असीम राज पांडेय, रतलाम। शहरवासियों को मूलभूत सुविधा देने वाले विभाग में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। कुर्सी की लड़ाई अब मिट्टी जैसे मसलों पर जा पहुंची है। ऐसा ही एक वाक्या पिछले दिनों हुआ। शहर के एक वार्ड में टंकी निर्माण के लिए खुदाई के दौरान निकली काली मिट्टी पर फूलछाप पार्टी के नए-नवेले नेताओं की नजर पड़ी। जिस वार्ड में खुदाई हो रही है, उस वार्ड की महिला माननीया के रिश्ते में पापा ने मिट्टी वार्ड के बगीचों में डलवाने का निर्णय लिया। इसके विपरित एक महोदय ने जब उनके वार्ड में मिट्टी भरवाने के लिए डंपर भेजे तो महिला माननीया के रिश्ते में पापा ने डंपर को वापस रवाना कर दिया। मुद्दा नगर सरकार के मुखिया तक पहुंचा तो उन्होंने महिला माननीया के पापा को तलब कर उनकी मंशा जानने की कोशिश की। बंद चेंबर में फूलछाप के बड़े-बड़े महारथियों की मौजूदगी में हुई बैठक में नगर सरकार के मुखिया ने महिला माननीया के रिश्ते में पापा को यहां तक कह दिया कि जब मैंने आदेश कर दिया तो तुम कौन होते हो? इस बात पर जमकर बहस हुई। यहां पर मौजूद नगर सरकार मुखिया के करीबी ने महिला माननीया के रिश्ते के पापा को यहां तक कहा कि पांच साल बाद देख लेंगे। फिर जमकर हंगामे के साथ बंद चेंबर से बाहर आवाजें आने लगी। ये अंदर की बात है…कि पापा भी पापा ठहरे उन्होंने नगर सरकार के मुखिया सहित उनके करीबी को ललकार भरी कि पांच साल बाद क्या देखना है… चलो अभी बाहर। यह मुद्दा नगर निगम के गलियारों में काफी सुर्खियां बंटोर रहा है कि आखिर कुर्सी के लिए लड़ने वाले नेता अब मिट्टी के लिए दंगल कर रहे हैं।

जश्न की मदहोशी में जनता परेशान, खाकी ने संभाला मोर्चा
चैंपियंस ट्रॉफी में भारत की जीत में हर शख्स खुशी में था। शहर के व्यस्तम चौराहे पर महानगर की स्टाइल में फूलछाप के नेताजी ने बड़े पर्दे पर रतलाम वासियों को मैच का आनंद दिलाने की कोशिश की। मैच खत्म होने के बाद युवाओं का हुजूम सड़कों पर उतरा, देखते-देखते बड़े पर्दे की भीड़ में समा गया। इसके बाद यहां एक-दूसरे पर पटाखे फोड़ने और दारूबाजी का भी खेल सामने आया। परिवार के साथ घर से निकली महिलाएं और बच्चे भी काफी परेशान हुए। बदजुबान और बदहवास कुछ असामाजिक तत्वों ने भीड़ के पीछे खड़े होकर शहर की फिजा बिगाड़ने में कसर नहीं छोड़ी। पूरे घटनाक्रम में शहरवासियों ने मदहोशी और असामाजिक करतूत का ढिकरा उन नेताजी के माथे फोड़ा, जिन्होंने बड़ा पर्दा लगाकर सुर्खियां बंटोरना चाही। बड़े पर्दे वाले आयोजन स्थल से उस रात जो गुजरा उसने नेताजी को ही कोसा। नेताजी अब सफाई देते फिर रहे हैं कि उनके व्यक्तियों ने हरकत नहीं की, लेकिन नेताजी को यह नहीं पता कि आयोजन स्थल आपका था। यहां पर भीड़ में शामिल होकर अगर कोई बड़ी हरकत कर जहर घोलता तो उसके जिम्मेदार कौई और नहीं बल्कि आप ही रहते। सवाल यह है कि प्रशासनिक गलियारे से आखिर अनुमति किसने दी। ये अंदर की बात है… कि सिस्टम सत्ता की कुर्सी के आगे नतमस्तक है और जनता बीच सड़क से पर होने वाले आयोजन से परेशान। समय रहते खाकी वर्दी ने मोर्चा संभाला। जनता को भी जाम से निजात दिलाई।
रेफर सेंटर बन गया जिले का बड़ा अस्पताल
जिले वासियों को बेहतर उपचार की दरकार में रतलाम को बड़े अस्पताल (कॉलेज) की सौगात मिली है। कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों के साथ पढ़ाने वाले गुरुजी आमजन के स्वास्थ्य के विपरित सिर्फ और सिर्फ अपना स्वार्थ देख रहे हैं। गुरुजी जहां दिनभर प्राइवेट हॉस्पिटल में प्रैक्टिस और ऑपरेशन में व्यस्त नजर आते हैं, वहीं काम संभालने वाले बच्चे तनाव मानकर टालमटोल कर रहे हैं। पिछले दिनों बड़े अस्पताल (कॉलेज) में घायल के परिजन का विवाद थाने तक पहुंचा था। इसके बाद होशियार गुरुजियों ने विवाद में माफी मांगने वाले का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर सुर्खियां बंटोरकर संदेश दिया कि हमसे जो टकराएगा उसका हश्र कुछ ऐसा ही हम करेंगे। मामला अभी शांत होता कि प्राइवेट अस्पताल में एक भर्ती मरीज सड़क पर आ गया। भर्ती मरीज के सड़क पर हंगामें के बाद जब पड़ताल शुरू हुई तो सामने आया कि जिले के सबसे बड़े अस्पताल (कॉलेज) से उक्त युवक को इंदौर रेफर किया था। ये अंदर की बात है… कि बड़े अस्पताल (कॉलेज) में हर उस शख्स को रेफर कर दिया जाता है जो रुपए खर्च करने में सक्षम नहीं है या फिर कॉलेज के गुरुजियों से रतलाम के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती होकर सेवाएं नहीं लेता है। जिले के बड़े बाबू और स्वास्थ्य के मुखिया के सामने यह सवाल बड़ा है कि जिला अस्पताल की तर्ज पर बड़े अस्पताल (कॉलेज से) रेफर करने का खेल आखिर क्यों जारी है? रतलाम में करोड़ों खर्च कर स्वास्थ्य सेवाओं के दावे भरे जा रहे हैं तो बड़े अस्पताल (कॉलेज) को रेफर सेंटर क्यों बना रखा है। शहर में चर्चा है कि जब तक स्वास्थ की बदहाली पर जनप्रतिनिधि आगे नहीं आएंगे तब तक सिस्टम के जिम्मेदार मनमानी करते रहेंगे।