असीम राज पाण्डेय, रतलाम। शहर के व्यापारिक थाना अंतर्गत जुए के अड्डे पर कप्तान की टीम की दबिश के चर्चे चप्पे-चप्पे में है। कार्रवाई में हुआ चोर-पुलिस का खेल सुर्खियां बंटोर रही है। कप्तान ने विश्वास में तीसरी आंख की जिम्मेदारी संभालने वाले राजा को मैदान में उतारकर दबिश दिलवाई। मासूम चेहरा और भोली-भाली सूरत लेकर कप्तान के कार्यालय में घूमने वाले इन साहब ने टीम में शामिल अधीनस्थों के साथ मिलकर ऐसा बाजा बजाया कि जिसकी गूंज चारों तरफ सुनाई पड़ रही है। तीसरी आंख में अपनी होनहारी से कॉलर ऊंची कर घूमने वाले इन महानुभव को हर्जाना जल्द भुगतना पड़ेगा। वाक्या ऐसा है कि अड्डे पर दबिश के दौरान इन साहब ने अधीनस्थों के साथ मिल 85 हजार रुपए का बाजा बजाकर मौके से एक जुआरी को भगा दिया। थाने पर जब कप्तान की टीम द्वारा पकड़े गए आरोपियों की पूजा हुई तो उन्होंने कबूला कि एक जुआरी सांठगांठ कर गायब हुआ है। पड़ताल के दौरान मौके से भगाएं जुआरी को आरोपी बनाकर तलाश हुई तो वह कप्तान के सामने पेश हो गया। उसने पूरा घटनाक्रम प्रमाणों के साथ प्रस्तुत किया। ये अंदर की बात है… कि महकमें की बदनामी के चलते कप्तान अभी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, लेकिन राजा ने जिस तरह से 85 हजार रुपए का बाजा बजाकर मौके से जुआरी को भगाया उसका प्रसाद जल्द मिलेगा।

भूख बढऩे से बिचौलियों में बढ़ गई बेचैनी
जमीन के बिचौलियों में सरकारी सिस्टम से बेचैनी बढ़ गई है। कारण काम कराने की दर चार गुना होना। पिछले दिनों जमीन के बिचौलियों का सैलाना रोड स्थित ऑलीशन मैरिज गार्डन में सम्मेलन हुआ। सम्मेलन में मंच के माध्यम से सभी ने एकजुट होकर भ्रष्टाचार के खिलाफ हुंकार भरी। अचानक जमीन के बिचौलियों द्वारा भरी हुंकार को रतलाम की होनहार जनता ने अलग-अलग नजरियें से देखा। चौराहों पर चर्चा है कि सरकारी सिस्टम को बिगाडऩे का अगर किसी ने काम किया तो इन्हीं जमीन के बिचौलियों ने किया है। दफ्तर में साहब की चाकरी से लेकर बंगलों पर मैडमों की चापलूसी के साथ मिठाई के डिब्बों में न्यौछावर पहुंचाने वाले बिचौलियों को अचानक पेट में दर्द उठना बड़ा सवाल है? लाजमी भी है कि जब सबकुछ सुचारू चल रहा था तो अचानक विरोध क्यों? जानकारों की मानें तो सिस्टम की दाढ़ में लग चुके भ्रष्टाचार के कीड़े से अब भूख बढ़ चुकी है। ये अंदर की बात है… कि नीचे से लेकर ऊपर तक भाव में अचानक चार गुना वृद्धि से अभी तक हंसकर और खिलखिला कर चाय, पान और मिठाई (न्यौछावर) खिलाने वाले बिचौलियों के सौदे अटकने लगे हैं। इसी के कारण बिचौलियों ने अधिकारियों की चापलूसी के बजाए विरोध शुरू कर दिया है।
मन मारकर की कार्रवाई वो भी आधी-अधूरी
यूरिया की कालाबाजारी का खेल पिछले माह सामने आया था। एक साथ तीन ट्रक का खराब होने के बयान ने सभी को चौंकाया भी था। पखवाड़े भर तक फाइल को खेत-खलिहान की विभाग प्रमुख दबाकर बैठी रही। खबरनबीसों ने जब धूल चढ़ रही यूरिया की फाइल पर सवाल खड़े किए तो जिम्मेदारों में हडक़ंप मचा। मुंह में दही जमाकर बैठी खेत-खलिहान विभाग की मुखिया ने अचानक जिले के बड़े बाबू को रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट पेश होने के बाद मीडिया के दफ्तरों में समाचार बनाकर भेजे कि हमने सरकारी यूरिया प्राइवेट वेयर हाउस में मिलने पर फ्रीगंज की एक संस्था का लाइसेंस निलंबित कर दिया है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि संबंधित फर्म पर अभी तक प्रकरण की कार्रवाई क्यों नहीं ? ट्रांसपोर्टर और संबंधित फर्म मिलकर कब से सरकारी यूरिया को प्राइवेट वेयर हाउस में रखकर ठिकाने लगा रहे थे? इसकी पड़ताल करना भी क्यों मुनासिब नहीं समझा? इसके अलावा सरकार की अमानत में खयानत करने वाली फर्म और ट्रांसपोर्टर सहित प्राइवेट गोदाम संचालक को कानूनी कार्रवाई से राहत क्यों दी जा रही है? यह तमाम सवाल आम और खास में चर्चा का मुद्दा बन चुका है। प्राइवेट गोदाम में सरकारी यूरिया मिलने के बाद भी जिम्मेदारों की कछुआ गति से जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई से परहेज करना स्पष्ट करता है कि मामले में कुछ तो गड़बड़ है। ये अंदर की बात है… कि सरकारी यूरिया की कालाबाजारी के माफिया काफी बड़े हैं। नतीजतन सवाल खड़े होने के बाद मुंह में दही जमाकर बैठे जिम्मेदार अब औपचारिकता भर निभा रहे हैं।