असीम राज पांडेय, रतलाम। सागोद रोड स्थित जिस कॉटेज में जुए का बड़ा अड्डा संचालित होता था, वहां पर खाकी के नुमाइंदे आए दिन पार्टियां करते थे। चीता-बिल्ली से लेकर तारों वाले साहब भी पार्टियों में शामिल होकर नशे में धुत्त होकर बदनाम गानों पर ठुमके भी लगाते थे। कॉटेज संचालक की भी खाकियों से अच्छी घुसपैठ हो चुकी थी, ऐसे में जुएं के अड्डे पर कप्तान की नजर पड़ गई। दरअसल कॉटेज के जुए अड्डे की कहानी ऐसी है कि यह ग्राम हरथली से ट्रांसफर होकर यहां स्थापित हुआ था। कप्तान लंबे समय से ताकिद कर रहे थे कि मुझे सूचना मिल रही है, मैंने दबिश दिलवाई तो खैर नहीं। कप्तान की चेतावनी को हवा में उड़ाकर पत्ते फेंटने का काम जोर-शोर से जारी था। दीनदयाल नगर थाना के नए नवेले मुखिया के साथ थाने के चीता-बिल्ली और सूचना को एकत्र करने वाला जवान भी संलिप्त था। ये अंदर की बात है…कि हरथली के जुआरियों को सोनी के कॉटेज पर लाने की मेहनत पिछले दिनों स्थानांतरित हुए एक फीतीधारी खाकी की थी। एवज में इन फीतीधारी साहब को रोज प्रसिद्ध गोविंद के पान के साथ मिठाई (रिश्वत) भी लगती थी। मामले की जांच में तीन तारों के साहब जुटे हैं और वह कप्तान के छुट्टी से लौटने पर रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे कि आखिर कौन कितना पानी (अवैध धंधे) में था।
प्रथम आगमन माननीया का रहा फ्लॉप
दिल्ली चुनाव की मतगणना के दूसरे दिन संसदीय माननीया जनता का आभार और धन्यवाद देने के लिए रतलाम पहुंची। फूलछाप पार्टी में जीत और पद के बाद प्रथम आगमन का विशेष माहौल तैयार किया जाता है। इस विशेष माहौल में पार्टी की गुटबाजी खुलकर देखने को मिली। मंच पर लगाए गए बैनरों में अपने-अपने चहेतों का फोटो चिपकाकर शक्ति प्रदर्शन किया गया। अनुशासन की दुहाई देने वाली फूलछाप पार्टी के जिला पदाधिकारियों की उपेक्षा का शिकार पूर्व मंत्री भी बने। नवनिर्वाचित माननीया के प्रथम आगमन पर डालूमोदी बाजार में पूर्व मंत्री ने माला पहनाकर स्वागत किया और काफी दूर पैदल भी चले। यह भी फूलछाप के कद्दावरों के अलावा क्षेत्रवासियों को नागवारा गुजरा। हालांकि जोर-शोर से तैयारियां कर प्रथम आगमन में माननीय और दो माननियों को उम्मीद के मुताबिक कार्यकर्ताओं में उत्साह और भीड़ ने दूरी बनाए रखी। कारण यह है कि कार्यकर्ताओं ने अपने और करीबियों के काम नहीं होने पर अब जिले के फूलछाप पदाधिकारियों से दूरी बनाना शुरू कर दी है। ये अंदर की बात है… कि फूलछाप के मुखिया अपने और करीबियों के इसलिए काम नहीं करवा पा रहे हैं क्योंकि उनके दाएं-बाएं खड़े दो लोगों के कार्यों की सूची इतनी लंबी है कि वह किसी तीसरे के बारे में काम तो दूर संबंधित व्यक्ति से बात करने की भी फुर्सत नहीं हैं।
सहयोग ही नहीं लिया तो अतिथि क्यों बनाए
जिला मुख्यालय पर चंदे की रसीद से नवनिर्मित खाकी के एक कार्यालय का आचार संहिता खत्म होने से ठीक एक दिन पहले पूजन-अर्चन कर शुभारंभ किया। मतगणना के दूसरे दिन आनन-फानन में खाकी के इस कार्यालय का शुभारंभ लाल कारपेट बिछाकर किया गया। मंत्रोच्चार के दौरान अंजनी में जल भरकर बैठने वालों में रेंज अधिकारी और जिला कप्तान थे। कार्यालय के शुभारंभ के समय ही नवनिर्वाचित संसदीय माननीया और दो कैबिनेट मंत्री का लावा-लश्कर उक्त कार्यालय के सामने से विजय जुलूस के लिए गुजरा। कार्यालय में शुभारंभ की रंगत देखकर माननीयों के करीबियों के जेहन में सवाल खड़ा हुआ कि आखिर खाकी नहीं कर सकी थोड़ा इंतजार…? ये अंदर की बात है… कि उक्त कार्यालय के निर्माण में अच्छे-अच्छे की रसीदें फटी हैं, क्योंकि नए निर्माण के लिए शासन के पास पैसे नहीं थे। ऐसे में बड़ी मेहनत कर निर्माण किए गए कार्यालय में खाकी को शासन और माननीयों का सहयोग नहीं मिला। अधिकारियों ने भी सोचा कि जब सहयोग ही नहीं मिला तो माननीयों को बतौर अतिथि बुलाने का भी क्या फायदा?
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