असीम राज पांडेय/रतलाम। शहर में लगातार शराब तस्करी के मामले सामने आ रहे हैं। बिल्ली-चूहे का यह खेल तब हास्य का विषय बना, जब बड़ी मात्रा में एक कार में शराब की पेटियां भरकर तस्कर ने कवर चढ़ाकर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के अपार्टमेंट में खड़ी की। डॉक्टर साहब को मदमस्त गंध लगी तो उन्होंने सुरक्षा के रखवालों के बजाए कलमकारों को सूचना दी। कलमकार ड्यूटी करने मौके पर पहुंचे तो यहां पर सुस्ताते वाले कॉलेज चौकी का अमला भी जा धमका। दिलचस्प बात यह है कि उक्त गाड़ी को शराब विभाग के नुमाइंदे पिछले दो दिनों से तलाश रहे थे। सूचना पर संबंधित थाने के पुलिस पहुंची तो एक मोबाइल पर उक्त कार की चाबी मंगवा कर कलमकारों के जेहन में कई सवाल खड़े किए। ये अंदर की बात है.. कि ढाबे वाला तस्कर एक खाकीधारी के बेटे को पाटर्नर बनाकर अरसे से अवैध शराब परिवहन कर रहा है। खाकीधारी का बेटा और तस्कर भी मेडिकल कॉलेज में कार्रवाई के चश्मदीद रहे और पुलिस दोनों को थाने भी लेकर पहुंची। थाने पर मीडिया जब सवालातों के जवाब लेकर रवाना हुई तब मौका देख खाकीधारी के बेटे को कार्रवाई बगैर घर के लिए रवाना कर दिया। सवाल यह है कि इसी कारण थाने में कार्रवाई हुई, अगर शराब विभाग को मामला सौंपते तो खाकीधारी का बेटा भी आरोपी बनता।
डीपी में उलछे फूलछाप के चार वार्ड माननीय
व्यस्त घास बाजार चौराहे पर डीपी हटाने की चर्चा शहर के चौराहों पर खास बनी हुई है। दरअसल कहानी कुछ ऐसी है कि फूलछाप पार्टी के दो एमआईसी मेंबरों ने बाजार में एक भूखंड स्वामी को डीपी से राहत दिलाने के लिए 12 लाख रुपये में सौदेबाजी की। सौदेबाजी के बाद विद्युत वितरण कंपनी को एमआईसी मेंबर ने अपने अधिकार का उपयोग करते हुए तत्काल एस्टीमेट बनाकर प्रपोजल भी भेज दिया। कानों कान किसी को खबर नहीं लगी और मौके पर नगर निगम एवं विद्युत वितरण कंपनी के कर्ताधर्ता पुराने स्थान से डीपी हटाकर नए स्थान पर लगाने का काम शुरू करने पहुंचे। यह डीपी ऐसे नए स्थान पर लगाई जा रही थी, जहां यातायात अवरुद्ध होने के साथ मंदिर में आवागमन को लेकर परेशानी उपजती। नए स्थान पर दुकानदारों का विरोध होता देख फूलछाप पार्टी के सचेतक ऐसे सचेत हुए कि वह उन्हीं की पार्टी के पार्षद पति के साथ मौके पर जा धमके। यहां पर दोनों ने जमकर हंगामा किया। दो विभाग के कर्मचारियों को उल्टे पैर वापस लौटना पड़ा। ये अंदर की बात है… कि दोनों नए नवेले एमआईसी मेंबरों की जादूगरी से पार्टी के अलावा आम नागरिक भी भलिभांती वाकिफ हो चुके हैं। एक माननीय मकान निर्माण को लेकर सुर्खियां बटोर चुके हैं तो दूसरे महानुभव हाल ही में निगम से गायब हुए लेपटॉप को लेकर काफी चर्चा में है। अब देखना यह है कि ऐसे जादूगर एमआईसी मेंबरों को लेकर पार्टी क्या कार्रवाई करती है, क्योंकि पार्टी की किरकरी तो अच्छे से हो चुकी है।
निगम के ठेकेदारों की हो गई बोलती बंद
पिछले दिनों अवकाश के दिन एक ठेकेदार जब निगम पहुंचे तो फूलछाप वार्ड माननीय के सवाल पर आग बबूला होकर आसमान सिर पर उठा लिया। ठेकेदारों की आपात बैठक हुई और फूलछाप वार्ड माननीय के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पार्टी के जिला मुखिया को लिखित शिकायत की। इसका समाचार भी चुनींदा खबरचियों से बड़े जोर-शोर से छपवाया। मानों यह वार्ड माननीय को पद से हटवाकर सलाखों के पीछे पहुंचाकर दम लेंगे। तीन से चार दिन तक ठेकेदारों की उछल-कूंद के बाद वार्ड माननीय ने ठेकेदारों की मनमानी और लापरवाही को लेकर निगम के मुखिया को शिकायत की। इस शिकायत में ठेकेदारों को निगम में संरक्षण देने वाले इंजीनियर साहब भी कटघरे में खड़े हुए। निगम के मुखिया ने जैसे ही ठेकेदारों को संरक्षण देने वाले इंजीनियर साहब को ताकिद कर अल्टीमेटम दिया… ठेकेदारों की बोलती बंद हो गई। ये अंदर की बात है … कि ठेकेदारों के कारनामें जगजाहिर हैं ऐसे में संरक्षण देने वाले इंजीनियर साहब ने ज्ञान का बोध कराया कि अब मेटर को ज्यादा मत उछालो। सत्ताधारी पार्टी के वार्ड माननीय के खिलाफ ज्यादा बोला तो उच्चस्तरीय शिकायत होगी और हो सकता है कि जांच दूसरे विभाग के पास पहुंचकर कार्रवाई भी हो जाए। ज्ञान का यह बोध प्राप्त होते ही उछल-कूंद करने वाले ठेकेदारों ने अब मुद्दे पर पूरी तरह से मौन धारण कर लिया है।