असीम राज पांडेय, रतलाम। नगर सरकार माननीय ने कर में बढ़ोत्तरी कर रतलाम वासियों को पार्टी की ओर से उपहार दिया है। एजेंडे में शामिल शुल्क वृद्धि का प्रस्ताव सम्मेलन में कुछ ऐसे लाया गया, जिससे खुद के विवाद और कारगुजारियां दब जाए। फूलछाप पार्षद ने स्वच्छता के कथित अधिकारी के फर्जी प्रमोशन को लेकर सवाल करना चाहा तो यह कहकर दबा दिया कि हमें सवाल हटाने का अधिकार है। सच्चाई को छिपाने के लिए सवाल हटाने का अधिकार बताने वाले माननीय और उनके करीबी यह भूल चुके हैं कि सच्चाई नहीं दबती है। राजीव गांधी सिविक सेंटर के मुद्दे पर तिलमिलाकर संवैधानिक कुर्सी से पूर्व अफसर से मां का दूध पीने की ललकार के बाद फिर से अब संगठन माननीय की बुद्धि पर सोच में डूब चुका है। ये अंदर की बात है… कि नगर सरकार के माननीय भले ही सत्ता के दम पर अपने बड़े बोल से तेवर दिखा लें, लेकिन कुर्सी की रजिस्ट्री नहीं होती। शहर में चौराहे-चौराहे पर चर्चा है कि एक पूर्व माननीय ने भी अपने काले बालों के समय तेवर दिखाकर काफी उलट-पलट किया था। काले बालों में भूमाफिया को स्कूल की भूमि नियम विरूद्ध आवंटित करने का मामला उनके सफेद बाल होने पर फिर खुल चुका है। बाल सफेदी में कटघरों में खड़ा रहना और कोर्ट के चक्कर काटना आसान नहीं है।
एक हल्के में तीन पहलवान, दो चित
शहर के पटरी पार क्षेत्र स्थित एक हल्के के लिए तीन पहलवान पिछले दिनों मैदान में उतरे थे। दो पहलवानों ने राजनीति पकड़ से बड़े बाबू को प्रेशर भी दिलाया तो तीसरे पहलवान ने अपने व्यवहार में पटेलगिरी हासिल कर ली। पर्दे के पीछे की कहानी कुछ ऐसी है कि जिन दो पहलवानों ने हल्के पर कब्जे के लिए राजनीति स्वरूप वकील चुने थे वह फिसड्डी साबित हो गए। मसला यहां तक भी नहीं रूका। शहर के नेताजी के करीबी और एक अन्य नेताजी ने अपने-अपने पहलवानों के लिए बाद में एड़ी-चोटी का जोर लगाया। किसी ने शहर के नेता के नाम का उपयोग किया तो कोई प्रदेश के मुखिया तक मसला लेकर पहुंचा। शहर के नेता का नाम उपयोग होने पर जब संबंधित हल्के के पटवारी ने जानकारी जुटाई तो पता चला कि नेताजी तो ऐसे काम में इनवाल्व ही नहीं होते हैं। ये अंदर की बात है…कि जब यह सूचना बड़े बाबू तक पहुंची तो वह भी रिलेक्श हुए और उन्होंने नेताजी के करीबी को ऐसी बात कही कि वह बगले झांकने लगे। इधर एक अन्य नेताजी जिन्होंने अपनी नहीं चलने पर प्रदेश मुखिया तक बात की तो उन्हें जवाब मिला कि बड़े बाबू को अपनी व्यवस्था के अनुरूप काम करवाना होता है। इसलिए उनके काम में दखलअंदाजी मत करना। अब हल्के को लेने के चक्कर में चित हो चुके दोनों पहलवानों के उस्तादों के बारे में जमीन नापने वाले विभाग में चर्चा ने काफी जोर पकड़ लिया है।
विरोध करना पड़ गया महंगा
देशभक्ति कार्यक्रम में एक बच्चे के हाथ में पाकिस्तान झंडा देने का विरोध करना छात्र नेताओं को भारी पड़ गया है। मसला कुछ ऐसा है कि छात्र नेताओं ने बड़े बाबू के दरवाजे के बाहर करीब आधे घंटे तक नारेबाजी की थी। बड़े बाबू ने सत्ता पार्टी के छात्र नेताओं की समस्या सुनने जब पहुंचे तो नारेबाजी का शोर और तेज हो गया था। इस दौरान बड़े बाबू नाराज होकर अपने चेंबर में जाकर बैठ गए थे। सत्ताधारी पार्टी के नाराज छात्र नेताओं ने बड़े बाबू का विरोध करते हुए जाम लगाकर सड़क घेर दी थी। सरकारी महकमें सहित राजनीति गलियारे में आपसी सामंजस्य को लेकर सवाल उठने पर छात्र नेता बड़े बाबू के अधीनस्थों को ज्ञापन देने और फोटो खिंचवाने के लिए तैयार हुए थे। बड़े बाबू के अधीनस्थों को ज्ञापन सौंपने के बाद छात्र नेता इस खबर से बेफिक्र थे कि उनके पदाधिकारी सहित कार्यकर्ताओं के वीडियो फूटेज में शक्ले तलाशी जाएंगी और मुकदमा दर्ज किया जाएगा। छात्र राजनीति में मुकदमा दर्ज होना भविष्य के लिए मजबूती मिलना है। ये अंदर की बात है… कि छात्र नेता इस बात से नाराज हैं कि उनकी सरकार में उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज को लेकर अब प्रतिद्ंवदी खिल्ली उड़ा रहे हैं।