असीम राज पाण्डेय, रतलाम। सरकारी वेयर हाउस से निकला 80 मैट्रिक टन यूरिया रतलाम के एक प्राइवेट गोदाम से मिले पखवाड़ा भर बीत चुका है। तीन अलग-अलग ट्रकों से मेघनगर की बजाए दिलीप नगर में एक प्राइवेट गोदाम में खाली होना माफियाओं के इशारे पर कालाबाजारी का खेल है। जिला प्रशासन ने पूरे मामले में आंखें मूंद ली है। पखवाड़े भर बाद भी जिम्मेदारों द्वारा सरकारी वेयर हाउस का यूरिया प्राइवेट गोदाम में मिलने के बाद कार्रवाई को नजर अंदाज करना अब यूरिया माफियाओं से सांठगांठ की तरफ इशारा कर रहा है। अब आमजन में बड़ी मात्रा में प्राइवेट गोदाम से जब्त यूरिया चर्चा का विषय बन चुका है। प्रारंभिक जांच में सामने आया था कि एक ट्रक रात में दो ट्रक दूसरे दिन प्राइवेट गोदाम में खाली हुए थे। यूरिया की कालाबाजारी का बड़े स्तर पर होने वाले इस खेल में शुरुआत में सरकारी यूरिया मिलने वाले प्राइवेट गोदाम के संचालक की ओर से जवाब दिया था कि ट्रक खराब होने के कारण यह रतलाम में खाली हुए। गोदाम संचालक ने जिस तरह लापरवाही पूर्वक मीडिया में एक साथ ट्रक खराब होने का जवाब दिया उसी तरह से अब जिला प्रशासन के जिम्मेदार भी सिर हिला रहे हैं। ये अंदर की बात है…कि मेघनगर यूरिया लेकर जाने वाले ने प्राइवेट गोदाम में रखने से पहले ट्रकों के खराब होने की जानकारी किस जिम्मेदार को दी थी? जिम्मेदारों को आखिर जानकारी देकर अनुमति ली थी तो क्या एक साथ तीन ट्रक खराब होना संयोग था या कुछ और? रतलाम-झाबुआ क्षेत्र में यूरिया की कालाबाजारी को लेकर माफिया के आगे जिला प्रशासन का नतमस्तक होना अब कई सवालों को जन्म दे रहा है।

खाकी के खौफ से नेताजी ने बंद कर दी मुहिम
आदिवासी क्षेत्र के एक नेताजी दारू के बाद अब पानी की मुहिम में उतरे हैं। यह नेताजी प्रतिबंधात्मक की मामूली सी धारा में सबसे अधिक समय तक जेल में समय काटने का रिकॉर्ड भी बना चुके हैं। नेताजी को पिछले दिनों पेटियां पकड़ने का भूत सवार था। नेताजी ने जोश-जोश में सरकारी वेयर हाउस से परमिट पर जा रहे वाहन को रोक रंगदारी दिखाई। रंगदारी के दौरान हाथ-पैर जोड़ने के बाद चालक ने नेताजी की थपेड़ों से लू उतार दी। ऐसा हम नहीं नेताजी द्वारा मीडिया में दिए बयान और जारी फोटो की कहानी है। इसके बाद चालक ने नेताजी और गुर्गों द्वारा परमिट के विपरित मार्ग पर वाहन ले जाने सहित मारपीट कर रुपए और कागज छिनने के संगीन आरोप लगाए। परमिट के कागज और चालक की दमदारी से नेताजी की चौकीदारी की पोल खुल गई। नेताजी और चालक दोनों पक्षों की ओर से थाने में कार्रवाई हुई। मुकदमें में नेताजी की अंगुली दब गई। चालक के बयान पर नेताजी अब नामजद हो सकते हैं। ऐसे में नेताजी ने दारू के बाद पानी की मुहिम पकड़ ली। ये अंदर की बात है… कि नेताजी…का भी गजब का कॉम्बिनेशन पहले दारू फिर पानी। आबकारी विभाग के खिलाफ मैदान में उतरे नेताजी महज तीन कार्रवाई के बाद ऐसे थके कि हंगामें के सात दिन बाद वह शराब को पकड़ने में हिम्मत नहीं कर पाए। नेताजी ने शराब की जगह पानी की दुकान खोल फोटो खिंचवाए। मीडिया में इनके आंदोलन को जगह नहीं मिली। आमजन भी नेताजी की कलाकारी पहचान चुके है, चर्चे हैं कि नेताजी ने खाकी के खौफ से क्षेत्र में शराब की मुहिम बंद कर दी।
कमीशन का खेल और निगम इंजीनियर मेहरबान
नगरवासियों को मूलभूत सुविधाएं देने वाले विभाग के इंजीनियरों की ठेकेदारों के प्रति हमदर्दी गजब है। 80 फीट सड़क निर्माण की लेतलाली हो या घटिया सड़क निर्माण के लिए पूर्व मंत्री का निगम में बार-बार पहुंचकर मुखिया को ताकिद करना। इसके बावजूद निगम के वार्ड इंजीनियर ठेकेदारों के प्रति वफादारी निभाने से पीछे नहीं है। शहर में जगह-जगह विकास कार्यों के नाम पर हो रहे घटिया निर्माण के बावजूद जिम्मेदार वार्ड इंजीनियर आंखों पर पट्टी बांधकर बैठे हैं। मामले में घटिया और समयसीमा को लेकर जिम्मेदारों से सवाल किए जाते हैं तो जवाब उल्टा सरकार को बदनाम करते हुए दिया जाता है। सरकार के पास रुपए ही नहीं तो बेचारा ठेकेदार तो ऐसे ही काम करेगा। वार्ड इंजीनियरों से न्यायाधीशों की भूमिका निभाने वाले वार्ड इंजीनियरों में चार महानुभव पिछले एक दशक से नियम विरुद्ध कुर्सी जमाकर मठाधीश हो चुके हैं। इन मठाधीशों को यह भी पसंद नहीं है कि इनसे आगे कोई चले। इन तमाम कारगुजारियों के बावजूद निगम प्रशासन के प्रमुख का वार्ड इंजीनियरों के प्रति मौन रहना गलियारों में कई सवाल खड़े कर रहा है। वार्ड इंजीनियरों की ठेकेदारों से सांठगांठ से एक तरफ जहां जनता को सीधे-सीधे विकास कार्यों के नाम पर धोखा दिया जा रहा, वहीं शासन की अमानत में खयानत का खेल जारी है। ये अंदर की बात है…कि वार्ड इंजीनियरों के अलावा विभाग प्रमुख तक पहुंचने वाले मोटे कमीशन से जिम्मेदार जनप्रतिनिधि भी बैठे-बैठे सब देख रहे हैं। जनप्रतिनिधियों की पूरे मामले में चुप्पी को जनता अब मौन स्वीकृति करार देने लगी है।