असीम राज पांडेय, केके शर्मा
रतलाम। जिले में कप्तान के फेरबदल से पुलिसिया कार्रवाई भी बदली-बदली नजर आ रही है। तत्कालीन कप्तान ने मादक पदार्थ के खिलाफ चलाए अभियान में 30 से अधिक एनडीपीएस के मामले दर्ज कर रतलाम के इतिहास में कम समय में अधिक कार्रवाई का रिकॉर्ड बनाया। चौराहों पर चर्चा है कि तत्कालीन कप्तान के निर्देश पर शुरू हुई कार्रवाई से उड़ता रतलाम की बात आमजन के जुबान पर आना बंद हो गई थी। अचानक तबादले के बाद नवागत कप्तान की कार्यप्रणाली से मादक पदार्थ की कार्रवाई का ग्राफ गिरा है। नवागत कप्तान के नए डायरी सिस्टम से मादक पदार्थ की कार्रवाई ने दिशा बदल अवैध शराब पर जा ठहरी। ये अंदर की बात है कि प्रतिदिन थाना स्तर पर आबकारी एक्ट में आबकारी एक्ट की कार्रवाई का ग्राफ इसलिए बढ़ा क्योंकि डायरी सिस्टम में प्रधान आरक्षक से लेकर टीआई को अपने-अपने कार्यों का प्रतिदिन का लेखा-जोखा रखना है। ऐसे में मादक पदार्थ बेचने वालों को सांस में सांस आ गई कि चलो अच्छा हुआ साहब के तबादले से कार्रवाई तो थमी।
अभी नहीं हुई ग्रामीणों की नाराजगी खत्म
वर्षों पूर्व शहर में जैन-सनातनी विवाद को लोग अभी भूले भी नहीं कि एक नया जैन-सनातनी विवाद जन्म ले चुका है। शहरी विधानसभा और करीबी पंचायत में झंडा मूल स्थान पर लगाने का प्रशासन भले दावा करे, लेकिन ग्रामीणों की नाराजगी खत्म नहीं हुई। प्रबुद्धजनों के मुताबिक शुरुआती चिंगारी में प्रशासन की एक पक्षीय कार्रवाई आग में घी डालने के समान है। कुछ लोग विवाद को खत्म करने के लिए आगे हैं लेकिन कुछ चिंगारी को हवा दे रहे हैं। झंडा लगने के बाद भी सुंदरकांड और भजन संध्या जैसे आयोजन का क्रम जारी रहना ग्रामीणों की नाराजगी को बरकरार दर्शा रही है। ये अंदर की बात है सभी जगह एक ही समुदाय का नेतृत्व होने की चर्चा जोरों पर हैं। हालांकि चुनावी वर्ष में झंडा विवाद का अंत कैसे होगा यह आने वाले समय में ही पता चलेगा।
मंत्री जी के एक पंथ दो काज
विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दल जोर शोर से अपनी-अपनी तैयारियों में लग गए है। छुकछुक गाड़ी के केंद्र के मंत्री जी को प्रदेश के विधानसभा चुनाव का सह-प्रभारी नियुक्त किया। ऐसे में उनके द्वारा एक पंथ दो काज किये जा रहे। चुनावी तैयारी के साथ ही रेल महकमें के काम भी निपटाते जा रहे है। कई समस्याएं भी आ रही है तो तुरंत महकमें के मातहतों को कड़े निर्देश भी दे रहे है। एक दिन पहले ही यह मंत्री जी रतलाम में आए। एक दशक बाद रेल मंत्री जी के आगमन को लेकर जनप्रतिनिधियों से लेकर रेल संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी मुलाकात की। ऐसे में जो समस्याएं थी मंत्री जी के सामने रखी। हालांकि उन्होंने मीडिया से दूरी बनाए रखी। खैर चुनावी तैयारियां ही सही लेकिन प्रदेश के जिलों में मंत्री जी को घूमने के साथ रेलवे की स्थिति को भी जानने का मौका मिल रहा है।