असीम राज पांडेय, रतलाम। सुर्खियों में रहने वाले नगर सरकार के माननीय इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं। दरअसल मुद्दा है गंगासागर क्षेत्र में बनने जा रहे रीजनल पार्क का। 10 हैक्टेयर में बनने वाले रीजनल पार्क को लेकर अब आमजन की जुबान पर तरह-तरह की बाते है। नगर सरकार के माननीय भले ही वृहद पैमाने पर पर्यावरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पटरी पार क्षेत्र में हरियाली विकसित करने का श्रेय ले रहे हो लेकिन आमजन इसे दूसरे नजरिये से देख रहे है। आमजन की मानें तो नगर सरकार के माननीय रीजनल पार्क को लेकर छह माह पूर्व कंस्लटेंट के साथ फोटो सेशन भी करवा चुके हैं। कुछ दिनों पहले उक्त प्रोजेक्ट को लेकर एक मीडिया समूह में खबर को प्रमुखता से प्रकाशित कराया गया। प्रायोजित तरीके से खबर प्रकाशित हुई तो फूलछाप पार्टी के अलावा संगठन को भी सुगबुगाहट मिली कि कुछ तो गड़बड़ है। ये अंदर की बात है… कि जिस भूमि को चयनीत कर करोड़ों का रीजनल पार्क बनाया जा रहा है। उसके समीप ही नगर सरकार के माननीय की 35 बीघा जमीन है। नगर सरकार के माननीय ने अपनी जमीन को “बेशुमार” करने के लिए आमजनता की गाढ़ी कमाई से पटरी पार बड़ी सौगात देकर प्राचीन कहावत को चरितार्थ कर दिया कि “हींग लगे न फिटकरी रंग भी चौखा…”।
स्टेशन पर दिवाकर को मिली 200 रुपए की एनर्जी
रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) का दायित्व रेलवे संपत्ति और यात्रियों को सुरक्षा सेवाएं प्रदान करना है। रेलवे बेहतर वेतन और सुरक्षित नौकरी के लिए भी जानी जाती है। इसके बावजूद रतलाम रेल मंडल के मुख्यालय जंक्शन पर आरपीएफ 200-200 रुपए की अवैध कमाई में जुटी है। वाक्या कुछ इस तरह से है कि 13 जुलाई की सुबह करीब 10 बजे एक युवक दोपहिया वाहन लेकर अपनी मां को रेलवे स्टेशन छोड़ने गया। टिकट लेने की जल्दबाजी में युवक अपनी वृद्ध मां को लेकर लाइन के पास साथ में खड़ा रहा। टिकट प्राप्त कर उन्हें ट्रेन पर बैठाकर जब अपने वाहन के पास आया तो वहां पर रेलवे सुरक्षा बल का जवान तैनात था। युवक ने पहले तो दिवाकर (सूर्य) से नो-पार्किंग नियमों का उपदेश सुना। सुरक्षा बल के दिवाकर ने नियमों का तेज दिखाकर मोबाइल छिना और युवक को रेलवे सुरक्षा बल थाने पर ले जाकर बैठा दिया। युवक चूंकि छात्र था और उसका 11 बजे से इम्तिहान था। उसने जब मान-मनोव्वल की तो दिवाकर ने कहा कि पहले कोर्ट चलना फिर वहां से छूटकर पेपर देते रहना। ये अंदर की बात है… कि नियमों का उपदेश देने वाला रेलवे सुरक्षा बल का जवान दिवाकर ने युवक से 200 रुपए की रिश्वत लेकर अपना इमान बेच दिया। चूंकि युवक (छात्र) रेलवे विभाग के परिवार से जुड़ा निकला तो इम्तिहान के बाद उसने परिजन को घटना बताई। इसके बाद महकमें में चर्चा है कि रेलवे भले ही ऐसे कर्मचारियों को बेहतर वेतनमान दे, लेकिन रेलवे सुरक्षा बल में ऐसे कई दिवाकर हैं जो नियमों का सूर्य दिखाकर 200 रुपए से एनर्जी (रिश्वत) लेने में जुटे हैं और जिम्मेदार कुंभकर्णी नींद में हैं।
दो तारों वाले साहब लगा रहे पटरी पार पलीता
एक तरफ खाकी के कप्तान शहर से लेकर जिले के थानों को आईएसओ अवॉर्ड दिलाने की जुगत में है। ताकि थानों के रखरखाव से लेकर वहां आने वाले आमजनों व पीड़ितो की समस्या सौहार्दपूर्ण वातावारण में सुनी जा सके। लेकिन नीचले स्तर का अमला सुधरने को तैयार नहीं है। गुंडे-बदमाशों के सामने मिमियाने वाले पटरी पार थाने के एक दो तारों के साहब ने अपनी वर्दी का रूबाब 6 वर्षीय बालिका के साथ घिनोनी हरकत के बाद कानूनी कार्रवाई में परिजन को दिखाया। कागजी कार्रवाई के नाम पर पीड़ित परिवार मासूम और सहमी बच्ची को गोद में लेकर घंटो तक थाना परिसर में बैठा रहता है। मासूम की पीड़ा से असंवेदन शीलता ऐसी की दोपहर में घटना उजागर के बाद आधी रात को थाने से बच्ची को मेडिकल के लिए भेजा जाता है। इसके पहले थाने में दो तारों वाले साहब पीड़ित परिवार पर भी पुलिसिया अंदाज में रुबाब छाड़ने और अहसान दिखाने से बाज नहीं आते हैं। मजबूर माता-पिता मासूम बेटी के साथ हुई घटना की टीस को लेकर दो तारों के असंवेदनशील रवैये को सहन करते हैं। ये अंदर की बात है … कि पटरी पार थाने पर दो तारों के साहब वही है जिन्होंने स्टेशन रोड थाने पर न्यायालय में चोरी करने वाले बदमाशों से लेनदेन कर कार्रवाई बगैर छोड़ दिया था। न्यायमूर्ति ने तत्कालीन कप्तान को इन दो तारों वाले साहब की करतूत सुनाई, तब इस असंवेदन शील दो तारों के साहब को निलंबित होकर लाइन में जमा होना पड़ा था। सवाल यह है कि खाकी वाले विभाग में ऐसे पलीता लगाने वाले कर्मचारियों से कप्तान क्या अब अन्य थानों को आईएसओ अवार्ड दिलवा सकेंगे ?