असीम राज पांडेय, रतलाम। चुनाव की थकान उतारने के लिए सैलाना रोड स्थित गार्डन की पार्टी इन दिनों चौराहों सहित शासकीय कार्यालयों में चर्चा का विषय है। अधिकारियों के साथ चापलूसों के वायरल वीडियो में ठुमके सभी ने देखे। चौराहे पर चर्चा है कि साहबों का काफिला पार्टी में शामिल होने के लिए शहर के मुख्य मार्गों से कुछ ऐसा गुजरा था जैसे कहीं कोई बड़ी घटना हो गई है। राहगीरों को सकते में डाल गार्डन में इंजॉय करने पहुंचे अधिकारियों के साथ चापूलसों के वाहनों का एक बड़ा काफीला था। जागरूक नागरिकों ने खबरनबीसों के दफ्तरों में साहबों के काफिले को लेकर मोबाइल भी घनघनाए थे। यहां तक फिर भी ठीक था, लेकिन जब साहबों के चुनाव की थकान लक्जरी गार्डन के बैंक्वेट में थिरकने से उतारने की खबर मातहतों को मिली तो उन्हें काफी बुरा लगा। जिले के बड़े बाबू व खाकी के विभाग में ग्राउंड लेबल पर चुनाव कराने वाले कर्मचारियों में चर्चा है कि नाचे-कूंदे बांदरी, खीर खाए फकीर…। ये अंदर की बात है…एयर कंडिश्नर में बैठने वाले साहबों को चुनाव में थकान हो गई और उन्होंने मिलन समारोह कर गानों पर थिरक थकान उतारी, लेकिन इन साहबों ने ग्राउंड लेबल पर तपिश वाली गर्मी और केंद्रों पर पीने के पानी की समस्या सहित रात में मच्छरों के आतंक के बीच शांतिपूर्ण चुनाव कराने वाले कर्मचारियों को पार्टी में आमंत्रित करना तो दूर शांति से चुनाव कराने के लिए शाबासी देना भी मुनासिब नहीं समझा।
साढ़े चार करोड़ खर्च फिर भी जलसंकट
शहरवासियों को मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने वाला कार्यालय नियम से नहीं बल्कि मनमानी से चल रहा है। विधानसभा चुनाव पूर्व शहरवासियों को गर्मी में जलसंकट की समस्या से छूटकारा दिलाने के लिए साढ़े चार करोड़ रुपए की मोटरे और पंप खरीदे गए थे। विधानसभा चुनाव गुजरा और गर्मी आई। गर्मी में निगम के जलप्रदाय के बंदोबस्त और तैयारियां पर इस बार भी पानी फिरता दिखाई दिया। शहरवासी वार्डों के फूलछाप पार्षदों को संकट सुना रहे हैं। यह संकट फूलछाप पार्षद निगम के कर्मचारियों को सुना रहे, क्योंकि अधिकारियों को फूलछाप पार्षदों के मोबाइल अटैंड करने की फुर्सत नहीं है। फूलछाप पार्षद और कर्मचारी मोबाइल पर संकट से उभरने के बजाए एक-दूसरे को अपनी गुंडई और बदमाशी का स्तर बताकर धौंस दे रहे हैं। इतना सबकुछ होने के बाद फूलछाप पार्षद वार्डों की जनता की समस्या के लिए भाजपा पार्षद दल के व्हाट्सएप ग्रुप पर आवाज उठाते हैं। फूलछाप पार्षदों की आवाज ऐसे नए नवेले युवा नेता द्वारा ग्रुप को ओनली एडमिन ग्रुप कर दबा दी जाती है जो कि हमेशा नींद में ही रहता है। ये अंदर की बात है…कि रतलाम की राजनीति में फूलछाप पार्टी ने ऐसे लोगों को जिम्मेदारी सौंपी है जो सिर्फ चाय से ज्यादा कैटली गर्म बनकर घूम रहे हैं। ये अंदर की बात है… कि फूलछाप पार्टी का सचेतक परिषद के अलावा व्हाट्सएप ग्रुप पर भी जिम्मेदारी नहीं निभा पाता है, क्योंकि इन सभी के लिए साक्षर होने के साथ विवेक जरूरी है।
डमरू ने करवा दी खाकी की किरकिरी
जिला अस्पताल में दो पक्षों के बीच फ्री स्टाइल रेसलिंग ने सुरक्षा के दावे भरने वालों की खूब किरकिरी करवाई। इस फ्री स्टाइल रेसलिंग में सभी अस्पताल के एक पुलिसकर्मी और एक चीता जवान को दोष देने में जुटे हैं। दरअसल मांजरा कुछ ऐसा था कि हाट रोड चौकी से चंद कदमों की दूरी पर एक ही वर्ग के दो पक्षों के बीच जमीन को लेकर विवाद जन्म लेता है। हाट की चौकी के जिम्मेदार इसलिए आंखें मूंदे बैठे रहते हैं क्योंकि उनका क्षेत्र नहीं है। जबकि पुलिस का पहला कर्तव्य है कि क्षेत्र कहीं भी हो अपराध पहले रोका जाए। चलो यहां तक सब ठीक था। इसके बाद दोनों पक्ष माणकचौक थाने पहुंचते हैं। यहां पर एक डमरू साहब हैं। डमरू साहब की होशियारी हर प्रकरण में अलग रहती है। ये अंदर की बात है… कि उक्त केस में भी डमरू साहब ने कुछ ऐसी होशियारी दिखाई कि दोनों पक्षों को मेडिकल के लिए एक साथ जिला अस्पताल भेजा। यहां पर दोनों पक्षों की ओर से परिजन भी पहुंचे और भीड़ जमा हो गई। फ्री स्टाइल रेसलिंग में लात-घूंसों के साथ अस्पताल के कांच और कैबिन की रिपे निकालकर जमकर वार-प्रतिवार हुए। चौराहे पर चर्चा है कि माणकचौक के एक डमरू के कारण ही जिला अस्पताल में फ्री स्टाइल रेसलिंग देखने को मिली।