असीम राज पांडेय
रतलाम। शहर के व्यस्तम बाजार क्षेत्र का थाना इन दिनों अखाड़े के ऊपर जुआ चलवाने के साथ महकमें में सुर्खियां बंटोर रहा है। पुलिस कप्तान द्वारा पिछले माह की गई थानों की सर्जरी के बाद पदभार संभालने वाले नवागत मुखिया न्यायाधीश (Judge) की भूमिका में हैं। कप्तान ने अरसे से थानों में पैडिंग पड़े केस के निपटान के आदेश क्या दिए। थाने के नवागत मुखिया ने एक आरक्षक के साथ ऐसा खेल खेला जिसमें नियमों को ही ताक पर रख दिया। व्यस्तम बाजार थाने के मुखिया ने अपने मुहं लगे आरक्षक के साथ मिलकर परिसर में पड़ी 35 मोटरसाइकिलों को कबाड़े में बेच दिया। अलग-अलग प्रकरण अंतर्गत न्यायालय में पैडिंग होने के बाद भी उक्त 35 वाहनों को करीब डेढ़ लाख रुपए में बिना किसी सैद्धांतिक स्वीकृति के बाले-बाले बेचा गया। ये अंदर की बात है कि जब इन गाड़ियों का कारखाने में काटने का सिलसिला चल रहा था। वहां एक शख्स पहुंचा और उसने एक गाड़ी को अपना बताकर चोरी की कहानी बयां की। मामले को रफा-दफा करने के लिए डेढ़ लाख रुपए में से कबाड़ी को वापस 3 हजार 500 रुपए देकर शिकायत पर पर्दा डाला। थाने के मुखिया ने रोजनामचे में रिपोर्ट दर्ज की है कि इन वाहनों के मालिक ना मिलने व जब्ती नहीं होने से गाड़ी बेची है। सवाल यह है कि मुखिया ने अपने शागिर्द आरक्षक के साथ इस खेला में एक लाख नकदी मालखाने में रखना दर्शाया, लेकिन कबाड़ में किस आदेश से निपटान किया और शेष 46 हजार 500 रुपए जेब में किसके आदेश पर रखे? यह सवाल अब आम और खास की जुबान पर छाया हुआ है।
निलंबित बड़े बाबू काली फाइलों को कर रहे सफेद
बहुचर्चित राजीव गांधी सिविक सेंटर के 22 भूखंड़ों की रजिस्ट्रियां और नामांतरण में अनियमित्ता बरतने वाले नगर सरकार के बड़े बाबू निलंबन आदेश के बाद भी तेवर में हैं। फोरलेन पर विभाग के मंत्री का स्वागत-सत्कार कर खुश करने की कोशिश में जुटे बड़े बाबू की दाल नहीं गली और मंत्रीजी के रूखस्त होते ही गाज गिर गई। हैरानी की बात है कि गंभीर अनियमित्ता के आरोपों पर निलंबित बड़े बाबू ने आदेश को हवा में उड़ाते हुए विभाग के अधीनस्थों के साथ निवास पर बैठक ली। बैठक में बताया जा रहा है कि बड़े बाबू जिन आरोपों से घिरें हैं उन्हें दुरुस्त करने के लिए काली फाइलों को सफेद कर अपना बुढ़ापा सुधारने की कोशिश में जुटे रहे। ये अंदर की बात है कि पूर्व जिला मुखिया ने नगर सरकार के बड़े बाबू को ऐसी गठान में बांधकर रवाना हुए हैं कि उनके द्वारा राज्य शासन को भेजी जांच में दूध का दूध और पानी का पानी को अलग अलग कर दिया है। इससे ढाई माह बाद बड़े बाबू की सेवानिवृत्ति का रास्ता साफ दिखता नजर नहीं आ रहा है।
जनता को दरकिनार कर बाग-बगीचा देखना नहीं भूले
पिछले सप्ताह हाथ छाप के राष्ट्रीय स्तर के नेता भारत जोड़ने की यात्रा लेकर रतलाम जिले में आए। आम लोगों से लेकर कार्यकर्ताओं को बड़ी आस थी। लेकिन नेता जी जनता से मिलना तो दूर अपनी लाल कलर की जीप से उतरना भी नागवार समझा। यहां तक घंटों धूप में खड़ी जनता के पास जाने के बजाए उन्होंने बाग-बगीचा देखना उचित समझा। आदिवासी अंचल में उनके स्वागत की भव्य तैयारी की गई। सभी को उम्मीद थी कि अंचल में यात्रा वाले नेताजी आमजन के बीच जाएंगे। लेकिन उन्होंने आम लोगों से दूरी बना कर रखी। बिना रुके वह अपने आलीशान टेंट सिटी में पहुंच गए। घंटों गुजारा। आदिवासी अंचल के लोगों को उम्मीद थी सुबह तो बाबा निकल कर उनके पास आएंगे। फिर घंटों धूप में खड़े लोगों को जब निराशा हाथ लगी तब लाल कलर की गाड़ी में बैठ हाथ हिलाते हुए वह निकल गए। हाथ छाप के नेताजी ने यात्रा का नाम भले भारत को जोड़ने का दिया। लेकिन जोड़ने जैसा कुछ नजर नहीं आया। नेताजी खुद ही लोगों से दूरी बनाकर रहे। यहां तक स्थानीय कार्यकर्ताओं को भी महत्व नहीं मिल पाया। ग्रामीण की कमान संभालने वाले खुद नेता जी आलिशान टेंट सिटी में घुस नहीं पाए। घंटों उन्हें बाहर बैठे रहना पड़ा। फिर इधर-उधर फोन घूमाए, तब जाकर वह अंदर घुस पाए। इनके पहले शहर के दूसरे नंबर के नेताजी बांहे चढ़ाकर टेंट सिटी में काफी समय तक घूमते नजर आए। ये अंदर की बात है यहां तक शहर के बड़े नेताजी ने तो अपने आपको जिलाध्यक्ष तक मानते हुए फ्लैक्स लगा दिए थे। जबकि वह केवल शहर तक सीमित है।