असीम राज पाण्डेय
रतलाम। सनातनियों के कार्यक्रमों से दूर रहने वाले नगर सरकार के माननीय अब फूलछाप पार्टी के संगठन से भी परहेज करने लगे हैं। हाल ही में राजीव गांधी सिविक सेंटर के भूखडों की नियम विपरित रजिस्ट्रियों को लेकर सुर्खियां बंटोर चुके नगर सरकार के माननीय 27 मार्च को रंगोली गार्डन में आयोजित संगठन की समन्वय बैठक से नदारद रहे। बैठक के दो दिन पूर्व अलकापुरी चौराहे पर अंतर्राजीय मार्ग को बंद कर आमजनता को परेशान करने वाले माननीय होली पर जमकर थिरके, लेकिन पार्टी के संगठन की अहम बैठक में शामिल नहीं हुए। समन्वय बैठक में वरिष्ठों से लेकर कार्यकर्ताओं ने संसदीय चुनाव की तैयारी पर शत-प्रतिशत उपस्थिति दिखाई। यहां पर नागपुर में आयोजित बैठक में लिए गए निर्णय से अवगत कराने के साथ संकल्प दिलाया कि हम संसदीय चुनाव में भी जीत के भरोसे नहीं रहेंगे बल्कि जमीनीस्तर पर कार्य करेंगे। करीब ढाई घंटे तक चली संगठन की समन्वय बैठक में कैबिनेट मंत्री का शुरुआत से अंत तक मौजूद रहना और नगर सरकार के माननीय की अनुपस्थिति के अलग-अलग मायने देखे जा रहे हैं। ये अंदर की बात है… कि नगर सरकार के माननीय महत्वपूर्ण बैठकों से अब इसलिए दूरी बनाए रखते हैं कि उनकी जादूगरी कार्यप्रणाली पर कहीं वरिष्ठ सार्वजनिक रूप से नाराजगी जाहिर न कर दें, क्योंकि बंद कमरे में तो वह आए दिन वरिष्ठों की सुनते ही रहते हैं।
न्याय के मंदिर में डगमगाया वर्दीधारियों का ईमान
बहुचर्चित डेलनपुर किसान आंदोलन में हिंसा फैलाने के आरोप में 44 में 43 आरोपी दोषमुक्त हो चुके हैं। फैसले के बाद चर्चा का बाजार गरम इसलिए है कि दरअसल सात वर्ष पूर्व उक्त हिंसक उपद्रव में एक पुलिसकर्मी अपनी आंख खोकर जिंदगी और मौत से संघर्ष कर बाहर आए हैं। मामले में शासन और प्रशासन ने तत्कालीन समय तत्परता दिखाते हुए पांच वर्दीधारियों को इसलिए साक्ष्य बतौर शामिल किया था कि वह उक्त घटना के प्रत्यक्षदर्शी थे। वर्दी पहनने वाले यह रक्षक अपने विभाग के पुलिसकर्मी की जिंदगी और मौत के संघर्ष को भूल गए। अधिकारी आते और जाते रहे, इधर कानून के रखवाले बनकर घूमने वाले यह पांच वर्दीधारी न्याय के मंदिर में पलट गए। नतीजतन हाल ही में आए फैसले में जिनके खिलाफ हत्या का प्रयास, शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, शासकीय कार्य में बाधा, शासकीय कर्मचारी से मारपीट, बलवा सहित अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था, वह सभी वर्दीधारियों के बयानों से पलटने के बाद आरोपों से बरी हो गए। ये अंदर की बात है… कि जिन पांच पुलिसकर्मियों ने अपना ईमान बेच न्याय के मंदिर में बयान पलटे हैं, वह अपने विभाग के अलावा समाज की नजरों में अब काफी चुभने लगे हैं।
औकात दिखाने वाले अब भर रहे हाजरी
भूमाफिया को नियम विपरित दो दर्जन से अधिक भूखंड़ों की रजिस्ट्री कराने में नप चुके तत्कालीन निगम आयुक्त इन दिनों उज्जैन लोकायुक्त कार्यालय में हाजरी भर रहे हैं। चर्चा इसलिए प्रासंगित है कि पिछले दिनों नपने वाले निगम आयुक्त ने मीडिया में एक मामले में लोकायुक्त को लेकर बड़ी बात कही थी। लोकायुक्त की औकात क्या है कि वह हमसे कुछ पूछे… कुछ इस तरह से अहम में डूबकर भ्रष्टाचार और अनियमित्ता के आरोप से घिरे नपे हुए साहब के संवाद का ऑडियों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। निगम से नपने के पूर्व लोकायुक्त पहुंची शिकायत में जानकारी नहीं देने वाले अब अपने दूसरे नंबर के कर्ताधर्ता के साथ लोकायुक्त के दफ्तर में मुंह लटकाए बैठे रहते हैं। हालांकि लोकायुक्त की औकात वाला ऑडियो उक्त कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों तक भी पहुंचा था। ये अंदर की बात है… कि नपने वाले साहब के अहम भरे संवाद के बाद अब उनकी औकात दिखाने के लिए लोकायुक्त भी नोटिस पर नोटिस देकर दस्तावेजों के साथ तलब करती है, लेकिन जब नपे हुए साहब अपने दूसरे नंबर के कर्ताधर्ता के साथ लोकायुक्त में हाजरी भरने पहुंचते हैं तब उन्हें सुबह से शाम तक बाहर इंतजार करवाया जा रहा है।