असीमराज पांडेय, रतलाम। सावधान… अगर आप जिले के मुख्य थाने की सीमा में प्रवेश कर रहे हैं तो आप अपना वाहन बारिकी से जांच ले। वाहन में नमक, औषधी (आयुर्वेद की दवा) या अन्य खाद्य सामग्री पुड़िया में बंधी मिलती है तो आपकी रात काली हो सकती है। ऐसा ही एक वाक्या तीन दिन पूर्व शहर के मुख्य थाने में हुआ। होशियार खाकीधारी उर्फ चोटी ने गश्त के दौरान एक चार पहिया वाहन रोका। वाहन में एक पुड़िया मिली। होशियार खाकीधारी उर्फ चोटी खुश हुआ और नशीली वस्तु की खेप पकड़ने की बात कहकर थाने में कॉलर ऊंची कर घूमने लगा। चालक ने हाथ जोड़ विनती की कि साहब यह नशीला पदार्थ नहीं बल्कि मेरे साथी की आयुर्वेद सांस की दवा है। होशियार खाकीधारी उर्फ चोटी ने उसकी एक नहीं सुनी और पुलिसिया अंदाज में उसे थाने में बैठाकर रातभर ठिठुरा दिया। सुबह चालक के परिजनों ने स्थानीय लोगों को मोबाइल लगाया तो मामला थाने के मुखिया तक पहुंचा। थाने के मुखिया ने निष्पक्षता का परिचय देकर पुड़िया की जांच करवाई और चालक को वाहन के साथ सम्मानपूर्वक विदा किया। ये अंदर की बात है… कि यह होशियार खाकीधारी वही कर्मचारी है, जिसके कारण कुछ माह पूर्व थाना क्षेत्र में हुई अशांति के चलते जिले के मुख्य थाने के काबिल प्रभारी को लाइन अटैच के साथ कप्तान को जिले से विदा लेना पड़ी थी। होशियार खाकीधारी उर्फ चोटी ने काबिल थाना प्रभारी को अपने ग्रीप में लेकर खुद थाना चलाने लगा था और अभी भी उसकी कार्यप्रणाली में वह सभी जतन शामिल हैं, जिससे नवागत प्रभारी खुश होकर उसकी विश्वास की बोतल में उतर सकें।
कर्मा के फूटे ऐसे कर्म, नहीं काम आया कोई बहाना
नगर निगम के राजस्व विभाग के अधिकारी और कर्मचारी निगम के राजस्व में बट्टा लगाकर खुद की जेब गर्म करने में जुटे हैं। त्रिवेणी में भी कालिका माता मेले की तर्ज पर राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारी खेला कर रहे थे। नियमानुसार दुकान आवंटन पश्चात रसीद दी जाना अनिवार्य है, लेकिन थाली में छेद करने वाले बेखौफ अधिकारी-कर्मचारियों ने त्रिवेणी मेले में 10 गुना राशि वसूलने का खेल खेला। चोरी तब पकड़ी गई जब बेखौफ अधिकारी-कर्मचारी महिला दुकानदारों को रात में बुलाने की बात करने लगे। मामला मेले के प्रभारी (नट्टू काका) तक पहुंचा तो उसने भी फूलछाप पार्टी के अनुशासन को तार-तार करने में कसर नहीं छोड़ी। जब नगर सरकार के माननीय तक कानाफूसी हुई तो मामला गंभीर लगने पर वह निगम के प्रशासनिक मुखिया को लेकर मेले में जा धमके। नगर सरकार और वरिष्ठ अधिकारी के पहुंचते ही दुकानदारों का गुस्सा फूटा और उन्होंने उनके सामने ही अवैध वसूली करने वाले कर्मचारियों की चप्पलों से धुनाई कर डाली। राजस्व अधिकारी कर्मा के कर्म को भांपते हुए प्रथम दृष्टया सस्पेंड किया। इसके अलावा उपायुक्त व मेला अधिकारी को नोटिस थमाया। जांच अभी जारी है। ये अंदर की बात है… कि कर्मा के कर्म कुछ ऐसे हैं कि वह ऐसे कार्य जिनमें खर्चा-पानी नहीं मिलता उन फाइलों को छूता तक नहीं है और बीमारी का वरिष्ठ अधिकारियों को हवाला देता रहता है। इस बार उसका नकारा और निकम्मापन कुछ ऐसा पकड़ में आया कि उसे कुर्सी से हाथ धौना पड़ गया।
कप्तान की वर्किंग स्टाइल से थाना प्रभारी दुखी
जिले में सुरक्षा को लेकर विभाग के कप्तान काफी सख्त नजर आ रहे हैं। उनकी वर्किंग स्टाइल के चलते कुछ थानों के प्रभारी दुखी दिख रहे हैं। दरअसल, कप्तान ने लचर सिस्टम में कसावट लाने के लिए थाना प्रभारियों को वर्किंग का मैसेज दे दिया है। नतीजतन थानों की कुर्सी पर बैठ आराम फरमाने वाले प्रभारियों को इन दिनों दिन के आराम के साथ रात का चैन भी हवा हो चुका है। देर रात तक कप्तान सड़कों की आवाजाही पर नजर जमाने के साथ दिन में सुस्ताने वाली पुलिस को मीटिंग्स में व्यस्त रखते है। इसके अलावा मीडिया में छपने वाले अपराधों को भी डायरी में नोट कर कप्तान थाना प्रभारियों से सुबह-शाम की अपडेट लेकर पुलिसिंग सिखाने में जुटे हैं। ये अंदर की बात है… कि आमजन से बेहतर संवाद का पाठ भले ही थाने पर तैनात वर्दीधारियों ने पढ़ने में दिलचस्पी नहीं ली हो लेकिन जब कप्तान के पास थाने की कोई शिकायत पहुंचती है तो क्लास कुछ ऐसी लगती है कि प्रभारी से लेकर आरक्षक के चेहरे की हवाइयां उड़ी-उड़ी नजर आती है। कप्तान को आए अभी चार माह ही बीते हैं और थानों पर तैनात मुखिया से लेकर जवान उनकी कार्यप्रणाली समझने का मंत्र पढ़ रहे हैं। महकमें में चर्चा है कि कप्तान कब कहां पहुंचेंगे इसका अंदेशा तो किसी को नहीं है, लेकिन उनकी कार्यप्रणाली भी ऐसी है कि उसे समझना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।