असीम राज पांडेय
रतलाम। जिले में 21 आरोपियों ने दरिंदगी का ऐसा शोर मचाया कि इसका शोर एक किलोमीटर दूर आमजन की सुरक्षा के दावें भरने वाली बांगरोद चौकी की खाकी को भी नहीं सुनाई दिया। दो मोटरसाइकिल सवार युवकों को चार पहिया वाहनों से रौंदने के साथ गेती और फावड़े के हत्थों से निर्मम हत्या के खुलासे में पुलिस कप्तान ने जोर-शोर से 7 आरोपियों को गिरफ्तार कर फोटो खिंचवाए और मीडिया के सवालों से बचने के लिए कप्तान ने एक-एक से सवाल पूछने की गुहार लगाते रहे। कप्तान भूल गए कि मीडिया उनके अधीनस्थ नहीं है। कानून व्यवस्था की विफलता को दर्शाती उक्त जघन्य घटना के सवालों से बचने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस में कप्तान उन सवालों से बचते दिखाई दिए जिससे डीजल और सट्टे की मदहोशी में उनके अधीनस्थ गहरी नींद में सोए हुए थे। ये अंदर की बात है… कि जघन्य हत्याकांड के आरोपियों ने युवकों को मारकर दुर्घटना दर्शाती हुई स्क्रीप्ट भी बखूबी लिखी। इस कहानी के शुरुआत में संबंधित थाने और चौकी के जिम्मेदार भी आरोपियों की स्क्रीप्ट पर मुहर लगाने में जुटे थे, लेकिन मृतक के परिजन और ग्रामीणों के आक्रोश के बाद नींद से जागे कप्तान और अन्य जिम्मेदारों ने अपने अधीनस्थों की नाकामी पर कुछ ऐसा परदा डालने की कोशिश की जिससे कानून व्यवस्था की विफलता पर सवाल न हो।
नए साहब को खुश करने की कार्रवाई में 5 पेटी गायब
शराब का विभाग कुंभकर्णी नींद से जागकर पिछले दिनों अचानक सक्रिय हुआ। पटरी पार क्षेत्र स्थित एक ऑरो प्लांट पर दबिश मार मौके से 14 पेटी महंगी शराब और आरोपी को लेकर स्टेशन रोड स्थित विभाग के कंट्रोल रूम पहुंचा। मीडिया के सामने यहां पर एक-एक बोतल के ब्रांड और उसकी कीमत की जब्ती दर्शाते हुए लिखा-पढ़ी कुछ इस अंदाज में की गई कि जो कार्रवाई हुई है वह निष्पक्ष और संतोषप्रद है। जबकि प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो कोरोना काल से उक्त ऑरो प्लांट का संचालक बेखौफ घर-घर पहुंचकर अवैध तरीके से शराब सप्लाई कर रहा था। इस बात की जानकारी शराब वाले विभाग को भी अच्छे से थी। चौराहों पर चर्चा है कि शराब वाला विभाग ने उक्त कार्रवाई में जैसे 5 पेटी महंगी शराब गायब कर खेल किया, वहीं दूसरी तरफ विभाग के नए मुखिया को खुश करने और उनके सामने अपने नंबर बढ़ाने के लिए दबिश को अंजाम दिया। ये अंदर की बात है…पटरी पार कार्रवाई को सात दिन बीत गए, इसके बाद विभाग ने अब तक उन स्थानों पर जाना मुनासिब नहीं समझा, जहां पर रोज शाम बेखौफ ढाबों से लेकर चाय की दुकानों पर धड़ल्ले से शराब परोसी और बेची जा रही है। विभाग की उक्त कार्रवाई बाजार में दिखावे के साथ औपचारिकता भर बताई जा रही है।
रंगा-बिल्ला ने नए थाने पहुंचते ही दिखाई जादूगरी
पटरी पार से जिले के मुख्य थाने पहुंचे दो रंगा-बिल्ला आमद देते ही जादूगरी दिखाने लगे। इनकी जादूगरी के करतब से थाने के तत्कालीन मुखिया (वर्तमान कार्यवाहक डीएसपी) भी खुश हुए और उन्होंने मादक पदार्थ के सौदागर को राशि वसूल छोड़ दिया। लेन-देन कर आरोपी को छोड़ने की कहानी पिछले दिनों हुई धड़पकड़ से जगजाहिर हुई। आरोपी से सख्ती से पूछताछ हुई तो उसने बताया कि इसी थाने के जवान ने हमें पकड़कर जमा किया था। चूंकि आरोपी का पटरी पार से आए नए नवेले रंगा-बिल्ला से पुराना याराना था तो उन्होंने तत्कालीन थाने के मुखिया के सामने रुपयों का लालच ऐसा दिखाया कि थानेदार से डीएसपी बन चुके साहब भी खुश हुए। लिखा-पढ़ी के बिना रंगा-बिल्ला की जादूगरी में तत्कालीन थाने के मुखिया ने मादक पदार्थ के सौदागर को आजाद किया था। आजादी की मदमस्त उड़ान भरने वाला यह सौदागर वापस धराया तो उसने रट्टू तोते की तरह सबकुछ उगल दिया। ये अंदर की बात है… कि रंगा-बिल्ला के साथ कप्तान की कार्रवाई में वह निर्दोष भी शिकार हुआ, जिसने पहले इस सौदागर को थाने में जमा किया था। निलंबित रंगा-बिल्ला की करतूत से वही थाना फिर से शर्मशार हुआ जो कि थाने के मुखिया की जीप चोरी और रंगदारी से वर्दी की काफी खिल्ली उड़वा चुका है।