम से रूखस्त हो गए। ऐसा क्या हुआ कि साहब को इतने कम समय में राजधानी मुख्यालय पर भेज दिया। आम चौराहों से लेकर राजनीतिक गलियारों में कप्तान के अचानक तबादले के पीछे अलग-अलग कारण बताए जा रहे हैं। कुछ राजनीति हस्तक्षेप को जोर दे रहे हैं तो कुछ शहर में आए दिन होने वाली गुंडागर्दी के तमाशे पर अंकुश नहीं लगा पाना। रूखस्त हुए साहब को मातहत समझ ही पाए थे कि नए साहब ने आमद दे दी। नए कप्तान काम में फूर्ती वाले बताए जाते है। इन कप्तान ने काम में कसावट लाने के लिए दिनभर में किसने कितना काम किया उसकी प्रतिदिन की अपडेट ले रहे हैं। रात करीब 9 बजे कान्फ्रेंस लेकर दिन भर की अपडेट पूछ रहे हैं। नए कप्तान की इस कार्यशैली से कुछ खुश है तो कुछ नाखुश। साहब पुराने पेडिंग मामलों की फाइलें भी खुलवा रहे हैं। ऐसे में पुराने कप्तान की कार्यशैली की नए साहब से तुलना विभाग में मुख्य मुद्दा है।
सम्मेलन के बहाने इनको भी लगा दिया काम पर
विधानसभा चुनाव में अभी समय है लेकिन सरगर्मी जिले में बढ़ती जा रही है। फूल एवं हाथ छाप पार्टी के राष्ट्रीय से लेकर प्रदेश स्तरीय नेताओं का आना-जाना शुरू हो गया है। फूल छाप के राष्ट्रीय स्तर के नेता ने ग्रामीण से लेकर पास की कांग्रेस के कब्जे वाली विधानसभा में आमद दी। नाम रखा गया कार्यकर्ता सम्मेलन। सम्मेलन में भीड़ जुटाने का जिम्मा हर बार की तरह जिन शासकीय सेवकों को दिया जाता है उन्हें दिया गया। कार्यकर्ताओं के साथ-साथ लाडली बहनों को भी लाया गया। अंदर की बात यह है कि कुछ अधिकारियों ने आर्डर जारी नहीं करते हुए मौखिक में वाट्सएप पर मैसेज कर मातहतों को व्यवस्थाओं को जुटाने के लिए भी ताकीद किया। चूंकि सरकार फूल छाप पार्टी की है और उसी पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के नेताजी के कार्यक्रम का तो ध्यान रखना जरूरी था। फिर क्या विभागीय मुखिया का आदेश तो मातहतों को मनमसोस कर मानना ही था। इधर हाथ छाप वाले प्रदेश स्तरीय नेता भी एक टीवी चैनल कार्यक्रम में जिला मुख्यालय पर शामिल हुए। इनके स्वागत में फूल छाप के कब्जे वाली विधानसभा में चुनावी सपने देखने वाले नेता जी ने शहर में अपने ही होर्डिंग्स लगवा दिए। जो कि केवल जिला पंचायत की बैठकों में ही नजर आते है।