असीम राज पांडेय, केके शर्मा
रतलाम। जिले की सुरक्षा वाले विभाग में चार दिन पूर्व जारी हुई एक सूची सुर्खियों में है। एक साथ 45 कर्मचारियों का अटैचमेंट समाप्त करते हुए नए सिरे से जारी हुए आदेश के मायने चर्चा का विषय बने हुए हैं। दरअसल जिन कर्मचारियों का अटैचमेंट समाप्त हुआ है वह आदेश को जारी करने वाले को कोस भी रहे हैं। महकमें के कुछ सोशल मीडिया ग्रुप पर यह मुद्दा खासा गरमाया हुआ है। आदेश से प्रभावित कर्मचारी अपनी नाराजगी अलग-अलग अंदाज में निकाल रहे हैं जो कि शहर व विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है। अटैचमेंट के आदेश का एक मायना यह है कि जिन साहब कि पदस्थापना प्रदेश मुख्यालय से हुई है, ऐसे में उनका हिस्सा बढ़ाने के लिए अटैचमेंट समाप्त का खेल, खेलने की बात सामने आ रही है। वहीं दूसरा मायना चुनावी प्रशासनिक कसावट के रूप में देखा जा रहा है। ये अंदर की बात है कि नए-नए फरमान से नाराज विभाग के मातहत आगामी राजनीति परिदृश्य में किस ओर करवट लेंगे यह परिणाम बताएगा।
जावरा में किसान नेता हार गए बाजी
जिला मुख्यालय से पहचान बनाने वाले किसान नेता जावरा में उम्मीद्वारी की बाजी लगभग हार चुके हैं। पार्टी आलाकमान के इशारे पर पिछले 24 माह से सक्रिय किसान नेता ने जोड़ीदार के साथ मिलकर एडी-चोटी का जोर लगाकर धरना-प्रदर्शन कर मीडिया में फोटो छपाकर टिकट की कोशिश में जुटे रहे। उम्मीद्वारी की अंतिम घोषणा से पूर्व राजनीतिक झटके की तिव्रता ने किसान नेता की उम्मीदों को जमीदोंज कर दिया। ये अंदर की बात है कि किसान नेता के जीवन में ऐसा पेंच फंस गया है कि जावरा विधानसभा क्षेत्र में अब नए चेहरे पर लगभग मुहर लग चुकी है। यह चेहरा मुख्यमंत्री का विरोध करने की पिछले दिनों हुंकार भर चुका था, जिसे कांग्रेस आलाकमान ने अपने पंजे का आशीर्वाद दे दिया है। हालांकि अभी सूची जारी नहीं हुई है, लेकिन सूची में नए चेहरे को प्रत्याशी के रूप में शामिल कर लिया गया है।
कद घटते ही आने लगा सट्टा नजर
हाल ही में क्रिकेट सट्टे की धरपकड़ शहर के चर्चाओं में शामिल हैं। चर्चा में ऐसे साहब का नाम लिया जा रहा है जिनका वर्तमान में कद घटा है। जब यह साहब उस क्षेत्र में सिटी बजाते थे तब इनकी क्रिकेट और एमसीएक्स सटोरियों के प्रति दबंगई दिखाई नहीं दी। या यूं कहा जाए कि उस दौरान क्षेत्र में अवैध काम की जगह धार्मिक आयोजनों का दौर चल रहा होगा। अचानक प्रभारियों के बदलाव के बाद अपने पुराने अधीनस्थों की चौकड़ी से क्षेत्र से बंद हो चुकी आवक को देखते हुए कद छोटा होने पर साहब के इशारों पर बड़ी कार्रवाई ने जोर पकड़ लिया है। ये अंदर की बात है कि जिन-जिन क्षेत्रों में अभी कार्रवाइयां नजर आ रही हैं वह शहर के धुंधाधांर सटोरिये होकर नामचीन से जगजाहीर हैं। सवाल यह है कि तत्कालीन अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकने वाले साहब अपना कद छोटा होते हुए नए साहब को करतब क्यों दिखाने लगे ?