रतलाम, वंदे मातरम् न्यूज।
ट्रेनों के परिचालन के वक्त सेफ्टी उपकरण व रनिंग दस्तावेज रखने के लिए सालो से उपयोग में ले रहे लाइन बॉक्स के बजाय ट्रेन ड्राइवर (लोको पायलट) को अब ब्रीफकेस, ट्रोलिबेग या अन्य इसी आकर के अन्य बैग का उपयोग करना होगा। इस व्यवस्था की मंजूरी व सख्ती से अमल करने के लिए सभी ट्रेन ड्राइवर से सहमति के तौर पर फार्म भरवाए जा रहे है।
इसके लिए प्रशासन द्वारा 3 वर्ष में एक बार 3000 हजार रुपये दिए जाएंगे। यदि किसी ट्रेन ड्राइवर का बैग गुम हुआ तो दुबारा खरीदने की भी अलग प्रकिया रहेगी।
रतलाम मंडल में हुआ था विरोध
ट्रेनों में लाइन बॉक्स को बंद कर इसकी जगह स्वयं ड्राइवर को बैग साथ ले जाने-लाने की जिम्मेदारी देने का फैसला रेलवे ने पिछले साल ही ले लिया था। तब ट्रेड यूनियन व संगठनों ने इसका जमकर विरोध किया था। हालांकि कुछ नए उपायों के बाद रेलवे ने दोबार आउटसोर्स कर्मचारियों से चढ़ाने व उतारने की व्यवस्था शुरू कर दी। मगर इस सप्ताह फिर से बैग शुरू करने की हलचल से कर्मचारियों में विरोध शुरू होने लगा है।
लोको पायलट नही दे रहे सहमति
स्वयं बैग ढोने की व्यवस्था के लिए फार्म भरवाने के विकल्प में कई रनिंग कर्मचारी अपनी असहमति दी। जबकि कुछ कर्मचारी डरे दबे इसे स्वीकार भी कर रहे है। मामला ट्रेड यूनियन तक पहुंचने पर पश्चिम रेलवे मुख्यालय तक संज्ञान में भेजा जा रहा है।
इसलिए हो रहा विरोध
यात्री ट्रेनों व मालगाड़ियों में ट्रेन ड्राइवर व गार्ड के लिए अंग्रेजों के जमाने से लाइन बॉक्स रखने की प्रथा है। बॉक्स में टूल्स, मेडिकल किट, डायरी, पटाख़े, टार्च, झंडी सहित कुछ जरूरी सामान रखे होते है। पूर्व में बॉक्स उतारने चढ़ाने कर्मचारियों की नियुक्ति थी। कुछ सालों से यह काम आउटसोर्सिंग से हो रहा है। यह खर्च भी कम करने रेलवे ने बैग की व्यवस्था शुरू की है।
बैग ढोना मुमकिन नही
इस मामले में वेस्टर्न रेलवे मजदूर संघ रनिंग शाखा अध्यक्ष दीपक गुप्ता का कहना है कि रेल प्रशासन द्वारा बैग की व्यवस्था शुरू करने के लिए प्रारूप में आवेदन भरवाए जा रहे है। इसका वेस्टर्न रेलवे मजदूर संघ व रनिंग कर्मचारियों का विरोध है। मंडल मंत्री बीके गर्ग को संज्ञान में दिया है। उन्होंने इस बारे में डीआरएम से चर्चा की है। विरोध इसलिए भी है कि अभी बैग में 5 सामग्री रखने की बात कही जा रही है। बाद में इसे बढ़ा देने की आशंका है। ऐसे में बैग साथ ले जाना मुमकिन नही है।