असीम राज पांडेय, रतलाम। मां का आराध्य पर्व नवरात्र मेला हो या त्रिवेणी मेला या फिर भगवान श्री राम की रावण पर जीत का उत्सव। सनातन धर्म के सभी महापर्वों पर होने वाले कार्यक्रम में नगर निगम के नेताजी “नट्टू काका” ने मास्टर ब्लास्टर की तरह बल्लेबाजी की है। हाल ही में त्रिवेणी मेले में दुकानदारों से अधिक राशि वसूल रसीद नहीं देने का मामला उजागर होने पर तीन विकेट चटक चुके हैं। महकमें में कर्मचारी चर्चा के दौरान त्रिवेणी मेले में हुए खेल का दोष मेला प्रभारी बनकर बैठे “नट्टू काका” के माथे पर फोड़ रहे हैं। चर्चा गरम इसलिए भी है कि वर्ष 2024 के नवरात्र मेले में “नट्टू काका” ने नगरवासियों को मंच से घटिया सांस्कृतिक कार्यक्रम और ओछे स्तर का कवि सम्मलेन सुनवाया। दशहरा पर्व पर भी चंद सेकंड के पटाखे और रावण दहन ने बच्चों सहित नगरवासियों को मायूस किया। इन सब कार्यक्रमों में “नट्टू काका” ने दीपावली से पहले लक्ष्मी पूजन कर लिया था। अब यह कार्यक्रमों की शिकायत हाथ रंगने वाले विभाग के पास है। हाथ रंगने वाला विभाग निगम से सांस्कृतिक कार्यक्रम का रिकॉर्ड तलब कर चुका है। नेताजी यानी “नट्टू काका” के इशारे पर ही नवरात्र मेले में वर्ष 2024 में अधिक राशि के बिल पर घटिया कार्यक्रम प्रस्तुत का पहला रिकॉर्ड भी बना है। ये अंदर की बात है… कि मेलों में गुंडों और बदमाशों से जगह-जगह वाहन स्टैंड की दुकान खुलवाकर आमजन को लुटवाने और पिटवाने में भी “नट्टू काका” ने कोई कसर नहीं छोड़ी। फुलछाप पार्टी से निगम में पहली मर्तबा पहुंचकर मंत्रालय पर काबिज होने वाले “नट्टू काका” आमजनता के साथ पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं की नजरों से काफी गिर गए हैं। पार्टी के अंदरूनी खाने में सुगबुगाहट है कि मास्टर ब्लास्टर “नट्टू काका” की कुर्सी अब जल्द खिसक सकती है।
नाचे कूंदे बांदरी-खीर खाए “चोटी वाला” फकीर
कप्तान की सूचना पर पिछले दिनों रेलवे क्षेत्र में सट्टे की आशंका में दो व्यक्तियों को उठाकर जिले के मुख्य थाने पर छोड़ा गया। थाने लेकर आए व्यक्तियों के पास सट्टा पर्ची नहीं मिलने पर करीब चार घंटे तक बैठाए रखा। खास बात यह है कि इसमें एक सटोरिया और एक अपनी मां को छोड़ने रेलवे स्टेशन आया था। चार घंटे तक थाने में जमा रहने के बाद नाटकीय अंदाज में खाकीवाला उर्फ चोटी ने सट्टे की पर्ची भरी। सटोरिये को प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का खौफ दिखाकर खाकीवाला उर्फ चोटी ने 5 हजार की डिमांड की। तोड़ 4 हजार रुपए का हुआ। साधारण सट्टा एक्ट में प्रकरण दर्ज कर थाने में आरोपी बनाए सटोरिये को छोड़ दिया गया। मां को रेलवे स्टेशन छोड़ने गए व्यक्ति की जेब में 1300 रुपए खाकीवाला उर्फ चोटी को नजर आए। निर्दोष की जेब से 1300 रुपए हड़पने के बाद उसे भी थाने से जाने की इजाजत दी गई। जिले के मुख्य थाने में खाकीवाला उर्फ चोटी की उक्त जादूगरी महकमें में चर्चा का विषय है। महकमें में बताया जा रहा है कि यह चोटी वाला जादूगर वही है, जो खुद को थाना प्रभारी समझने के साथ बड़ी मात्रा में शराब की कालाबाजारी करने वाले मुख्य आरोपी को थाने से बाहर निकालने , झूठी शिकायत करवाकर निर्दोषों से लाखों रुपए हड़पने सहित वाहन में रखी पुड़िया को मादक पदार्थ (एमडी) बताकर पुलिसिया खौफ से डिमांड करता है। डिमांड पूरी नहीं होने पर थाने पर बैठाने का खेल भी इसे बखूबी आता है। ये अंदर की बात है… कि इसी खाकीवाला उर्फ चोटी के कारनामों से तत्कालीन कप्तान की रवानगी और थाना प्रभारी को अटैच होने की कार्रवाई झेलना पड़ी है। हाल ही में जिले के मुख्य थाने में हुए पूरे वाक्ये से चर्चा का बाजार इन शब्दों से गरमा चुका है कि नाचे कूंदे बांदरी, खीर खाए “चोटी वाला” फकीर।
आमजन से दूर हुआ आनंद और नेताजी मना रहे उत्सव
देश की परंपरा में आनंद की अवधारणा को केंद्रित करने के लिए प्रदेश के मुखिया ने 15 दिवसीय आनंद उत्सव की पहल शुरू कर भले ही प्रदेशवासियों को जुड़ने की अपील की हो, लेकिन रतलाम सहित जिले में आमजन से दूर हुए इस आनंद उत्सव में सिर्फ जनप्रतिनिधि परिवार के साथ मनोरंजन कर रहे हैं। आमजन को इस उत्सव रूपी पखवाड़े से दूर रखने के लिए न तो प्रचार-प्रसार किया जा रहा है और नहीं आम नागरिकों को शामिल किया जा रहा है। पिछले दिनों शहरवासियों की प्यास मिटाने वाले जलाशय पर प्रदेश के मुखिया की भावना के विपरित सिर्फ नगर के जनप्रतिनिधि उनके परिवारों ने आनंद महोत्सव में डूबकियां लगाईं। उत्सव में आनंद लेने वाले यह भूल गए कि प्रदेश के मुखिया ने आनंद उत्सव का आह्वान किन भावनाओं से किया है। ये अंदर की बात है… कि आनंद लेने जलाशय पहुंचे जनप्रतिनिधियों ने सहित उनके परिवारों ने पतंग उड़ाई, बोटिंग कर सेल्फी भी ली। पूरे आनंद उत्सव में आमजन को मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने वाले विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी मेहमान नवाजी में जुटे रहे। दाल-पानीये के अलावा स्वादिष्ट नाश्ता परोसने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। खास बात यह है कि आम नागरिक के अलावा इस आनंद उत्सव में सत्ताधारी पार्टी के कुछ नेता भी नाराज हुए क्योंकि उन्हें विधिवत सूचना नहीं दी गई। इसके अलावा चौराहे पर चर्चा का दौर है कि देश और प्रदेश के मुखिया भले ही आम नागरिक के लिए उत्सव की बहार लाने का आह्वान करें, लेकिन हमारे नेता और अधिकारी इतने महान है कि आम नागरिकों को दरकिनार कर आनंद उत्सव मनाते रहे है। आनंद उत्सव का शहर में भी किसी प्रकार से कोई प्रचार प्रसार नहीं देखा गया। जिससे के आम नागरिक भी इस उत्सव में शामिल हो सके।